हर्षोल्लास के माहौल में की गई विश्वकर्मा भगवान की पूजा-अर्चना

सृजन के देवता विश्वकर्मा भगवान की पूजा-अर्चना हर्षोल्लास के माहौल में की गई।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Sep 2020 10:35 PM (IST) Updated:Sat, 19 Sep 2020 05:16 AM (IST)
हर्षोल्लास के माहौल में की गई विश्वकर्मा भगवान की पूजा-अर्चना
हर्षोल्लास के माहौल में की गई विश्वकर्मा भगवान की पूजा-अर्चना

आरा। सृजन के देवता विश्वकर्मा भगवान की पूजा-अर्चना हर्षोल्लास के माहौल में की गई। पूजा को लेकर चारों ओर चहल-पहल देखी गई है। घरों से लेकर दुकानों, मोटर गैरेजों, आईटीआई संस्थानों, हार्डवेयर की दुकानों, विद्युत विभाग व लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के दफ्तर समेत अन्य स्थानों पर विश्वकर्मा भगवान की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की गई। वैसे कोरोना काल का पूर्व त्योहारों की भांति विश्वकर्मा पूजा पर असर रहा। श्री विश्वकर्मा मंदिर पंचायती संरक्षण समिति, सतपहाड़ी, आरा के तत्वावधान में श्री विश्वकर्मा मंदिर में हर्षोल्लास के साथ श्री विश्वकर्मा पूजा का आयोजन किया गया, जिसमें काफी संख्या में भक्तों ने सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए सुबह आठ बजे से लेकर रात्रि 10 बजे तक भगवान विश्वकर्मा का पूजन दर्शन के साथ-साथ अपने वाहनों की भी पूजा की। विश्वकर्मा मंदिर कमिटी के अध्यक्ष अशोक कुमार शर्मा के नेतृत्व में मंदिर की साफ सफाई, रंग- रोगन, सजावट से लेकर प्रसाद वितरण तक की व्यवस्था की गई। इसमें लगनदेव शर्मा, रामकुमार शर्मा, चन्द्रभानु गुप्ता, सुरेश विश्वकर्मा, ओमप्रकाश मुन्ना, सत्यदेव शर्मा, मन्टु प्रसाद व रंजीत शर्मा ने सहयोग दिया। इस मौके पर विधान परिषद् सदस्य राधाचरण साह, राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल, भोजपुरी एकाडमी के पूर्व अध्यक्ष चन्द्रभूषण राय, नन्दकिशोर यादव, हाकिम प्रसाद, संजय महासेठ, राकेश रंजन पुतुल, अजीत सिंह, वार्ड पार्षद प्रकाश सिंह, अजय गुप्ता, रामबाबु केशरी, मनमोहन कुमार, दीपक अकेला, कामता आर्य, सुनील विश्वकर्मा, राजकिशोर शर्मा आदि मौजूद थे। इसके अलावा घरों से लेकर दुकानों, मोटर गैरेजों, आईटीआई संस्थानों, हार्डवेयर की दुकानों, विद्युत विभाग व लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के दफ्तर समेत अन्य स्थानों पर विश्वकर्मा भगवान की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की गई। हालांकि कोरोना संक्रमण को लेकर पूजा के दौरान सतर्कता बरतने की बात लोग कर रहे हैं। जहां कभी धूमधाम के साथ ये पूजा होती थी, वहां सामान्य ढंग से पूजा-अर्चना की गई। अधिक भीड़ नहीं दिखी।

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