कम पानी में अधिक उपज देने वाले धान से रूबरू हुए किसान

बक्सर जलवायु परिवर्तन के इस दौर में प्रत्येक वर्ष वर्षा में अनियमितता देखने को मिलती है। कम बारि

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 05:29 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 05:29 PM (IST)
कम पानी में अधिक उपज देने वाले धान से रूबरू हुए किसान
कम पानी में अधिक उपज देने वाले धान से रूबरू हुए किसान

बक्सर : जलवायु परिवर्तन के इस दौर में प्रत्येक वर्ष वर्षा में अनियमितता देखने को मिलती है। कम बारिश होने पर किसानों को फसल उत्पादन के लिए अतिरिक्त सिचाई के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इसको देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पटना के वैज्ञानिकों द्वारा स्थानीय जलवायु के अनुरूप कम पानी में भी अधिक उत्पादन देने वाली प्रजाति स्वर्ण श्रेया विकसित की है। किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए केविके ने इस नई प्रजाति का जिले के करीब एक दर्जन गांवों में खेती करते हुए प्रदर्शन किया है।

इसकी जानकारी देते कृषि वैज्ञानिक डॉ. मानधाता सिंह ने बताया कि मात्र 125 दिनों में तैयार होने वाली स्वर्ण श्रेया नामक प्रजाति के धान को बहुत कम पानी की जरूरत होती है। कम पानी की मात्रा में भी यह प्रजाति करीब 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन दे रहा है। किसानों को इस नई प्रजाति के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए पांडेयपट्टी, कुकुढ़ा, छोटकी बसौली, जोगियां, बसही, भदवर, कसियां, पवनी, करहंसी, नवागांव आदि दर्जनों गांवों में किसानों की खेत पर खेती करते हुए केविके ने इसका बेहतर प्रदर्शन दिखाया है। उन्होंने बताया कि धान की यह प्रजाति अधिकतम 125 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, तथा 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक इसका उत्पादन हो रहा है। केंद्र प्रभारी हरिगोविद जायसवाल ने बताया कि इस प्रजाति को अन्य प्रजाति की अपेक्षा 40 प्रतिशत कम पानी की जरूरत होती है। उन्होंने इस प्रजाति के धान को बिहार के अलावा अन्य राज्यों के लिए भी बेहतर बताया। डॉ. देवकरण ने असिचित क्षेत्र के किसानों के लिए इसे उपयुक्त बताया, वहीं पादप विशेषज्ञ रामकेवल सिंह ने बताया कि धान की इस नई प्रजाति में कीटों का प्रकोप कम होने से किसानों का फायदा बढ़ेगा। मौके पर इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता से खुश किसानों ने बताया कि इसकी खेती के बाद उनके खेत भी रबी की तैयारी के लिए जल्द ही खाली हो जाएंगे। धान के प्रदर्शन के अवसर पर क्षेत्र के करीब 80 महिला और पुरुष किसान मौजूद रहे।

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