अस्पताल के दर पर धीरे-धीरे टूट गई निरुपमा की सांसों की डोर

बक्सर दृश्य एक- शनिवार रात के तकरीबन 1000 बज रहे हैं। छोटका नुआंव के रहने सच्चि

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 09:28 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 09:28 PM (IST)
अस्पताल के दर पर धीरे-धीरे टूट गई निरुपमा की सांसों की डोर
अस्पताल के दर पर धीरे-धीरे टूट गई निरुपमा की सांसों की डोर

बक्सर:

दृश्य एक-

शनिवार रात के तकरीबन 10:00 बज रहे हैं। छोटका नुआंव के रहने सच्चिदानंद सिंह अपनी पत्नी निरुपमा (32 वर्ष) को लेकर एक निजी चिकित्सालय के दरवाजे पर खड़े हैं। दस दिन पहले तक स्वस्थ्य निरुपमा को कुछ दिनों से बुखार था और शनिवार को अचानक सांस लेने में तकलीफ शुरू हो गई। निजी चिकित्सालय में डॉक्टर के नहीं होने का हवाला दिया जाता है।

इसके बाद तुरंत ही उन्होंने प्रशासन के द्वारा जारी कंट्रोल रूम के नंबर 06183-295701 पर कॉल किया। उन्हें बताया गया कि सिविल लाइंस स्थित जीएनएम कॉलेज परिसर में बनाए गए कोविड केंद्र में जा सकते हैं। सच्चिदानंद तुरंत ही वेलनेस सेंटर में पहुंचे। सदर प्रखंड स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा प्रभारी सह कोविड-19 के नोडल ऑफिसर डॉ. सुधीर कुमार ने स्थिति को देखा और ऑक्सीजन लेवल जांच की। ऑक्सीजन लेवल तकरीबन 35 प्रतिशत बता रहा था। उन्होंने बताया कि मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। फेफड़ों में संक्रमण जान पड़ता है। उन्होंने तुरंत नेबुलाइजर उसे ऑक्सीजन देना शुरू किया लगभग तीन बड़े सिलेंडर ऑक्सीजन खत्म होने के बाद भी स्थिति में जब कोई सुधार नहीं हुआ तो उन्होंने किसी ऐसे अस्पताल में ले जाने की बात कही जहां जीवन रक्षक प्रणाली(आईसीयू) पर उन्हें रखा जा सके। बताते चलें कि बक्सर के किसी भी सरकारी अस्पताल में आइसीयू नहीं है। बहरहाल, इसी बीच एंटीजन टेस्ट कराया गया, जिसमें कोविड-19 नेगेटिव की रिपोर्ट आई। तुरंत ही नगर के एक प्रतिष्ठित निजी चिकित्सालय में ले जाया गया लेकिन, चिकित्सक जब तक कोविड की रिपोर्ट का सत्यापन करते तब तक एंबुलेंस में महिला ने पति के सामने ही तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। पति तथा दो बच्चे रोते-चीखते रह गए। सच्चिदानंद ने बताया कि उनकी पत्नी को 10 दिन पूर्व बुखार आया था जिसका उन्होंने इलाज कराया और बुखार लगभग ठीक हो गया था। लेकिन तब तक शनिवार की रात उनकी पत्नी ने सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की।

दृश्य दो-

इटाढ़ी प्रखंड के उनवास गांव के रहने वाले पेशे से शिक्षक संतोष कुमार के पिता छट्ठू सिंह(68 वर्ष) को तीन दिन पहले बुखार आया था। जांच में पाया गया कि उन्हें टाइफाइड है। इसी बीच रविवार को उनकी तबीयत बिगड़ने लगी उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, तुरंत सदर अस्पताल पहुंचाया गया जहां उन्हें कंसंट्रेटर से सपोर्ट दिया गया अस्पताल में इलाज कर रहे चिकित्सक डॉ. भूपेंद्र नाथ ने कहा कि ऐसी स्थिति में इन्हें पटना, वाराणसी अथवा किसी सुविधा संपन्न निजी अस्पताल में ले जाना होगा। उन्होंने बताया की मरीज के एंटीजन टेस्ट में कोविड की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। शिक्षक संतोष ने पिता की खराब हालत को देखकर तुरंत गोलंबर स्थित विश्वामित्र अस्पताल के चिकित्सक डॉ.राजीव झा से संपर्क किया। डॉ. झा ने मरीज को तुरंत लेकर आने को कहा। अभी वह पिता को ले जाने की तैयारी नहीं कर रहे थे तभी अचानक से उनकी सांसे थम गई और ऑन ड्यूटी चिकित्सक ने मौत की पुष्टि कर दी।

