उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देने के बाद व्रतियों ने तोड़ 36 घंटे का उपवास

बक्सर सूर्योपासना का महापर्व चार दिवसीय चैती छठ पूजा सोमवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य द

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 09:52 PM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 09:52 PM (IST)
उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देने के बाद व्रतियों ने तोड़ 36 घंटे का उपवास
उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देने के बाद व्रतियों ने तोड़ 36 घंटे का उपवास

बक्सर : सूर्योपासना का महापर्व चार दिवसीय चैती छठ पूजा सोमवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य देकर संपन्न हो गया। हालांकि, इस मौके पर कोरोना संक्रमण को लेकर प्रशासन द्वारा घाटों पर जाने की मनाही थी। इसके बाद भी कुछ लोग गंगा में ही अ‌र्घ्य देने के लिए पहुंच गए। अधिकांश व्रती श्रद्धालुओं ने घरों की छतों पर ही हौज बनाकर शुद्ध जल भरा और आस्था के साथ छठ व्रत को निभाया और भगवान भाष्कर से अपने परिवार और विश्व कल्याण की कामना की।

इससे पूर्व उग हे सुरुज देव, भइले अरघ के बेर.., कांच ही बांस के बहंगिया., केरवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मंडराए..आदि छठी मइया की पारंपरिक गीतों की गूंज लोगों के घरों से तड़के ही सुनाई देने लगी थी। लालिमा के साथ उदित होते सूर्य को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अ‌र्घ्य अर्पित किया। इसके बाद व्रतियों द्वारा प्रसाद ग्रहण कर चार दिनों से चल रहे अनुष्ठान का समापन किया गया। आमतौर पर चौती छठ पर आध्यात्मिक शहर बक्सर में मेला का नजारा रहता है, लेकिन पिछले एक साल से पर्व-त्यौहारों पर कोरोना की नजर लग गई है। पिछले साल भी चैत्र नवरात्र और छठ के समय कोरोना का साया था। इस बार भी स्थिति यही रही। पारण करने के बाद व्रती नई बाजार निवासी चंद्रकला देवी ने बताया कि उनके पूरे परिवार ने भगवान भास्कर को अ‌र्घ्य देकर उनसे कोरोना संक्रमण से मानव जाति को बचाने की प्रार्थना की है।

महाष्टमी की पूजा आज, महानवमी कल

महाष्टमी का व्रत एवं पूजन तथा घर-घर में की जानेवाली मां भगवती उत्पत्ति की पूजा जिसे महानिशा पूजा (नवमी पूजा) के नाम से जाना जाता है आज मंगलवार को संपन्न होगी। वहीं, महानवमी अगले दिन बुधवार को मनाई जाएगी। इस बाबत आचार्य मुक्तेश्वरनाथ शास्त्री ने बताया कि नवरात्रि के समापन से संबंधित पूजन व हवन बुधवार को किया जा सकेगा। जाहिर हो कि, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मोत्सव का पर्व श्रीरामनवमी के रूप में सर्वत्र विशेषकर रामलला की जन्मस्थली अयोध्या और शिक्षा स्थली बक्सर में धूमधाम से मनाई जाती है। पिछले साल की तरह इस बार भी कोरोना संक्रमण को लेकर ऐसा संभव नहीं हो सकेगा।

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