स्याह वर्तमान में अपने स्वर्णिम अतीत को तलाश रहा जीएस उच्च विद्यालय

रोहतास कभी अपनी छाया में मेधा को संवारने वाला विद्यालय आज स्याह वर्तमान में अपने स्वर्णिम अतीत

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 09:40 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 09:40 PM (IST)
स्याह वर्तमान में अपने स्वर्णिम अतीत को तलाश रहा जीएस उच्च विद्यालय
स्याह वर्तमान में अपने स्वर्णिम अतीत को तलाश रहा जीएस उच्च विद्यालय

रोहतास : कभी अपनी छाया में मेधा को संवारने वाला विद्यालय आज स्याह वर्तमान में अपने स्वर्णिम अतीत को तलाश रहा है। 1951 में स्थापित संझौली गौरी शंकर उच्च विद्यालय संझौली का कभी स्वर्णिम इतिहास रहा है। इस विद्यालय में एक से बढ़कर एक विभूतियों ने शिक्षा ग्रहण की और राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर विद्यालय को गौरवान्वित किया। गीता का अंग्रेजी अनुवाद करने वाले व राष्ट्रीय प्रेमचंद पुरस्कार से सम्मानित सुप्रसिद्ध लेखक व आइएएस डा. भगवतीशरण मिश्र इसी विद्यालय के छात्र रहे थे। यहां के पढ़ें कई विद्यार्थियों ने बिहार के शिक्षा व्यवस्था में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

यहां के छात्र कुलपति और जज तक बने। अपनी शैक्षणिक व्यवस्था एवं अनुशासन के लिए क्षेत्र में मशहूर यह विद्यालय वर्तमान में प्रशासनिक उदासीनता के कारण अपने स्वर्णिम अध्याय को दुहराने के लिए जद्दोजहद कर रहा है। संझौली के बनमाली मिश्र द्वारा दान में दी गई जमीन पर 1951 में इस विद्यालय की स्थापना की गई थी। 2014 में इसे उच्च माध्यमिक का दर्जा प्राप्त हुआ, परंतु यहां छात्र-छात्राओं के अनुपात के मुताबिक न शिक्षक हैं और न भवन। विद्यालय में शौचालय व पेयजल की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। इस विद्यालय में कुल 1136 छात्र-छात्रा नामांकित हैं। जहां मात्र 18 शिक्षक हैं। उच्च विद्यालय में 614 पर 12 व उच्च माध्यमिक में 522 पर मात्र छह शिक्षक कार्यरत हैं। उर्दू, भूगोल, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, वनस्पति विज्ञान, जंतु विज्ञान, मनोविज्ञान के शिक्षक नहीं है। अंग्रेजी के लिए अतिथि शिक्षक हैं। वर्तमान में कार्यरत शिक्षक विद्यालय के उन विभूतियों से भी अनभिज्ञ हैं, जिन्होंने कभी यहां से पढ़कर विद्यालय को गौरवान्वित किया था। हालांकि विद्यालय में पदस्थापित शिक्षक शिक्षण व्यवस्था को बेहतरी लाने को प्रयासरत दिखते हैं।

इस विद्यालय के कई छात्र उच्च पदों पर रहे आसीन

इस विद्यालय के कई छात्र आगे चलकर उच्च पदों पर आसीन हो इसका मान बढ़ा चुके हैं। जिसमें सुप्रसिद्ध लेखक व आइएएस डा. भगवतीशरण मिश्र ने सौ से भी ज्यादा पुस्तकें और ग्रंथ लिखे हैं। बिहार सरकार के राजभाषा विभाग के निदेशक व रेलवे मंत्रालय में भी अधिकारी रहे थे। वे शिवहर के डीएम भी रह चुके हैं। इसी विद्यालय के पढ़ें बेनसागर के विश्वनाथ सिंह मोतीहारी , भोजपुर, वैशाली के जिला जज का पद और यहीं से पढ़ें बलराम सिंह मुजफ्फरपुर विश्वविद्यालय के कुलपति का पद सुशोभित कर चुके हैं। वहीं उदयपुर के मुनमुन प्रसाद वर्मा नेतरहाट विद्यालय के कोष अधिकारी, मगध और वीर कुंवर सिंह विवि के वित्त अधिकारी के पद पर, जबकि फूलन प्रसाद वर्मा विनोबा भावे विवि झारखंड के कुलपति के पद पर रह चुके है।

यहां से पढ़े विभूतियों के बारे में छात्रों को बताने की जरूरत

जानकार बताते हैं कि विद्यालय से पढ़ें विभूतियों के बारे में छात्रों को बताने से वे अधिक मोटिवेट हो सकते हैं। उनकी जीवनी से वे सबक लेकर खुद को संवार सकते हैं। न्यायाधीश विश्वनाथ सिंह की बहू किरण कुमारी इसी विद्यालय में शिक्षिका है। बताती हैं, यह हमारे लिए गर्व की बात है कि जिस विद्यालय से ससुर पढ़कर अच्छे ओहदे पर गए, वहां की मैं शिक्षिका हूं। शिक्षक कलीम अख्तर कहते हैं कि जो संसाधन हैं, उसी में हम सब छात्रों को बेहतरी प्रदान करने की कोशिश रहें हैं।

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विद्यालय का अतीत जितना स्वर्णिम है वर्तमान में उतनी ही समस्या है। पेयजल के अलावा छात्राओं के लिए शौचालय तक नहीं है। फिलहाल विद्यालय में 450 छात्राएं पढ़ती है। छह और कमरों की आवश्यकता है। शिक्षकों की भी घोर कमी है। 40 छात्रों पर एक शिक्षक के अनुपात में दस और शिक्षकों की आवश्यकता है।

सुरेंद्र सिंह, प्रधानाचार्य

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