उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से लेकर सिमरी तक गंगा में बहते दिखे शव

बक्सर चौसा के महादेवा घाट के समीप गंगा तट से शवों के लगे होने की खबर मिलने के बाद प्रश

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 10:17 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 10:17 PM (IST)
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से लेकर सिमरी तक गंगा में बहते दिखे शव
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से लेकर सिमरी तक गंगा में बहते दिखे शव

बक्सर: चौसा के महादेवा घाट के समीप गंगा तट से शवों के लगे होने की खबर मिलने के बाद प्रशासन ने वहां सक्रियता दिखाई, लेकिन मंगलवार को भी गाजीपुर के कुतुबपुर से लेकर बक्सर के सिमरी तक कई शव बहते देखे गए। सिमरी थाना क्षेत्र अंतर्गत बीस के डेरा के समीप भी शवों के पाए जाने की सूचना मिली, जहां जिला परिवहन पदाधिकारी मनोज कुमार रजक के निर्देश पर अंचलाधिकारी तथा पुलिस बलों को भेजा गया। इसके अतिरिक्त चौसा बाजार घाट, भैया बहिनी पुल के समीप स्थित गंगा घाट जैसे जगहों पर भी शवों के बहते देखे गए।

इधर, बक्सर प्रशासन द्वारा शव के यूपी की ओर से बहकर आने की बात कही जाने के बाद गाजीपुर जिला प्रशासन ने भी बयान जारी किया है। गाजीपुर जिला पदाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने कहा कि कुछ संप्रदायों में मृत्यु के बाद शव को गंगा में प्रवाहित करने की परंपरा रही है। पूरे हिदुस्तान में कोई भी व्यक्ति कहीं पर जाकर शव को प्रवाहित कर सकता है। ऐसे में यह कहना कि शव गाजीपुर से या किसी अन्य जगह से बहकर शव बक्सर जा रहे हैं, यह कहना उचित नहीं होगा। उन्होंने बताया कि रिवर पेट्रोलिग शुरू कर दी गई है। इसी बीच सोमवार की शाम भभुआ से गाजीपुर शव का जल प्रवाह करने आ रहे लोगों को चेक पोस्ट पर रोका गया तथा उनके स्वजनों के शवों का दाह संस्कार कराया गया।

इसी बीच तफ्तीश लिए जागरण टीम ने सीमावर्ती गाजीपुर जिले के कुतुबपुर गांव के लोगों से पूछताछ की। उन्होंने बताया कि शव बारे, गहमर आदि से भी बह कर आते हैं। राजवंश पासवान ने बताया कि जिन लोगों के पास शवदाह के पैसे नहीं होते वह सीधे गंगा में शवों को प्रवाहित कर देते हैं। अंबिका राय तथा राम राज पासवान का कहना है कि इन दिनों कुछ लोगों की मौत हुई है, जिनकी लाशें गंगा में बहाई गई हैं। चौसा श्मशान घाट पर लकड़ी बेच रहे रामाश्रय सिंह बताते हैं कि वह पिछले दो दिनों से यहां पर लकड़ी बेचने का कारोबार शुरू कर चुके हैं हालांकि घाट पर बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है जिसकी व्यवस्था प्रशासन को करनी चाहिए। डिहरी गांव के अनिल कुमार चतुर्वेदी बताते हैं कि अर्थाभाव के कारण कुछ लोग अपने स्वजन के शव का जल प्रवाह कर देते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को शवदाह की सस्ती व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे जल प्रवाह पर रोक लग सके। सामाजिक कार्यकर्ता अश्विनी कुमार वर्मा का कहना है कि नमामी गंगे के नाम पर अरबों रुपये खर्च हो रहे हैं, लेकिन गंगा किनारे श्मशाम घाटों पर सरकार विद्युत शवदाह गृह की व्यवस्था नहीं कर सकी है।

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