मनरेगा और सात निश्चय से निपटना होगी डीएम की चुनौती

नव पदस्थापित जिलाधिकारी अमन समीर के लिए जिले में मनरेगा एवं सात निश्चय योजना के तहत किए गए कार्यों से निपटना बड़ी चुनौती होगी। पूर्व की मनरेगा और हाल की सात निश्चय योजनाओं में जिले में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरती गई है। निवर्तमान जिलाधिकारी द्वारा इन योजनाओं में कराई गई राशि की वापसी और मुखिया पर कार्रवाई इसके प्रमाण हैं। हालांकि उन्होंने अभी इसकी शुरूआत ही की थी कि उनका तबादला हो गया। अब देखना होगा नव पदस्थापित जिलाधिकारी इन योजनाओं में बरती गई अनियमितताओं को किस नजरिए से देखते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Feb 2020 05:16 PM (IST) Updated:Fri, 21 Feb 2020 05:16 PM (IST)
मनरेगा और सात निश्चय से निपटना होगी डीएम की चुनौती
मनरेगा और सात निश्चय से निपटना होगी डीएम की चुनौती

बक्सर : नव पदस्थापित जिलाधिकारी अमन समीर के लिए जिले में मनरेगा एवं सात निश्चय योजना के तहत किए गए कार्यों से निपटना बड़ी चुनौती होगी। पूर्व की मनरेगा और हाल की सात निश्चय योजनाओं में जिले में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरती गई है। निवर्तमान जिलाधिकारी द्वारा इन योजनाओं में कराई गई राशि की वापसी और मुखिया पर कार्रवाई इसके प्रमाण हैं। हालांकि, उन्होंने अभी इसकी शुरूआत ही की थी कि उनका तबादला हो गया। अब देखना होगा नव पदस्थापित जिलाधिकारी इन योजनाओं में बरती गई अनियमितताओं को किस नजरिए से देखते हैं।

जाहिर हो, निवर्तमान जिलाधिकारी द्वारा मनरेगा के अंतर्गत कराई गई जांच में मिली अनियमितता के आलोक में काजीपुर पंचायत के मुखिया अख्तर अली के विरुद्ध की गई कार्रवाई की अनुशंसा के आलोक में पिछले दिनों पंचायती राज विभाग ने मुखिया को बर्खास्त करने का आदेश दिया। उन्होंने कई योजनाओं में प्राक्कलन के अनुसार कार्य नहीं कराया था। एक ही स्थल पर दो योजनाओं के नाम से राशि की निकासी कर ली थी तो बिना कार्य कराए ही सरकारी राशि की निकासी कर ली थी। इन आरोपों के समर्थन में निवर्तमान जिलाधिकारी ने पंचायती राज विभाग को कार्रवाई की अनुशंसा की थी, जिसके आलोक में यह कार्रवाई हुई। बताया जाता है कि उन्होंने और भी कई लोगों पर इस तरह की कार्रवाई की अनुशंसा की है। इसके विपरीत सात निश्चय योजना में भी अनियमितता की जांच शुरू की गई थी। सूत्र बताते हैं कि इसमें भी कई जन प्रतिनिधि कार्रवाई की जद में हैं। शौचालय के पैसों का भुगतान भी होगी चुनौती जिले को खुले में शौचालय मुक्त करने की योजना के अंतर्गत निर्मित शौचालयों का भुगतान आज तक पूरी तरह से नहीं हो पाया है। यहां तक कि निवर्तमान जिलाधिकारी द्वारा वार रूम का गठन किए जाने और समाहरणालय में विशेष कैंप का आयोजन कर इसके भुगतान की व्यवस्था करने के बाद भी अभी भी इसके सभी लाभुकों को भुगतान नहीं हो पाया है। ऐसे में नव पदस्थापित जिलाधिकारी के समक्ष इसकी भी चुनौती होगी कि लाभुकों का भुगतान कराया जाए। एमडीएम की जांच का अभी नहीं हुआ है खुलासा लोकायुक्त के आदेश के आलोक में पिछले जनवरी माह में निवर्तमान जिलाधिकारी राघवेन्द्र सिंह ने जिले के सभी प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में मध्याह्न भोजन की पंजी की जांच का फरमान जारी किया था। इससे संवेदक से लेकर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और विद्यालय स्तर पर हड़कंप मच गया था। जिले के नावानगर प्रखंड में 331.67 क्विटल चावल के मिले अंतर के बाद यह आदेश जारी किया गया था। बताया जाता है कि इसकी जांच अभी चल रही है और इसका खुलासा होना बाकी है। ऑनलाइन के बाद भी लंबित हैं दाखिल-खारिज के मामले जमीनों के दाखिल-खारिज की प्रक्रिया अब ऑनलाइन हो गई है। यह बात और है इसके बाद भी दाखिल-खारिज के मामले जिले में लंबित पड़े हुए हैं। निवर्तमान जिलाधिकारी ने इसके लिए भी प्रखंड स्तर पर विशेष कैंप का आयोजन कराया था। परन्तु, विभागीय सूत्र बताते हैं कि उसके बाद भी लंबित मामलों का पूरी तरह से निपटारा नहीं हो पाया।

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