बक्सर के आशा पड़री से छोटका सिंहनपुरा तक भगवान भरोसे सफर

बक्सर। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अन्तर्गत आशा पड़री से लेकर छोटका सिंहनपुरा संपर्क मार्ग से सफर करना खतरे से खाली नही है। क्योंकि यात्रा के दौरान जिदगी की डोर कहां टूट जाएगी कहना मुश्किल है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 04:32 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 04:32 PM (IST)
बक्सर के आशा पड़री से छोटका सिंहनपुरा तक भगवान भरोसे सफर
बक्सर के आशा पड़री से छोटका सिंहनपुरा तक भगवान भरोसे सफर

बक्सर। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अन्तर्गत आशा पड़री से लेकर छोटका सिंहनपुरा संपर्क मार्ग से सफर करना खतरे से खाली नही है। क्योंकि, यात्रा के दौरान जिदगी की डोर कहां टूट जाएगी कहना मुश्किल है। बावजूद इसके क्षेत्रीय लोग अपनी जान जोखिम में डाल असुरक्षित यात्रा करने को विवश हैं। ग्रामीणों की माने तो अपनी दयनीय स्थिति पर तरस खाती यह सड़क अपने सीने पर यात्रियों के मौत का पैगाम लिखे हुए है। परन्तु संबंधित विभाग के अधिकारी समस्या के समाधान की दिशा में आगे आने को तैयार नही हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि करीब 6 किलोमीटर लंबी यह सड़क आशा पड़री, गायघाट, चुन्नीटांड़, छोटका सिघनपुरा आदि गांवों को जोड़ती है। मगर विगत कई वर्षों से इस सड़क की मरम्मती नहीं होने के चलते अब यह पूरी तरह गड्ढे में तब्दील हो चुकी है। कुछ ऐसी ही स्थिति मध्य विद्यालय गायघाट से लेकर मां बरेजी स्थान तक वाली सड़क की है। जो सरकार के ग्रामीण विकास के दावे पर सवाल खड़े कर रही है। सनद रहे कि गढ्ढे का रूप धारण कर चुकी यह सड़क कब भीषण वाहन दुर्घटना का गवाह बन जाए कहा नहीं जा सकता। ऐसा नहीं कि सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के उदेश्य से इस समस्या को लेकर राजनीतिक पैंतरेबाजी नहीं हुई है। धरना प्रदर्शन से लेकर अनिश्चितकालीन आमरण अनशन तक हुआ। मगर स्थिति यथावत बनी रही। अधिकारी से मंत्री तक लोग लगा चुके हैं गुहार

इस सड़क की मरम्मती कराने को लेकर स्थानीय लोगों द्वारा विभागीय अधिकारियों से लेकर मंत्री तक गुहार लगाया जा चुका है। यहां तक कि छोटका सिघनपुरा में आए तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे एवं बिहार सरकार के तत्कालीन परिवहन मंत्री संतोष निराला का भी ध्यान आकृष्ट कराया जा चुका है। बावजूद इसके इस संपर्क मार्ग के स्वरूप में बदलाव नहीं आया। जल जीवन हरियाली को लेकर जिले में प्रस्तावित मुख्यमंत्री की यात्रा के दौरान पूरे मातहतों के साथ जिला पदाधिकारी द्वारा इस मार्ग से यात्रा किया गया था। उस समय लोगों में आशा की किरण जागृत हुई थी कि शायद विभागीय अधिकारियों का ध्यान इस समस्या के समाधान की ओर जाए। लेकिन अंतत: ढाक के तीन पात वाली कहावत ही चरितार्थ हुई। कहते हैं ग्राम पंचायत गायघाट के मुखिया

- गायघाट पंचायत के मुखिया योगेंद्र राय का कहना है कि भले ही मुख्य मार्गो की स्थिति बेहतर हो। लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते संपर्क मार्गों की स्थिति बदहाल है। कई बार इस सड़क की मरम्मत के लिए अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया गया। लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। कहते है लोग...

- छोटका सिघनपुरा गांव निवासी बंधन मिश्रा का कहना है कि सड़क की मरम्मती नहीं होने से लोगों को भारी परेशानियों के दौर से गुजरना पड़ रहा है। अधिकारियों से अनेकों बार गुहार लगाई गई। लेकिन उनकी नजरें इनायत नहीं हुई। - नारद मिश्रा ने कहा कि हजारों लोगों के आने-जाने का यही एकमात्र मार्ग है। जो अब पूरी तरह गड्ढे में तब्दील हो चुका है। सांसद, विधायक से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक इस समस्या के प्रति ध्यान आकर्षित कराया गया। लेकिन स्थिति यथावत बनी हुई है। - शशिकांत मिश्रा का कहना है कि छोटका सिघनपुरा से आशा पड़री वाहन से जाने में पहले मात्र 10 मिनट का समय व्यतीत करना पड़ता था। जो अब आधे घंटे से भी अधिक लग रहा है। इतना ही नहीं वाहन दुर्घटना की भी हमेशा आशंका बनी रहती है।

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