कचरा डंपिग के लिए अभी जगह खोज रहा नप, सड़क किनारे फेंका जा रहा कूड़ा

बक्सर शहर की स्वच्छता में कचरा डंपिग यार्ड की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है इसका प्रमाण श्

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 09:39 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 09:39 PM (IST)
कचरा डंपिग के लिए अभी जगह खोज रहा नप, सड़क किनारे फेंका जा रहा कूड़ा
कचरा डंपिग के लिए अभी जगह खोज रहा नप, सड़क किनारे फेंका जा रहा कूड़ा

बक्सर : शहर की स्वच्छता में कचरा डंपिग यार्ड की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है, इसका प्रमाण शहर व आसपास सड़क किनारे डंप कचरा दे रहे हैं। डंपिग यार्ड के नहीं होने से सड़क किनारे फेंका जा रहा कचरा, इससे उठने वाली बदबू से आम जन परेशान है। हालांकि, फिलहाल अहिरौली स्थित नप की भूमि में कचरा निस्तारण किया जा रहा है। कचरा के निस्तारण की बेहतर व्यवस्था नहीं होना शहर की स्वच्छता पर भारी पड़़ रहा है।

नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी व नप बोर्ड के सत्ता पक्ष ने बताया कि कचरा डंपिग यार्ड बनाने के लिए पांच एकड़ भूमि की जरुरत है। इस कार्य में हम लोगों के अलावा जिला पदाधिकारी, अंचलाधिकारी समेत कई लोग लगे हुए हैं। एनजीटी के गाइडलाइन के मुताबिक जब तक जमीन नहीं मिल जाती, तब तक कचरा डंपिग यार्ड निर्माण संभव नही है। एनजीटी के गाइडलाइन के अलावा कई तरह की और समस्या आ रही है। चौसा क्षेत्र में जमीन की तलाश की गई थी। उस पर उम्मीद जगी थी। उस पर स्थानीय निवासियों की सहमति नहीं बनी। इस वजह से फिलहाल बोर्ड ने हाथ खड़े कर दिए हैं। जैसे-तैसे एनजीओ कचरे को निपटा रहा है।

नप बोर्ड के गठन के चार साल से ज्यादा समय बाद भी डंपिग यार्ड नहीं बना

शहर में स्वच्छता पर हर माह लगभग 37 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इसके बाद भी शहर की तस्वीर बदलती दिखाई नहीं दे रही। कूड़ा निस्तारण की भी कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। नगर परिषद बोर्ड के गठन के चार साल से ज्यादा का समय बीत जाने पर भी अब तक डंपिग यार्ड नहीं बन सका है। जिस कारण से शहर के विभिन्न वार्ड से कचरा उठाव कर सड़क किनारे ही फेंक दिया जाता है।

वर्षो से चली आ रही व्यवस्था

नगर परिषद की वर्षों से चली आ रही इस व्यवस्था से एक तो नगरवासियों को खासी परेशानी है। वही दूसरी तरफ नगर परिषद अब तक कोई निदान नहीं ढूंढ़ पाई है। सड़क किनारे ही कचरा को डंप किया जाता है। जिससे मार्ग से गुजरने वाले राहगीरों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। समय समय सड़क पर फेंके गए कचरे में आग लगा दिया जाता है। जिससे वायु प्रदूषण तो होता है।

शहर से रोजाना निकलता है लगभग सात टन कूड़ा

शहर में प्रतिदिन सभी तरह के लगभग पांच से सात टन कूड़ा-कचरा निकलता है। जिसमें करीब पाच टन कूड़ा सुखा होता है। दो टन के आसपास कूड़ा गीला होता है। शहर को सुंदर व स्वच्छ रखने के लिए डोर टू डोर कचरा का उठाव किया जा रहा है। दो शिफ्ट में शहर की सफाई कराई जा रही है। उसके बाद भी सड़क पर कई जगह कचरा दिख ही जाता है। इसके अलावे डंपिग यार्ड नहीं रहने से परेशानी और ज्यादा बढ़ जाती है। शहर का कचड़ा ले कर फिलहाल अहिरौली में फेंक दिया जा रहा है।

एनजीटी की गाइडलाइन के मुताबिक नहीं मिल रही जमीन

स्थानीय नगर परिषद गंगा क्षेत्र पर होने की वजह से अधिकांश खाली पड़ी जमीन गंगा से जुड़ा हुआ है। शहर के बाहरी क्षेत्र में जितनी भी उपयुक्त भूमि है। वह नहर, तालाब से सटा हुआ है। इस वजह से वह राष्ट्रीय हरित अधिकरण के मानकों पर खरा नही उतर पा रहा है। शहर से ज्यादा दूरी पर जमीन खरीद करने से कचरा ढुलाई का खर्च बढ़ेगा। इस वजह से एनजीटी व राज्य प्रदूषण बोर्ड से सुझाव मांगा गया है।

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पांच एकड़ जमीन के अभाव में नप क्षेत्र में कचरा डंपिग यार्ड का निर्माण नहीं कराया जा सका है। जमीन की उपलब्धता को लेकर सीओ से बात की गई है। चौसा क्षेत्र में जमीन उपलब्ध कराया जा सकता है। पंचायत चुनाव अब लगभग समाप्त हो चुका है। जमीन को चिन्हित करने के लिए कार्य किया जाएगा।

प्रेम स्वरूपम, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद

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