बगैर निबंधन के चल रहे हैं दर्जनों निजी अस्पताल

नगर तथा आसपास के इलाके में कुकुरमुत्ते की तरह खुल रहे निजी अस्पताल मरीजों का इलाज कम और बीमार ज्यादा कर रहे हैं। नगर में जगह-जगह खुले ऐसे अस्पताल गर्भपात लिग जांच और अन्य कई गैरकानूनी कार्यो के प्रमुख केंद्र बने हैं। ऐसे कार्यों के सहारे मोटी कमाई कर रहे निजी अस्पताल के संचालक रातोंरात मालोमाल हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 14 Dec 2019 04:34 PM (IST) Updated:Sat, 14 Dec 2019 04:34 PM (IST)
बगैर निबंधन के चल रहे हैं दर्जनों निजी अस्पताल
बगैर निबंधन के चल रहे हैं दर्जनों निजी अस्पताल

बक्सर। नगर तथा आसपास के इलाके में कुकुरमुत्ते की तरह खुल रहे निजी अस्पताल मरीजों का इलाज कम और बीमार ज्यादा कर रहे हैं। नगर में जगह-जगह खुले ऐसे अस्पताल गर्भपात, लिग जांच और अन्य कई गैरकानूनी कार्यो के प्रमुख केंद्र बने हैं। ऐसे कार्यों के सहारे मोटी कमाई कर रहे निजी अस्पताल के संचालक रातोंरात मालोमाल हो रहे हैं। जबकि, इनके चक्कर में पड़ने वाले लोग कंगाल हो रहे हैं। निजी अस्पतालों में गर्भपात और लिग जांच का मामला कोई नई बात नहीं है। डुमरांव, भोजपुर और कोरानसराय में अस्पतालों की संख्या तीन दर्जन से अधिक है। जहां बेखौफ लिग जांच और गर्भपात किया जाता है। मामला जितना गंभीर और शर्मनाक होता है। उतना ही अधिक पैसा इसके संचालक वसूल करते हैं। रघुनाथपुर की एक लड़की का गर्भपात ब्रह्मपुर के एक झोलाछाप डॉक्टर और नर्स ने किया था। मामला पुलिस में गया और डॉक्टर तथा नर्स दोनों को जेल की हवा खानी पड़ी। ब्रह्मपुर चौरस्ता पर गलत ऑपरेशन के आरोप में एक डॉक्टर को जेल की हवा खानी पड़ी थी। डुमरांव थाना में नीम-हकीम के करतूत से संबंधित मामला भी दर्ज हो चुका है। 10 दिन पूर्व शहर के एक अस्पताल में बक्सर महिला थाना की पुलिस ने छापेमारी कर गर्भपात के मामले की जांच पड़ताल की थी। जो काफी चर्चा में था। लेकिन, ऐसे फर्जी डॉक्टरों के गलत कारनामा से निजात के लिए कोई कारगर प्रयास नहीं हो रहा है। नया भोजपुर, पुराना भोजपुर के अलावा डुमरांव और कोरानसराय के हिस्से में दर्जनों की संख्या में ऐसे क्लीनिक चल रहे हैं। प्रखंड कार्यालय की समीप तथा शहर के कई नामी-गिरामी और चर्चित अस्पतालों में बेखौफ गर्भपात किया जा रहा है। डॉक्टर के नाम का होता है गलत उपयोग निजी अस्पताल संचालक जनता के आंखों में किस कदर धूल झोंक सकते हैं। इसका गवाह अस्पताल का बोर्ड और अस्पताल का प्रेसक्रिप्शन है। नामीगिरामी और एमबीबीएस तथा सर्जन के नाम पर कंपाउंडर न सिर्फ इलाज करते हैं, बल्कि छोटे-बड़े ऑपरेशन को भी अंजाम दिया जाता है। कई ऐसे डॉक्टरों का बोर्ड निजी अस्पतालों में लगा है। जहां खुद डॉक्टर को भी इसकी जानकारी नहीं है कि मेरे नाम के बोर्ड का इस्तेमाल कहां हो रहा है। निजी अस्पताल संचालक इस धंधे के सहारे रातोंरात धनकुबेर बन रहे हैं। जबकि, प्रशासन मूकदर्शक बना है। इससे लोगों की जेब कट रही है। ग्रामीण इलाके में बैठे झोलाछाप प्रैक्टिशनर कमीशन पर ऐसे अस्पतालों में मरीज रेफर करते हैं और मरीजों को जमकर शोषण किया जाता है।

विभाग के निर्देश पर भी नहीं हो रही है कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग के निदेशक ने ऐसे बगैर रजिस्टर्ड अस्पताल और उसके संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश सभी सिविल सर्जन को दिया है। लेकिन, निदेशक के निर्देश के आलोक में डुमरांव में अब तक किसी झोला छाप डॉक्टर और संचालित फर्जी अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई तो दूर प्रत्यक्ष रूप से जांच-पड़ताल भी नहीं की गई है। डुमरांव में ऐसे अस्पताल और डॉक्टर सक्रिय हैं, जिनको स्वास्थ्य विभाग का ककहरा का ज्ञान नहीं, लेकिन पैसा कमाने के लिए वे काफी सक्रिय हैं।

वर्जन

किस निजी अस्पताल में गर्भपात जैसे संगीन अपराध हो रहे हैं। इसकी जानकारी मुझे नहीं है। किसी ने इसकी लिखित शिकायत भी नहीं दी है। इस कारण मेरे स्तर से कार्रवाई नहीं होती है। शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। 

- डॉ.उषा किरण, सिविल सर्जन, बक्सर

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