पत्नी की मौत से आहत होकर पेड़-पौधों का बनाया जीवनसाथी

भोजपुर जिले के उदवंतनगर प्रखंड के रघुपुर निवासी 66 वर्षीय सुबेदार यादव वृक्षों के महत्व को बखूबी समझते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 05 Jun 2021 11:11 PM (IST) Updated:Sat, 05 Jun 2021 11:11 PM (IST)
पत्नी की मौत से आहत होकर 
पेड़-पौधों का बनाया जीवनसाथी
पत्नी की मौत से आहत होकर पेड़-पौधों का बनाया जीवनसाथी

आरा। भोजपुर जिले के उदवंतनगर प्रखंड के रघुपुर निवासी 66 वर्षीय सुबेदार यादव वृक्षों के महत्व को बखूबी समझते हैं। यही वजह है कि ये पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधे लगाने और वृक्ष बचाने की मुहिम में जुटे हैं। सुबेदार अपने गांव तथा आसपास के गांवों में पौधारोपण के साथ उसको बचाने के लिए घेराबंदी से लेकर सिचाई तक करते हैं। अब तक सैकड़ों पौधा लगाकर वृक्ष बनाने में सफलता हासिल की है।

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पत्नी की मौत के बाद लिया निर्णय : सुबेदार यादव के अनुसार 16 वर्ष पूर्व उनकी पत्नी की मौत के बाद बहुत दुखी हो गए थे। अपनी जिदगी में आए खालीपन को दूर करने को लेकर पौधारोपण और वृक्ष बचाने के अभियान को जीवन साथी बना लिया। तब से अब तक पीपल, बरगद, पाकड़, नीम आदि पर्यावरणीय पौधे को जीवन देना उनकी दिनचर्या में शामिल है।

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पीपल के पौधे से की अभियान की शुरुआत : पीपल का एक पौधा लगाकर अभियान की शुरूआत की थी। उदवंतनगर प्रखंड के कोहड़ा रघुपुर, कोहड़ा बांध, कसाप, भूपौली, सोनपुरा महाराज टोला में उनका यह अभियान जारी है। इस क्षेत्र में इनके द्वारा लगाए गए कई वृक्ष पर्यावरण संरक्षण में सहायक है।

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बाधक नहीं बनता मौसम : जेठ की दुपहरी हो या कड़ाके की ठंड। वे खुद के लगाए पौधे को एक बार जरूर निहारते हैं। नए पौधों को कंटीली झाड़ियों से घेरा बंदी करते हैं और आसपास की पतवार को साफ करने के बाद पानी देते हैं। गर्मी के दिनों में कहीं-कहीं तो उन्हें आधा किलोमीटर से भी अधिक दूरी से पानी लाना पड़ता है।

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वृक्षों के काटने से हैं दुखी : सुबेदार को दु:ख है कि कभी विकास के नाम पर तो कभी बर्बाद करने की नियत से उनके द्वारा लगाए दर्जनों वृक्ष को काट दिया गया। कोहड़ा बांध के जीर्णोद्धार तथा रेलवे अंडर पास निर्माण के नाम पर लगभग दो दर्जन से ज्यादा वृक्षों को काट दिया गया। वृक्षों को बचाने में जहां पशुओं से काफी परेशानी है, तो वहीं आम लोगों से भी अक्सर विवाद हो जाता है। कहते हैं अगर सरकार की तरफ से किसी तरह की सहायता मिल जाती तो यह अभियान और तेज हो जाता। वैसे भी सुबेदार इलाके के लोगों के लिए नजीर बन गए हैं।

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