न सूखे-गीले कचरे की समझ, न ही निस्तारण के इंतजाम

बक्सर स्वच्छता रैंकिग में एक ओर इंदौर लगातार अपने सूबे की शान बढ़ा रहा है वहीं बक्सर

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Nov 2021 09:40 PM (IST) Updated:Thu, 25 Nov 2021 09:40 PM (IST)
न सूखे-गीले कचरे की समझ, न ही निस्तारण के इंतजाम
न सूखे-गीले कचरे की समझ, न ही निस्तारण के इंतजाम

बक्सर : स्वच्छता रैंकिग में एक ओर इंदौर लगातार अपने सूबे की शान बढ़ा रहा है, वहीं बक्सर जैसे शहर हमेशा निचले पायदान पर रह कर अपने प्रदेश में स्वच्छता के प्रति जागरूकता पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। नगर परिषद ने शहर के सड़क व गलियों से कूड़ा उठाव को ही सफाई समझ लिया है। सफाई कर्मी एक स्थान से कूड़ा उठाकर दूसरे स्थान पर ले जाकर डंप कर देते हैं। इससे कचरा का स्थान तो बदल जाता है, लेकिन उसका उचित प्रबंधन नहीं होने से नए जगह कूड़े का ढेर लग जाता है। बहुत हुआ तो कूड़े के ढेर को आग लगा आसपास के लोगों को जहरीले धुएं के बीच रहने के लिए छोड़ दिया जाता है।

स्वच्छता सूचकांक में देश के एक से दस लाख की आबादी 374 शहरों में बक्सर 357 वें स्थान पर है। सफाई कर्मी शहर से कचरे का उठाव कर कहीं भी डंप कर देते है। उसमें से उठने वाली बदबू से परेशान लोग जब इसकी शिकायत करते हैं, तो वह कचरे में आग लगाकर उसे जला देता है। जबकि, कचरा रिसाइकिलिग पीट का निर्माण 2019 में ही शुरू किया गया। वह अब तक बन कर तैयार नही हुआ है।

घर-घर से कचरा उठाव की आधी-अधूरी सुविधा

नगर परिषद ने क्षेत्र के 34 वार्ड में घर घर से कचरा उठाव की योजना तैयार की है। इसके बाद भी सभी वार्ड में कचरे का घर-घर से उठाव नही हो पाता। आधी-अधूरी कार्य योजना परेशानी का सबब बन रही है। लोग जहां भी स्थान मिलता है,कचरा फेंक देते है। इसकी शिकायत करने के बाद भी सुधार नहीं हो रही है।

ठोस कचरा प्रबंधन अधर में

नगर परिषद द्वारा वर्ष 2017 से ठोस कचरा प्रबंधन के लिए जमीन की तलाश की जा रही है। वह अब तक नही मिल पाया। इस पर तीन बार पांच एकड़ भूमि खरीद के लिए विज्ञापन भी जारी की गई। इतनी जमीन शहर के बाहर आस-पास कहीं नहीं मिली। जिला प्रशासन और नप दोनो ने ठोस कचरा प्रबंधन के लिए कई बार जमीन तलाश के लिए काफी प्रयास किया। हर बार वह राष्ट्रीय हरित अधिकरण व राज्य प्रदूषण बोर्ड के नियमों पर खरा नही उतर पाया। इस वजह से पांच साल पहले समस्या जहा थी, आज भी वहीं है।

लोगों में भी जागरूकता का अभाव

नगर परिषद क्षेत्र की सफाई का जिम्मा एनजीओ को दी गई है। वह 9 बजे तक शहर की मुख्य सड़कों से कचरा का उठाव कर लेता था। इसके बाद भी आम जनों द्वारा सड़क पर कचरा फेंका जाने लगा। इससे गंदगी साफ होने का नाम नहीं ले रही थी। इस पर दोनों समय कचरा उठाव की योजना बनी। पूर्वाह्न नौ बजे तक व शाम सात बजे से सड़कों की सफाई कर कचरा उठाव शुरू कराया गया। इस व्यवस्था में पूरे दिन शहर सड़कों पर कचरा दिखने लगा। जबतक आम जन अपनी मानसिकता नही बदलेंगे तब तक हमारा शहर स्वच्छता रैंकिग में ऊपर नहीं आ सकता।

नप व एनजीओ के पास अलग-अलग संसाधन

शहर की सफाई व्यवस्था को ले नगर परिषद तो अपने संसाधन है। एनजीओ ने अलग से ट्रैक्टर को लगा रखा है। नप के पास दो जेसोबी, तीन स्किल लोडर, तीन ट्रैक्टर, एक जेटिग मशीन है। इन संसाधनों का भी उपयोग एनजीओ करता है। इसके बाद भी शहर साफ-सुथरा नही हो पा रहा है।

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पिछले साल स्वच्छता रैंकिग में बक्सर सबसे अंतिम स्थान पर था, इस बार यह कई शहरों से बेहतर है। अगली बार और भी बेहतर किया जाएगा। कचरा डंपिग यार्ड के लिए भी जमीन जल्द ही मिल जाएगी।

प्रेम स्वरूपम, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, बक्सर।

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