सिविल सर्जन के रोस्टर की पहले ही दिन ही निकली हवा

बक्सर। सीएचसी की बदहाल व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही। भले ही सीएस द्वारा चिकित्सकों की ड्यूटी से संबंधित रोस्टर जारी कर दिया गया है मगर उनकी कार्य संस्कृति पुराने ढर्रे पर ही संचालित हो रही है। देर से आना और निर्धारित समय से पहले चले जाना उनकी कार्यप्रणाली का हिस्सा बन गया है। सोमवार को भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 11:52 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 11:52 PM (IST)
सिविल सर्जन के रोस्टर की पहले ही दिन ही निकली हवा
सिविल सर्जन के रोस्टर की पहले ही दिन ही निकली हवा

बक्सर। सीएचसी की बदहाल व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही। भले ही सीएस द्वारा चिकित्सकों की ड्यूटी से संबंधित रोस्टर जारी कर दिया गया है, मगर उनकी कार्य संस्कृति पुराने ढर्रे पर ही संचालित हो रही है। देर से आना और निर्धारित समय से पहले चले जाना उनकी कार्यप्रणाली का हिस्सा बन गया है। सोमवार को भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला।

सुबह साढ़े छह बजे से साढ़े नौ बजे तक अस्पताल में कोई भी चिकित्सक मौजूद नहीं था। सुदूर इलाकों से इलाज कराने आए ग्रामीण इधर-उधर भटक रहे थे, कुछ तो बगैर इलाज कराए व्यवस्था को कोसते हुए वापस भी चले गए। हालांकि, सीएचसी के लिए यह कोई नई घटना नहीं है। चूंकि यहां कि व्यवस्था सीएस की ढ़ुलमुल नीति के कारण चिकित्सकों की मनमर्जी पर आश्रित हैं। पिछले सप्ताह तो सीएचसी के सारे डॉक्टर लगातार तीन दिनों तक गायब रहे। इस दौरान इलाज के अभाव में जहां एक नवजात शिशु की मौत हो गई, वहीं मारपीट की घटना में घायल दर्जनों लोगों को इलाज के लिए अनुमंडलीय अस्पताल में शरण लेना पड़ा। विभाग की बदनामी कराने के बाद अंतत: रविवार को सीएस द्वारा अपने कार्यालय में सीएचसी के चिकित्सकों के साथ करीब 4 घंटे तक विचार-विमर्श किया गया। उसके बाद चिकित्सकों की ड्यूटी का रोस्टर बना, परंतु पहले ही दिन उसकी हवा निकल गई। अब यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सीएस का पद दिन प्रतिदिन प्रभावहीन होता जा रहा है ? या फिर उन्हीं के शह पर चिकित्सक ऐसा करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। वैसे विश्वस्त सूत्रों की माने तो डीपीएम कक्ष से सीएस कार्यालय संचालित होने को चिकित्सक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।

मरम्मत के अभाव में बेकार पड़े संसाधन

सीएचसी में मरीजों की सुविधा के लिए लगाए गए संसाधन मरम्मती के अभाव में बेकार पड़े हैं। प्रसूति कक्ष की ऐसी महीनों से खराब है। पंखो की स्थिति कुछ ठीक नही है। रूम के अंदर गर्मी होने पर प्रसूति महिलाएं बरामदे के फर्श पर चादर बिछाकर सोने को मजबूर है। इसके अलावा अस्पताल के अंदर मरीजों के मनोरंजन के लिए लगाई गई टीवी पिछले एक साल से चालू नहीं हुई है। प्रसूति विभाग में महिलाओं के लिए साबुन और टावेल्स की व्यवस्था नहीं है। यहां तक कि अस्पताल का कूलर एक चिकित्सक के आवास की शोभा बढ़ा रहा है। हालांकि, इस संबंध में जब स्वास्थ्य प्रबंधक संजीव रंजन से संपर्क स्थापित किया गया तो उन्होंने कहा कि सुधार की प्रक्रिया जारी है। एक-दो दिनों में सारे संसाधन अप टू डेट हो जाएंगे।

लक्ष्य के करीब पहुंचा सीएस के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की कुव्यवस्था के लिए सीएस को जिम्मेदार मानते हुए लोगों ने उनके खिलाफ हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की है। सोमवार को हस्ताक्षर करने वालों की संख्या 4200 के पार हो गई है, जबकि लक्ष्य 5000 का निर्धारित है। इसके बाद लोगों के हस्ताक्षर युक्त आवेदन स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को अग्रेतर कार्रवाई के लिए भेजा जाएगा। ताकि लोगों को स्वास्थ्य सुविधा का समुचित लाभ मिल सके। इस कार्य में लगे सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि अभी तो यह शुरुआत है, यदि तत्काल व्यवस्था में बदलाव नहीं हुआ तो चरणबद्ध आंदोलन होगा।

बयान :

सीएचसी की व्यवस्था में बदलाव के प्रयास जारी है। चिकित्सकों का ड्यूटी रोस्टर तैयार कर दिया गया है। सबको उसी के अनुरूप कार्य करने की सख्त हिदायत दी गई है। इसमें जो कोई भी चिकित्सक लापरवाही बरतेगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

डॉ.जितेंद्र नाथ, सिविल सर्जन, बक्सर।

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