भोजपुर के युवाओं ने देश-विदेश में अपनी प्रतिभा का मनवाया लोहा

जिंदगी की असली उड़ान अभी बाकी है/ जिन्दगी की कई इम्तिहान अभी बाकी है/ अभी तो नापी है मुट्ठी भर जमीन हमने/ अभी तो सारा आसमान बाकी है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 11 Jan 2021 10:49 PM (IST) Updated:Mon, 11 Jan 2021 10:49 PM (IST)
भोजपुर के युवाओं ने देश-विदेश में अपनी प्रतिभा का मनवाया लोहा
भोजपुर के युवाओं ने देश-विदेश में अपनी प्रतिभा का मनवाया लोहा

आरा। जिंदगी की असली उड़ान अभी बाकी है/ जिन्दगी की कई इम्तिहान अभी बाकी है/ अभी तो नापी है मुट्ठी भर जमीन हमने/ अभी तो सारा आसमान बाकी है। किसी शायर का उक्त शेर जिले के चंद युवाओं पर सटीक बैठती है। जिले के ऐसे कई युवक-युवतियां हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में अपनी अलग पहचान बनाई है। ये युवा देश-विदेश में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए जिला, प्रदेश व देश का नाम रोशन किया है। विभिन्न अवसरों पर इन युवाओं को इनकी उपलब्धियों के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत अन्य मंत्रियों, पदाधिकारियों व गणमान्य लोगों ने सम्मानित किया है। सम्मानित होने के बाद इन युवाओं में और ऊर्जा का संचार हुआ है। ये अपने-अपने क्षेत्र में और भी आगे जाने का लक्ष्य निर्धारित कर निरंतर सक्रिय हैं। प्रस्तुत है चंद युवाओं की उपलब्धियां।

खेल के क्षेत्र में नूतन कुमारी एक चर्चित नाम है। स्थानीय पूर्वी नवादा निवासी वुशू समेत अन्य खेलों में देश-विदेश में कुल 14 पदक प्राप्त किया है। साथ ही खेल दिवस के अवसर पर छह बार मुख्यमंत्री पुरस्कार से भी पुरस्कृत हुई है। बाली (इंडोनेशिया) में आयोजित सेकंड व‌र्ल्ड जूनियर वुशू चैंपियनशीप और फीफ्थ एशियन वुशू चैंपियनशीप, मकाउ(चाइना) में कांस्य पदक प्राप्त कर भारत का गौरव बढ़ाया। वहीं झारखण्ड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, केरल, उड़ीसा, आन्ध्र प्रदेश समेत अन्य प्रदेशों में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया। अब तक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में दो कांस्य के अलावे राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताओं में दस स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य पदक प्राप्त किया है। कराटे में ब्लैक बेल्ट और ताइक्वांडो में ग्रीन बेल्ट प्राप्त नूतन को अहसास हुआ कि वुशू खेल के माध्यम से देश का नाम रोशन किया जा सकता है, तब से वह अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारत के लिए स्वर्ण पदक प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है। बिहार सरकार द्वारा नूतन को वर्ष 2012 में खेल में उल्लेखनीय योगदान के लिए बिहार सरकार ने पटना समाहरणालय में एलडीसी के पद पर नियुक्त किया गया। नूतन राष्ट्रीय खिलाड़ी के साथ नेशनल कोच व रेफरी भी है। गत वर्ष पंजाब एनआईएस, पटियाला से एक साल का डिप्लोमा किया है। कम उम्र में ही सामाजिक कार्यों का बीड़ा उठाए शैलेश कुमार राय आज युवाओं के लिए रोल मॉडल हैं। जवहीं जगदीशपुर गांव निवासी ओम प्रकाश राय व उषा देवी के पुत्र शैलेश को सामाजिक कार्यों में विशेष पहचान बनाने के कारण शैलेश को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी व वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविद पुरस्कृत कर चुके हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा बहरीन में आयोजित 9 वें अन्तरराष्ट्रीय युवा सम्मेलन में भाग लेकर शैलेश ने प्रदेश व देश का मान-सम्मान अन्तरराष्ट्रीय पटल पर बढ़ाया। शैलेश भारतीय छात्र संसद के बिहार के समन्वयक के रूप में कार्यरत हैं। साथ ही कई संगठनों व कंपनियों के ब्रांड अम्बेसडर के रूप में कार्य कर रहे हैं। शैलेश को अब तक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार, इंडिया कॉन्क्लेव अवार्ड-2018 आदि से सम्मानित किया जा चुका है। भक्तिगीतों में अंजली भारद्वाज का नाम बहुत ही चर्चित है। जिले के उदवंतनगर निवासी विजय पांडेय व मीरा देवी की पुत्री अंजली लगभग डेढ़ दशक पूर्व लागे ला-लागे ला नीक लागे ला..देवी गीत गीत से सुर्खियों में आई। इंटर की छात्रा अंजली अब तक तीन सौ से भी अधिक गीतों को आवाज दे चुकी है। इसने सर्वाधिक गीत अपने चाचा विनय निखिल के अलावा गोविद विद्यार्थी, मनोज मतलबी और मनोज मोहित के गीतों को गाया है। दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई, रांची, धनबाद, बनारस समेत अन्य शहरों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा है। गढहा महोत्सव के अलावा अन्य चर्चित आयोजन में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अंजली का बिग गंगा, भोजपुरी सिनेमा, सूर्या समेत अन्य चैनलों पर भी भक्ति गीतों की अनेकों प्रस्तुति हुई है। वेब, तरंग, एंगल सोनोटेक आदि कंपनी से इसका 25 से अधिक एलबम आ चुका है। उदित नारायण, पवन सिंह, इन्दु सोनाली समेत अन्य चर्चित गायक-गायिकाओं के साथ गाने व मंच साझा कर चुकी है। भगजोगनी, गठबंधन प्यार के और इ पीरितिया टूटे न फिल्मों में बाल कलाकार की भूमिका निभाई है।

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राष्ट्रीय युवा दिवस: स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है राष्ट्रीय युवा दिवस। केन्द्र सरकार ने वर्ष 1984 में इस दिवस की विधिवत घोषणा की थी। इसके बाद 1985 से राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने का सिलसिला शुरु हुआ।

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