बेल पर संक्रमण का ताला, जेल में ठूंस कर भरे जा रहे बंदी

बक्सर कोरोना काल में न्यायालय में लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। दूसरी तरफ मामूल

By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 04:43 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 05:47 PM (IST)
बेल पर संक्रमण का ताला, जेल में ठूंस कर भरे जा रहे बंदी
बेल पर संक्रमण का ताला, जेल में ठूंस कर भरे जा रहे बंदी

बक्सर : कोरोना काल में न्यायालय में लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। दूसरी तरफ मामूली मामलों में भी जेल जाने वाले लोगों को बेल नहीं मिल रही है। सेंट्रल जेल में क्षमता से दोगुने से ज्यादा कैदी भर गए हैं। ऐसे में जेल में संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ ही रही है। अधिवक्ताओं का कहना है कि पिछले एक महीने से जमानत की किसी भी याचिका पर सुनवाई नहीं हुई है, ना ही कोई कैदी जेल से छूटे हैं।

बताया जा रहा है कि तकरीबन एक हजार से ज्यादा जमानत आवेदनों को दाखिल तक नहीं किया जा सके हैं। संक्रमण काल में न्यायालय के सभी तरह की गतिविधियां बंद पड़ी हुई हैं। अधिवक्ताओं का कहना है कि उच्चतम न्यायालय के द्वारा सात साल से कम सजा मामले में लोगों की गिरफ्तारी पर रोक लगाई है, लेकिन ना तो पुलिस कर्मियों के द्वारा और ना ही निचली अदालतों के द्वारा इस बात का अनुपालन किया जा रहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता रेणु रणविजय ओझा बताते हैं कि जिस प्रकार पिछले कोरोना काल में वर्चुअल मोड में सुनवाई हो रही थी, वैसा इस बार नहीं हो रहा है। जबकि, व्हाट्सएप से वीडियो कॉलिग या ग्रुप कॉलिग के माध्यम से सुनवाई की प्रक्रिया की जा सकती है। जिससे कि लोगों को राहत होगी, साथ ही साथ न्यायालय में भी लंबित मामलों का बोझ नहीं बढ़ेगा। अधिवक्ता उमेश कुमार बताते हैं कि वर्तमान परिस्थिति में जेल ओवरलोड हो गया है। पुलिस लोगों को पकड़कर न्यायालय के समक्ष ला रही है, उसी तरह न्यायिक मजिस्ट्रेट उसे फॉरवर्ड भी कर दे रहे हैं।

केंद्रीय कारा में 18 सौ हुए कैदी

जेल सूत्रों के अनुसार जेल में भी क्षमता से बहुत अधिक कैदी वर्तमान में रह रहे हैं। सेंट्रल जेल में 777 कैदियों के रखे जाने की व्यवस्था है। वहीं, वर्तमान में कैदियों की संख्या तकरीबन 18 सौ पहुंच गई है। ऐसे में वार्डों में ठूंस-ठूंस कर कैदियों को रखना मजबूरी है। कैदियों की संख्या ज्यादा होने से उन्हें मिलने वाली सुविधाओं में भी कमी आना लाजमी है। जेल सूत्र बताते हैं कि, शौचालय अथवा स्नानागार का प्रयोग करने के लिए कैदियों को लंबी लाइन लगानी पड़ती है। कोरोना गाइडलाइंस का तो यहां कोई मतलब ही नहीं है।

14 दिनों के लिए बिक्रमगंज भेजे जा रहे हैं कैदी

बक्सर केंद्रीय कारा में कैदियों की बड़ी संख्या को देखते हुए संक्रमण से बचाव के लिहाज से कैदियों को बिक्रमगंज मंडल कारा भेजने की व्यवस्था की गई है। जहां से 14 दिन के बाद उन्हें पुन: बक्सर जेल में स्थानांतरित कर दिया जाता है। यहां भी उन्हें तकरीबन एक हफ्ते तक अति उच्च सुरक्षा वार्ड (अंडा सेल) में रखा जाता है जिसके बाद उन्हें अन्य कैदियों के साथ दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया जाता है। अधिवक्ता रेणु रण विजय ओझा ने बताया कि बिक्रमगंज जेल भेजे जाने के बाद भी परेशानियां बढ़ जाती हैं। वहां से वकालतनामा लाना हो अथवा कैदियों के परिजनों को कैदियों से मुलाकात करनी हो, सभी मामलों में काफी परेशानी होती है।

अधिवक्ता संघ ने की 25 मई तक नो वर्क की घोषणा

जासं, बक्सर: पटना उच्च न्यायालय के रजिस्टार जनरल नवनीत कुमार पांडेय के द्वारा पत्र जारी कर आगामी 22 मई तक न्यायालय के कामकाज के संदर्भ में पूर्व से लगाए गए प्रतिबंध जारी रखने की बात कही है। वहीं, जिला अधिवक्ता संघ के महासचिव गणेश ठाकुर ने एक सूचना जारी करते हुए अधिवक्ताओं से यह अनुरोध किया है कि, वह आगामी 17 मई से 25 मई तक खुद को न्यायिक कार्यों से अलग रखें। महासचिव ने कहा है कि ऐसा कर कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को कम किया जा सकता है। हालांकि, कुछ अधिवक्ता हाइकोर्ट के गाइडलाइन के अनुसार ऑनलाइन मोड में सुनवाई शुरू करने की बात कह रहे हैं।

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