कार्तिक पूर्णिमा को अद्भुत होगी देव दीपावली

इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर अछ्वुत होगा देव दीपावली का नजारा। ब्रह्मपुर के प्रसिद्ध बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर परिसर के तालाब पर वाराणसी की तर्ज पर आयोजन होगा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 07:04 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 07:04 PM (IST)
कार्तिक पूर्णिमा को अद्भुत होगी देव दीपावली
कार्तिक पूर्णिमा को अद्भुत होगी देव दीपावली

बक्सर। इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर अद्भुत होगा देव दीपावली का नजारा। ब्रह्मपुर के प्रसिद्ध बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर परिसर के तालाब पर वाराणसी की तर्ज पर आयोजन होगा। इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा 23 नवंबर को मनाई जाएगी। बनारस में गंगा नदी के किनारे होने वाली देव दीपावली की परंपरा में यहां भी विशाल तथा दर्शनीय आयोजन होता है। शास्त्रों में कार्तिक मास को श्रेष्ठ बताया गया है।

एक दीपावली वाली कार्तिक मास की अमावस्या मनुष्य लोक में मनाई जाती है। भगवान राम के लंका विजय के बाद अयोध्या आगमन पर लोगों द्वारा दीपावली मनाई जाती है। वहीं, देवलोक में दूसरी दीपावाली देवताओं द्वारा मनाई जाती है। जिसे देव दीपावली कहते हैं। शिवपुराण के अनुसार तारमासुर के तीन पुत्रों ने घोर तपस्या कर ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त कर लिया। वरदान की शक्ति से तीनों राक्षसों ने चारों तरफ आतंक मचा दिया। तब देवताओं ने भगवान शंकर से प्रार्थना की। जिसके बाद शिव ने ब्रह्मा के वरदान के काट के लिए माया रची और फिर तारमसूर के तीनों पुत्रों का संहार कर दिया। उस दिन कार्तिक पूर्णिमा थी। देवताओं ने खुश होकर उस दिन देवलोक में दीपावली मनाई। वहीं, भगवान शंकर को त्रिपुरारी तथा त्रिपुरांतकारी संज्ञा से विभूषित कर उनकी स्तुति की। शैव परंपरा की लोग कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। उसी दिन श्रीहरि से तुलसी का विवाह भी होता है। देव दीपावली के लिए तालाब साफ सफाई कर भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। इसके बाद वरुण देव की पूजा होती है। तत्पश्चात्, तालाब के चारों तरफ मिट्टी के दीए में तिल का तेल डालकर जलाया जाता है। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होकर देवों के साथ दीपावाली मनाते हैं। उस दिन दीपों की लड़ियों से जगमग करता झिलमिल नजारा अछ्वुत होता है।

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