कोरोना से खबरदार : सख्ती से करें नियमों का पालन
बक्सर जिले में सितंबर में चरम पर पहुंचा कोरोना का ग्राफ अक्टूबर में भले ही नीचे आ गया ले
बक्सर : जिले में सितंबर में चरम पर पहुंचा कोरोना का ग्राफ अक्टूबर में भले ही नीचे आ गया लेकिन, भविष्य में इसको लेकर बेफिक्र होना ठीक नहीं है। वैसे तो कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार में तेजी से हुई गिरावट को लेकर जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने राहत की सांस ली है। परंतु, इसको लेकर लापरवाह होना इसके खतरे को आमंत्रण देने के ही बराबर है। यही वजह है कि विभाग के अधिकारी व चिकित्सक लोगों को कोविड-19 के नियमों का पालन करने को लेकर जागरूक कर रहे हैं।
इन्हीं में से एक हैं सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. भूपेंद्र नाथ जो पिछले दिनों कोरोना वायरस की चपेट में आ गए थे। हालांकि, चिकित्सकों की देखरेख के साथ-साथ मजबूत इच्छा शक्ति और नियमों का पालन करने के बदौलत उन्होंने कोरोना को मात दे दिया और उसके बाद वह अपने दायित्वों व कार्यों के निर्वहन में जुट गए। खास बात यह कि अब वह कोरोना से ठीक होने के बाद अस्पताल में आने वाले मरीजों को भी जागरूक कर रहे हैं। वह लोगों से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के द्वारा गाइडलाइन्स का सख्ती से पालन करने की अपील कर रहे हैं। ताकि, लोग संक्रमण की चपेट में आने से बचें और स्वयं के साथ-साथ अपने परिजनों एवं समाज को सुरक्षित रख सकें।
मानसिक परेशानियों का करना पड़ता है सामना
डॉ. भूपेंद्र नाथ ने बताया जब वह कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आए, तब उन्हें शुरुआती दिनों में डर लगने लगा। डायबिटी•ा और हाइपरटेंशन के मरीज होने के कारण उन्हें भी परेशानियां होने लगी। जिसके बाद वह इलाज के लिए अपने बेटे के पास दिल्ली चले गए। वहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के साथ चिकित्सकों ने उनका इलाज किया। डॉ.भूपेन्द्र ने बताया कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी उन्होंने 14 दिनों तक स्वयं को होम आइसोलेट रखा। ताकि, परिवार के अन्य सदस्यों को संक्रमण का खतरा न हो।
कोरोना से बचने को सामाजिक दूरी है जरूरी : सीएस
सिविल सर्जन डॉ.जितेंद्र नाथ कहते हैं, शुरुआती दिनों में लोगों के बीच जिस प्रकार का माहौल था, घर से बाहर निकलने में भी डर लगता था। जागरूकता के अभाव में लोगों इस बीमारी से बचने की अपेक्षा मरने का डर अधिक सताता था। हालांकि, अब लोग इसको लेकर पैनिक नहीं हो रहे हैं। यह अच्छी बात है लेकिन कोरोना से बचने के लिए आज भी सामाजिक दूरी नितांत ही जरूरी है। वह कहते हैं, मास्क पहनकर एवं सामाजिक दूरी का पालन कर ही इससे बचा जा सकता है। वह कहते हैं जब तक इसकी दवाई नहीं आती तब तक ढिलाई बरतना ठीक नहीं है।