कोविड-19 पार्ट टू : डिजिटल शिक्षा के अनुरूप ढ़ल रहे शिक्षक और छात्र

बक्सर निशांत रोहित आदित्य शिवानी और पलक सहित कई छात्र-छात्राएं डुमरांव के कैम्ब्रिज स्

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 09:49 PM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 09:49 PM (IST)
कोविड-19 पार्ट टू : डिजिटल शिक्षा के अनुरूप ढ़ल रहे शिक्षक और छात्र
कोविड-19 पार्ट टू : डिजिटल शिक्षा के अनुरूप ढ़ल रहे शिक्षक और छात्र

बक्सर : निशांत रोहित आदित्य, शिवानी और पलक सहित कई छात्र-छात्राएं डुमरांव के कैम्ब्रिज स्कूल में कक्षा चार में पढ़ते हैं। जबकि सौम्या, अराध्या सुमन, विनीत, अनुराग, अमृत और शिम्पी सहित पांचवीं और छठी क्लास के बच्चे हैं। सात से ग्यारह वर्ष के बच्चे सोमवार से शुक्रवार रोज ठीक साढे साढे छह बजे स्कूल जाने के लिए तैयार हो जाते थे। अब कोरोना महामारी पार्ट टू की दौर में ये बच्चे न तो अपने कमरे के बाहर कदम रखते हैं और न यूनिफॉर्म पहनते हैं। बस ईयरफोन लगाते हैं, जूम एप चालू करते हैं और लॉग-इन करके डिजिटल क्लास रूम से जुड़ जाते हैं।

हरेक डिजिटल कक्षा 40 मिनट की होती है और इसमें उनके साथ उनके शिक्षक और सहपाठी भी जुड़े होते हैं। वर्गानुसार कक्षाएं सुबह 8.30 बजे से शुरू होकर देर शाम 8.45 तक चलती हैं। पिछले बार की तरह इस बार स्कूल प्रबंधन और बच्चे अपना समय बर्बाद करना नहीं चाहते हैं। पिछले 15 अप्रैल से बच्चे ऑनलाइन रहकर अपने असाइनमेंट पूरा करने में जुट गए हैं। अब डिजिटल कक्षाओं में इन छात्र-छात्राओं का मन भी लग रहा हैं। यह केवल एक स्कूल की बात नहीं है। नगर के ज्यादातर स्कूल के शिक्षक और इन स्कूलों के बच्चे वैश्विक महामारी के दौरान डिजिटल शिक्षा के अनुरूप ढ़ल रहे हैं।

वक्त के साथ ढलना जरूरी

निजी स्कूल के शिक्षकों में एसके पांडेय, राबिन राय, प्रवीण राय, दिनेश सिंह, आकांक्षा, दामिनी और पूनम पांडेय सहित कई शिक्षकों का कहना है कि कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार द्वारा स्कूल बंद रखने के निर्देश जारी होते ही छात्रों का पाठ्यक्रम पूरा कराने के उद्देश्य से नियमित रूप से ऑनलाइन क्लास की प्रक्रिया शुरू की गई हैं। पिछले साल सोचने में ही शिक्षक और बच्चों का ज्यादातर समय व्यतीत हो गया। अब धीरे-धीरे बच्चे व अभिभावक भी डिजिटल शिक्षा के अनुरूप ढल रहे हैं।

कोविड-19 के झटके ने बहुत कुछ सिखाया

कोरोना संक्रमण ने जहां जीवन को नए सिरे से जीने का रास्ता दिखाया हैं वहीं अकेले रहने की मानवीय क्षमता एवं स्वयं के साथ नए प्रयोग के लिए प्रेरित भी किया है। कैम्ब्रिज स्कूल डुमरांव के सेक्रेटरी टीएन चौबे ने कहा कि इस विषम परिस्थिति से शीघ्र निकलने के लिए शिक्षाविद और शिक्षार्थी नए सिरे से सोचने के लिए विवश हैं। कोविड-19 के दूसरे झटके ने शिक्षण, अधिगम एवं मूल्यांकन को एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया है। साथ ही अब इसके पुन: मूल्यांकन की भी आवश्कता है।

डिजिटल शिक्षा का जटिल कारक है इंटरनेट प्रोब्लम

फिलहाल ऑनलाइन शिक्षा की क्षेत्र में इंटरनेट कनेक्टिविटी सबसे जटिल समस्या हैं। कोरोना संक्रमण से पहले भी अनुमंडल इलाके में मुरार राधास्वामी में संचालित वोकेशनल कोर्स सहित कई शिक्षण संस्थानों में दूरस्थ शिक्षा उपकरणों का उपयोग करके पठन और पाठन कार्य बहुत पहले से चल रहे हैं। हांलाकि पिछले एक साल से कोरोना संक्रमण को लेकर जारी लॉकडाउन के दौरान इलाके के स्कूलों और कॉलेजों में डिजिटल शिक्षा में वृद्धि हुई है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के छात्रों में ऑनलाइन शिक्षण में इंटरनेट कनेक्टिविटी सबसे बड़ी समस्या हैं। गांवों में रहने वाले छात्र-छात्राओं में रविराज तिवारी, आकृति कुमारी, मुस्कान कमारी और रोहित पांडेय सहित कई छात्र-छात्राओं ने बताया कि गांवों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या डिजिटल पढ़ाई में रोड़ा हैं।

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