दिनचर्या बदलकर ग्रामीणों ने दी कोरोना को मात

भोजपुर जिला मुख्यालय आरा से दक्षिण तरारी प्रखंड का इमादपुर गांव। इस गांव की दूरी जिला मुख्यालय से करीब 60 एवं प्रखंड मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 10:20 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 10:20 PM (IST)
दिनचर्या बदलकर  ग्रामीणों ने दी कोरोना को मात
दिनचर्या बदलकर ग्रामीणों ने दी कोरोना को मात

आरा। भोजपुर जिला मुख्यालय आरा से दक्षिण तरारी प्रखंड का इमादपुर गांव। इस गांव की दूरी जिला मुख्यालय से करीब 60 एवं प्रखंड मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर है। कोरोना की दूसरी लहर में सरकारी आंकडे़ के अनुसार इमादपुर गांव कोरोना संक्रमण के मामले में पूरे प्रखंड अव्वल था। लेकिन, इमादपुर के लोगों ने दिनचर्या बदल कोरोना को मात दे दी और मिसाल कायम किया है। शनिवार को जागरण टीम ने इमादपुर गांव की पड़ताल की। पड़ताल के दौरान यह बात सामने आई कि गांव के ग्रामीण अपनी दिनचर्या के अनुसार अब पहले की तरह भीड़ भाड़ में नजर नहीं आ रहे हैं। सरकार के दिशा निर्देशानुसार कोरोना के नियमों का पालन करते हुए शारीरिक दूरी का ख्याल रख रहे है। अपने घरों से भी जरूरत के अनुसार निकल रहे है। यहीं नहीं वहां के लोग आज के इस दौर में पुन: आयुर्वेद की ओर लौट कोरोना से बचने के उपाय ढूंढ रहे हैं।

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पूरे प्रखंड में कोरोना संक्रमण में पहले नंबर पर रहा था यह गांव

कोरोना फेज टू में सरकारी आंकड़े के अनुसार वैसे तो जिले में तरारी प्रखंड दूसरे स्थान पर रहा है। लेकिन, प्रखंड का इमादपुर गांव कोरोना संक्रमण के मामले में पहले स्थान पर काबिज था। अकेले इमादपुर गांव में 65 लोग कोरोना संक्रमित हुए थे। जहां, संक्रमण का कारण बाहरी प्रवासी बताया गया। शनिवार तक इमादपुर गांव के सभी लोग कोरोना संक्रमण से बाहर बताए जा रहे हैं। इमादपुर के लोगों द्वारा संक्रमण के दौरान दवा के साथ-साथ आयुर्वेद जैसे गिलोय, तुलसी, दालचीनी, लौंग, नींबू आदि का काढ़ा का काफी प्रयोग किया गया। इमादपुर गांव की जनसंख्या लगभग पांच हजार है। जबकि, मतदाता करीब तीन हजार है।

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केवल दिखावे का रह गया हैं गांव का स्वास्थ्य उपकेन्द्र

इधर, ग्रामीण विकास पांडेय की मानें तो इमादपुर गांव में चिकित्सा सुविधा के नाम पर उप स्वास्थ्य केन्द्र केवल दिखावे का है, जो काफी जर्जर स्थिति में है जो केवल एक एनएम के सहारे कभी कभार टीकाकरण आदि के नाम पर खुलता है। संतोष पांडेय की मानें तो कोरोना संक्रमण के दिनों में जब कोई सदस्य बीमार होता है तो स्थिति भयावह हो जाती है। गांव में स्थाई रूप से कोई ग्रामीण चिकित्सक भी नहीं है। जिससे कि प्राथमिक इलाज कराया जा सके। बगल गांव की बात की जाए तो लगभग दो कोस की दूरी से ग्रामीण चिकित्सक बुलाने के बाद घंटों बाद पहुंचते हैं। तरारी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, इमादपुर गांव से करीब 10 से 12 किलोमिटर की दूरी पर अवस्थित है। जहां, कोरोना काल में पहुंचना मुश्किल ही नहीं नामुकिन था।

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गांव में तीन बार लग चुका है कैंप

अभी तक स्वास्थ्य विभाग कि ओर से गांव में लगभग तीन बार कैंप लगाया गया है। जिसमें लोगों को जांच के साथ टीका दिया गया ह्रै। स्थाई रूप से यहां कोई चिकित्सा का साधन उपलब्ध नही है। ग्रामीण नवल पांडेय की मानें तो संक्रमण का कारण प्रवासी के साथ-साथ लोगों में प्रचार-प्रसार के साथ जागरूकता की कमी मानी जाएगी। मुन्ना पांडेय उर्फ विकास पांडेय की मानें तो गांव के दो लोगों की मौत कोरोना से ही हो गई है। जिनका इलाज आरा के निजी अस्पताल में चल रहा था। गोपाल शरण पांडेय के साथ सेवानिवृत शिक्षक पत्नी की मौत हो चुकी है। एक हफ्ते के अंतराल में ही दोनों मौतें हो गई थीं।

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पदाधिकारियों का बढ़-चढ़कर सहभागिता नहीं होना प्रचार-प्रसार में बाधा

चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अभयकान्त चौधरी के अनुसार कोरोना काल से पहले सरकार की पहल पर सभी स्वास्थ्य उप केद्रों का जीर्णोद्धार के लिए बुडकों द्वारा सर्वे किया गया था, जो कि कोरोना के चलते बाधित हो गया। प्रचार-प्रसार के संबंध में कहा कि स्थानीय पदाधिकारियों द्वारा कोरोना संक्रमण के दौरान चढ़-बढ़ कर अपनी सहभागिता नहीं देना भी एक मुख्य कारण है।

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