पीपा पुल पर ओवरलोड परिचालन को ले हरकत में आया निगम
बक्सर नैनीजोर में गंगा नदी पर बने पीपा पुल से बालू लदे ओवरलोड ट्रैक्टरों के परिचालन से संब
बक्सर : नैनीजोर में गंगा नदी पर बने पीपा पुल से बालू लदे ओवरलोड ट्रैक्टरों के परिचालन से संबंधित दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होते के बाद पुल निर्माण निगम हरकत में आया है। निगम के अभियंता ने खबर पर संज्ञान लेते हुए पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के पास पत्र भेजकर ओवरलोड वाहनों पर रोक लगाने की गुहार लगाई है। उन्होंने खबर का हवाला देते हुए ओवरलोड वाहनों के परिचालन से पीपा पुल के अस्तित्व पर खतरा बताया है।
पीपापुल के रास्ते बड़े पैमाने पर माफिया ओवरलोड बालू ले जाकर यूपी के गांव में दो से तीन गुने दामों पर बेचते हैं। यह धंधा अरसे से चल रहा है। दैनिक जागरण में ऑन द स्पॉट कार्यक्रम के तहत 23 मार्च को गंगा पर बना पीपा पुल बालू माफियाओं के लिए वरदान और फिर 2 अप्रैल को यूपी में प्रवेश करते ही सोना बन जाता है नैनीजोर का सफेद बालू शीर्षक से खबर छपी। खबर छपने के बाद वरीय परियोजना अधिकारी, कार्य प्रमंडल, आरा के रामविलास यादव ने नैनीजोर पुलिस के साथ जिलाधिकारी, डुमरांव के अनुमंडल अधिकारी और एसडीपीओ के पास पत्र भेजकर ओवरलोड वाहनों के परिचालन पर रोक लगाने का अनुरोध किया है।
पुल के क्षतिग्रस्त होने तथा दुर्घटना की आशंका
वरीय परियोजना अभियंता ने अपने पत्र में कहा है कि नैनीजोर के पीपा पुल से होकर भारी वाहनों का आवागमन निर्धारित क्षमता तथा गति सीमा से अधिक हो रहा है। सवारी गाड़ी पर भी आदमी को ऊपर बैठाया जाता है। रात्रि के समय ओवरलोड ट्रैक्टर से बालू की ढुलाई होती है। जिससे पीपा पुल क्षतिग्रस्त होने तथा अप्रिय घटना की संभावना है। पत्र में यह भी कहा गया है कि ऐसी स्थिति में ओवरलोड वाहनों का आवागमन बंद करने तथा गति सीमा में चलाने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाए। जिससे कोई अप्रिय घटना ना हो। पुल की क्षमता गाड़ी सहित पांच एमटी तथा गति सीमा 20 किलोमीटर घंटा है।
बक्सर और भोजपुर जिले के सक्रिय हैं बालू माफिया
नैनीजोर,चक्की तथा समीपवर्ती भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड के बालू माफिया बड़े पैमाने पर पीपा पुल से रात के समय ओवरलोड बालू ले जाकर बलिया जिले के गांव में बेचते हैं। नैनीजोर में कई जगह सोन का बालू डंप किया गया है और वही से रात के समय सप्लाई की जाती है । सफेद बालों का भी खनन करके बेचा जाता है। इससे पुल का संपर्क पथ पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। जिस कारण उस पार खेती करने वाले किसानों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हैरानी की बात है कि कोरोना संकट काल में भी बाल माफियाओं का यह खेल बदस्तूर जारी है।