पटना ले जाने पर भी नहीं है राहत

राजपुर के रहने वाले अरविद तिवारी अपने दामाद को लेकर पटना के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में संक्रमण का इलाज करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले कई दिनों से कोरोना वायरस में कारगर का इंजेक्शन रेमडेसीविर लेने के लिए बस इधर-उधर भटक रहे हैं लेकिन उनको नहीं मिल पा रही। बताया जा रहा है कि यह इंजेक्शन आउट ऑफ स्टॉक है।

सतर्कता बहुत जरूरी, अब नहीं चेते तो हो जाएगी देर

कोरोना वायरस को लेकर एक तरफ जहां चिकित्सक व स्वास्थ्य अधिकारी सतर्कता बरतने की बात कह रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ समाज में इसे हल्के में ले रहे हैं। चिकित्सक बता रहे हैं कि अबकी बार कोरोना वायरस साइलेंट किलर के रूप में लोगों की मौतों का कारण बन रहा है। चिकित्सक डॉ. राजीव झा बताते हैं कि, कोरोना की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मह•ा एक माह के अंदर संक्रमितों का आंकड़ा बक्सर में 700 के करीब पहुंच गया है। उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है कि कोरोना संक्रमण से ग्रसित मरीजों को बचाया नहीं जा सके, उनके यहां हैं कई ऐसे मरीज हैं जिन्हें कोरोना जैसे लक्षण हैं और अब वह ठीक हो रहे हैं।

अगर कार्यरत रहते वेंटिलेटर संचालक तो बचाई जा सकती थी कोई जानें

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने अपने संसदीय क्षेत्र के जनता के लिए चार वेंटिलेटर पिछले वर्ष कोरोना काल मे दिए थे लेकिन, यह सभी वेंटिलेटर प्रशिक्षित संचालकों के अभाव में जस के तस रखे हुए हैं। बताया जाता है कि वेंटिलेटर जैसे उपकरण की वारंटी एकसाल की होती है। ऐसे में रखे-रखे वारंटी खत्म हो गई। चिकित्सक डॉ. सुधीर कुमार सिंह बताते हैं कि जिन मरीजों को सांस लेने में तकलीफ हो उनकी जान बचाने में वेंटिलेटर काफी सहायक सिद्ध हो सकता है। मरीज के पास काफी कम समय होता है, इसी दौरान उनके दिमाग में ऑक्सीजन का प्रवाह देना होता है। चिकित्सक ने बताया कि शनिवार की रात को हुई महिला की मौत मामले में भी उसे तुरंत वेंटिलेटर सपोर्ट चाहिए था, तब शायद उसकी जान बचाई जा सकती थी।

कोरोना से जंग के लिए हैं पूरे इंतजाम : सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉक्टर जितेंद्र नाथ बताते हैं कि कोरोना संक्रमण से जंग लड़ने के लिए उनके पास पूरे इंतजाम हैं। उन्होंने बताया कि, बक्सर में जहां जीएनएम कॉलेज में कोविड केंद्र बनाया गया है वहीं, डुमरांव में भी 500 बेड का कोविड आइसोलेशन सेंटर शुरु कर दिया गया है। वहां चिकित्सक, दवाएं तथा भोजन आदि की भी बेहतर व्यवस्था की गई है।

chat bot
आपका साथी