कर्ज नहीं चुकाने पर बक्सर का इकलौता इंजीनियरिग कालेज सील

बक्सर जिले का इकलौता उच्च तकनीकी संस्थान विद्यादान इंजीनियरिग कालेज पर बुधवार को ताला लग गया

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 10:22 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 10:22 PM (IST)
कर्ज नहीं चुकाने पर बक्सर का इकलौता इंजीनियरिग कालेज सील
कर्ज नहीं चुकाने पर बक्सर का इकलौता इंजीनियरिग कालेज सील

बक्सर : जिले का इकलौता उच्च तकनीकी संस्थान विद्यादान इंजीनियरिग कालेज पर बुधवार को ताला लग गया। सरफेसी एक्ट के तहत बैंक आफ इंडिया ने अपने साढ़े पांच करोड़ रुपये कर्ज की वसूली के लिए कालेज के सभी प्रवेश द्वार को सील कर दिया। कालेज को डीआरडीओ में वैज्ञानिक रहे डा.एसके सिंह ने गांव वालों के सहयोग से स्थापित किया था। तब देश-विदेश में इस संस्थान की चर्चा हुई थी।

पिछले कुछ वर्षों से वित्तीय संकट झेल रहे संस्थान में पढ़ाई बंद थी। हालांकि, कालेज के पहले और दूसरे बैच के छात्रों का प्रदर्शन अच्छा रहा था और यहां का प्लेसमेंट रिकार्ड भी अच्छा था। कालेज सील करने पहुंचे सोवा व मुख्य ब्रांच के अधिकारियों ने बताया कि कुल पांच करोड़ 55 लाख रुपये अब तक कर्ज नहीं चुकाने पर बैंक पूरे कालेज परिसर को अपने कब्जे में ले रहा है। बैंक द्वारा कालेज प्रबंधन को कर्ज जमा करने के लिए बार बार नोटिस देने के बावजूद बैंक का पैसा नहीं जमा करने पर पटना से मुख्य प्रबंधक पटना रवि कुमार स्थानीय अधिकारियों को लेकर डुमरांव के अंचलाधिकारी सुनील कुमार वर्मा के साथ कार्रवाई पूरी करने पहुंचे थे। अधिकारियों ने बताया कि कालेज प्रमोटर द्वारा 2010 में बैंक से चार करोड़ 45 लाख कर्ज लिया गया था। उसके बाद सोवां शाखा से 20 लाख रुपये लोन लिया गया था। ब्याज नहीं जमा होने की स्थिति में बैंक द्वारा 2012 में खाता को एनपीए कर दिया गया। उस समय बैंक को पांच करोड़ 55 लाख रुपये की वसूली करनी थी, उसके बाद अब तक बैंक को एक पैसा भी नहीं मिल पाया है। लोन के एवज में कुल जमीन 17 एकड़ 8.5 डिसमिल जमीन को बंधक रखा गया था सभी जमीन को बैंक ने अपने कब्जे में ले लिया।

कालेज बंद होने से सैकड़ों युवकों का भविष्य चौपट

अरियांव गांव स्थिति जब ग्रामीण इलाके में इंजीनियरिग कालेज खोला गया तो आस पास के ग्रामीणों सहित अन्य जगहों के लोगों को लग रहा था कि इंजीनियरिग कर लेने के बाद युवकों का भविष्य संवर जाएगा। युवकों ने दाखिला लिया लेकिन बीच में ही इंजीनियरिग की पढ़ाई बंद हो जाने से उनका भविष्य चौपट हो गया। यह संस्थान कभी अनोखे फीस स्ट्रक्चर के लिए चर्चित हुआ था। यहां सालाना फीस के रूप में दुधारू गाय देने की भी व्यवस्था की गई थी, जिससे किसान के बच्चे इंजीनियर बन सकें।

कालेज के प्रमोटर ने बैंक के खिलाफ आरबीआई को लिखा है पत्र

कालेज के प्रोमोटर एसके सिंह ने संस्थान में वित्तीय संकट के लिए बैंक को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने बताया कि इंजीनियरिग कालेज प्रोजेक्ट के लिए दस करोड़ और कर्ज स्वीकृत हुए थे। अचानक बैंक ने वह कर्ज देने से मना कर दिया, जिससे प्रोजेक्ट अधर में लटक गया और संस्थान वित्तीय संकट में आ गया। जिसकी वजह से ऐसे हालात उत्पन्न हुए। जबकि, संस्थान की कुल परिसंपत्तियां लगभग 17 करोड़ रुपये है जो बैंक के पास बंधक है।

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