जीवन जीने की कला और कर्म का आधार है गीता

बक्सर स्थानीय प्रखंड के रघुनाथपुर में रविवार को यूएसको द्वारा आयोजित पुस्तक विमोचन तथा विच

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 08:46 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 08:46 PM (IST)
जीवन जीने की कला और कर्म का आधार है गीता
जीवन जीने की कला और कर्म का आधार है गीता

बक्सर : स्थानीय प्रखंड के रघुनाथपुर में रविवार को यूएसको द्वारा आयोजित पुस्तक विमोचन तथा विचार गोष्ठी के अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि गीता से जीवन जीने की कला और कर्तव्य का ज्ञान होता है। हिदी तथा अंग्रेजी के प्रसिद्ध साहित्यकार तथा कवि रामाधार तिवारी आधार द्वारा गीता पर लिखी गई फंडामेंटल ऑफ दी गीता तथा मैं परिदा हूं का अंग्रेजी संस्करण ए व‌र्ड्स ऑन विग नामक पुस्तक का भव्य लोकार्पण किया गया।

इस अवसर पर गीता में कर्मयोग और कर्म सन्यास विषय पर एक विचार गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। इस गोष्ठी का उद्घाटन करते हुए वीकेएसयू के पूर्व कुलपति डॉ. धर्मेंद्र तिवारी ने कहा कि मानव जीवन में दुविधा का समाधान गीता में है। गीता ज्ञान का विज्ञान है। जिससे कर्म का मार्ग प्रशस्त होता है। मुख्य अतिथि के रुप में प्रो. बलिराज ठाकुर ने कहा कि शास्त्र द्वारा निर्धारित सभी जीवों का कल्याण करना ही गीता का कर्म योग है। देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने गीता से ही कर्म योग की प्रेरणा ली थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभागाध्यक्ष प्रो. दिवाकर पांडे ने कहा कि गीता दर्शन को कविता में लिखकर लेखक रामाधार तिवारी ने दर्शन और कविता दोनों को जीवंत कर दिया है। गीता एक आचार शास्त्र है। अपनी पुस्तकों पर विचार व्यक्त करते हुए लेखक रामाधार तिवारी आधार ने स्वीकार किया कि संस्कृत शब्दों के भाव को अंग्रेजी में व्यक्त करने की क्षमता नहीं है। फिर भी गीता ज्ञान को सरल भाषा में लिखा गया है। इससे पूर्व उनके शिष्यों ने उन्हें सम्मानित भी किया। बृज नारायण मिश्र द्वारा वैदिक मंत्रोचार तथा प्रत्यूष चंद्र ओझा द्वारा मंगल गीत गाए गए। इस मौके पर रामनिवास वर्मा शिशिर, शिवदास सरोज तथा रत्नेश ओझा राही द्वारा वसंत और अध्यात्म पर आधारित कविता पाठ किया गया। विचार गोष्ठी में चतुर्भुज प्रसाद ने कहा कि इससे पूर्व रामाधार तिवारी द्वारा हिदी और अंग्रेजी की 5 पुस्तकें लिखी गई हैं। इस अवसर पर ओंकार नाथ पांडे, जगदीश चंद्र ओझा, अखिल कुमार और राजीव रंजन तिवारी द्वारा भी अपने अपने विचार व्यक्त किए गए। संचालन डॉ. ललन कुमार मिश्र और स्वागत भाषण विध्याचल शाही ने किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन अमरजीत कुमार ने किया। गीता दर्शन पर आयोजित विचार गोष्ठी में भक्ति, ज्ञान, कर्म आदि विषयों पर सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए थे।

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