चौसा के गौरवशाली इतिहास को सहेजने के लिए मनरेगा का सहारा

बक्सर चौसा के पिटू बाबा ़िफराक जलालपुरी की एक गजल ..था तू ये बता की तेरा कारवां क्यूं रु

By JagranEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 04:11 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 04:11 PM (IST)
चौसा के गौरवशाली इतिहास को सहेजने के लिए मनरेगा का सहारा
चौसा के गौरवशाली इतिहास को सहेजने के लिए मनरेगा का सहारा

बक्सर : चौसा के पिटू बाबा ़िफराक जलालपुरी की एक गजल ..था तू ये बता की तेरा कारवां क्यूं रुका, मुझे रहजनों से गिला नहीं, लेकिन ये तेरी रहबरी का सवाल है.., के माध्यम से सरकार से सवाल पूछते हैं। उनका सवाल चौसा के उस ऐतिहासिक युद्धस्थल के संदर्भ में है, जहां शेरशाह ने मुगल शासक हुमायूं को पराजित किया था। 10 साल पहले जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सेवा यात्रा पर निकले थे तब बक्सर प्रवास के दौरान एक दिन इसी मैदान में बने भवन में गुजारा था। तब विरासत को संवारने के लिए कई घोषणाएं हुई थीं।

बाद में सूबे में पर्यटन विकास के रोडमैप में इसे शामिल किया गया, लेकिन आज यह विरासत गुमनामी में है। पुरातत्व विभाग की खोदाई में मिले पांच हजार साल पुराने अवशेषों व मूर्तियों को पटना संग्रहालय में रख दिया गया। तब कहा गया कि चौसा में जब म्यूजियम का निर्माण होगा तो यहां से मिले अवशेष यहीं रखे जाएंगे। बाद में न म्यूजियम बना और न ही पर्यटको को लुभाने के लायक को ढांचा तैयार हुआ। दो साल पहले तत्कालीन जिलाधिकारी राघवेन्द्र सिंह की पहल पर विरासत के सुंदरीकरण के लिए मनरेगा से योजना तैयार की गई। लगभग 50 लाख रुपये की लागत से तैयार योजना पर काम अभी चल रहा है। इस राशि से बक्सर-कोचस मुख्य मार्ग से युद्ध स्थल तक जाने के लिए सड़क की पीसीसी ढलाई हुई है और मैदान को लोहे के ग्रिल से घेरा जा रहा है। हालांकि, पिछले दिनों चौसा के नगर पंचायत में शामिल होने के बाद इस योजना पर भी संशय के बाद मंडराने लगे हैं। प्रखंड के कार्यक्रम पदाधिकारी अजय सहाय ने बताया कि नगर पंचायत बनने के बाद अब मनरेगा के नया काम नही कराया जा सकेगा।

अब विरासत संवारने की जिम्मेवारी नगर पंचायत की

चौसा नगर पंचायत बन गया है, जो अब अस्तित्व में भी आ चुका है। चौसा ऐतिहासिक स्थल का क्षेत्र भी नगर पंचायत में होने से अब विरासत संवारने की जिम्मेवारी भी नगर पंचायत पर आ गई। अब आगे क्या- क्या विकास किया जाएगा। इस विकास का आगे भविष्य तय करेगा। इससे पहले स्थानीय प्रशासन ने भी राज्य पर्यटन विभाग को विकास सम्बन्धी प्रस्ताव भेजा गया था। जिसमें पहुंच पथ तक दोनों ओर लाइटिग, संग्रहालयय, गेस्ट हाउस, शौचालय एवं पार्क का निर्माण, शीला पट्ट पर दोनों शासकों के बीच युद्ध की सचित्र नक्कासी और पार्किंग आदि के प्रस्ताव दिए गए हैं। इस पर अभी कोई पहल नहीं हुई है।

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