भयमुक्त होकर किया गंगा में स्नान और पतित पावनी से अनुनय-विनय

बक्सर कोरोना बीमारी से भयमुक्त होकर श्रद्धालुओं ने सोमवार को पतित पावनी गंगा में गोते लगाए औ

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 04:12 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 04:12 PM (IST)
भयमुक्त होकर किया गंगा में स्नान और पतित पावनी से अनुनय-विनय
भयमुक्त होकर किया गंगा में स्नान और पतित पावनी से अनुनय-विनय

बक्सर : कोरोना बीमारी से भयमुक्त होकर श्रद्धालुओं ने सोमवार को पतित पावनी गंगा में गोते लगाए और सुख समृद्धि तथा संतान की सलामती को गंगा मइया से अनुनय-विनय किए। जहां, श्रद्धालु महिलाएं पौराणिक स्थल रामरेखाघाट के गंगा तट पर ज्येष्ठ शुक्लपक्ष की निर्जला एकादशी के मौके पर स्नान करने को पहुंची हुई थीं। वहीं, गांव-गलियों से सैकड़ों परिवार मुंडन संस्कार को भी पहुंचा हुआ था। इसके कारण शहर में पूरे दिन चहल पहल बना हुआ था।

दरअसल, कोरोना बीमारी के बढ़ते प्रभाव के कारण धार्मिक स्थलों पर आमजनों की उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए लगी रोक के बाद से लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे थे। हालांकि, अभी भी इस कदर सामूहिक रूप से धार्मिक स्थलों पर एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा हुआ है लेकिन, प्रशासनिक सुस्ती के कारण बेरोकटोक के हजारों की संख्या में श्रद्धालु आज प्रसिद्ध स्थल रामरेखाघाट के गंगा तट पर उमड़ पड़े थे। इस बाबत श्रद्धालुओं ने कहा कि अप्रैल-मई के महीने में लाकडाउन के कारण वे बच्चे का मुंडन संस्कार नहीं करा सके थे। अब कोरोना बीमारी का प्रभाव कम हुआ है तो शुभ दिन देखकर चले आए। बच्चे का मुंडन इस बार नहीं होता तो उन्हें दो साल इंतजार करना पड़ता। क्योंकि, कर्मकांडियों ने बच्चे की उम्र के 3, 5 व 7 साल में ही मुंडन संस्कार कराने के विधान बताए हैं। जिसके तहत सोमवार का दिन अच्छा होने से वे गंगा तट पर पहुंचे हुए हैं। जहां, रीति रिवाज के अनुसार बच्चों के मुंडन संस्कार किए। श्रद्धालुओं ने कहा कि बच्चों के मुंडन संस्कार की यह परंपरा पुरखों से चली आ रही है।

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