संतान की बुरी शक्तियों से रक्षा को किया मुंडन संस्कार

बक्सर पौराणिक स्थल रामरेखा घाट पर शुक्रवार को मुंडन संस्कार को लेकर श्रद्धालुओं की भ

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Oct 2020 05:21 PM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 02:32 AM (IST)
संतान की बुरी शक्तियों से रक्षा को किया मुंडन संस्कार
संतान की बुरी शक्तियों से रक्षा को किया मुंडन संस्कार

बक्सर : पौराणिक स्थल रामरेखा घाट पर शुक्रवार को मुंडन संस्कार को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी हुई थी। मान्यता है कि बच्चों के गर्भ के बाल उतार दिए जाने से उनकी बुरी शक्तियों से रक्षा होती है। इसे लेकर दूरदराज से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु अपने स्वजनों के साथ निजी वाहनों से घाट स्थल तक पहुंचे हुए थे।

कर्मकांडियों के अनुसार हिन्दू धर्म में 16 संस्कारों में मुंडन एक महत्वपूर्ण संस्कार है। यह प्रथा सदियों से चली आ रही है। मौके पर घाट के पंडों ने बताया कि बालकों का मुंडन विषम वर्षों में यानी कि 3,5 व 7 वर्ष की आयु में किया जाता है। हालांकि कन्याओं का मुंडन संस्कार सम वर्षों में करने का रिवाज है। इस बाबत पंडित अमरेंद्र कुमार मिश्र बताते हैं कि वैसे तो नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा आदि तिथियों को छोड़कर अन्य तिथियों में मुंडन कार्य किए जाने की प्रथा है। लेकिन विजयादशमी से पूर्णिमा तक लोकाचार में इन पांच दिनों को शुभ माना गया है। दरअसल, इस तिथि में माता सीता जी के आगमन होने से इन पांच दिनों को लोग शुभ दिन की ²ष्टिकोण से देखते है। इसी को लेकर शुक्रवार को लोग बच्चों के मुंडन हेतु घाट पर पहुंचे हुए थे। हालांकि, इससे पूर्व भी श्रद्धालु नवमी व दशमी तिथि में बच्चों के मुंडन कराने पहुंचे हुए थे।

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