खेतों में पुआल जलाने के बदले उसे बनाएं समृद्धि का जरिया
बक्सर। हर साल धान की फसल कटने के बाद किसान फसल अवशेष को खेतों में ही जला देते हैं। इससे वातावरण प्रदूषित होता है। इस साल भी अब कुछ ही दिनों में धान की फसल कटने लगेगी।
बक्सर। हर साल धान की फसल कटने के बाद किसान फसल अवशेष को खेतों में ही जला देते हैं। इससे वातावरण प्रदूषित होता है। इस साल भी अब कुछ ही दिनों में धान की फसल कटने लगेगी। ऐसे में कृषि विभाग इस बार किसानों को पुआल जलाने के बजाय उसे आय का जरिया बनाने के लिए प्रेरित कर रहा है।
कृषि विज्ञानी डा. देवकरण ने बताया कि खेतों में पुआल जलाने से न सिर्फ वातावरण प्रदूषित होता है, बल्कि इससे मिट्टी की सेहत पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। इस दिशा में निरंतर किए गए अनुसंधानों के बाद पुआल को उपयोग में लाने के लिए कई प्रकार के यंत्र विकसित किए गए हैं। इन यंत्रों की मदद से किसान पुआल को कमाई का जरिया बना सकते हैं। खेत के फसल अवशेष को उसी खेत में मिला देने से नाइट्रोजन 5.5 किलो, फास्फोरस 2.5 किलो, पोटाश 23 किलो, सल्फर दो किलो तथा आर्गेनिक कार्बन 400 किलो प्राप्त होता है। यह सारे तत्व मिलकर मिट्टी की उर्वरा शक्ति में फिर से नई जान फूंक देते हैं। पुआल प्रबंधन में उपयोगी कृषि यंत्र:
कृषि विज्ञानियों ने निरंतर शोध के बाद स्ट्रा बेलर, हैप्पी सीडर, जीरो ट्रिल सीड-कम-फर्टिलाइजर ड्रील, रीपर कम बाइंडर, स्ट्रा रीपर, रोटरी मल्चर आदि कई यंत्रों का विकास किया है। इन मशीनों का उपयोग कर किसान खेत के फसल अवशेषों से कम्पोस्ट बनाने के अलावा पुआल की गांठ और बिचाली बनाने में कर सकते हैं। कृषि विज्ञानी ने बताया कि इनमें हैप्पी सीडर एक ऐसा यंत्र है, जो धान की कटाई के बाद फसल अवशेषों के खेत में रहते हुए गेहूं की बोआई करता है। इससे गेहूं की फसल में पानी की कम जरूरत पड़ती है और पैदावार भी बढ़ जाता है।