भोजपुर में सड़कों पर वाहनों का बढ़ता दबाव ट्रैफिक के लिए संकट
जिले के आरा शहर में ट्रैफिक जाम नासूर समस्या बन गई है।
आरा। जिले के आरा शहर में ट्रैफिक जाम नासूर समस्या बन गई है। लगातार सड़कों पर वाहनों का बढ़ता दबाव ट्रैफिक सिस्टम के लिए संकट बन गया है। प्रति वर्ष भोजपुर जिले में करीब 33 हजार वाहनों का निबंधन होता है। प्रतिदिन चार से पांच हजार वाहनें ग्रामीण क्षेत्रों से आती हैं। एनएच एवं एसएच के कारण हर रोज हजारों वाहन शहर से होकर गुजरती हैं। इसके संकेत परिवहन विभाग से मिला है। अगर एक साल के अंदर निबंधित वाहनों को खड़ा कर दिया जाए तो आरा से पटना तक वाहनों की दो कतारें लग जाएंगी।
हर साल वाहनों के निबंधन में हो रहा इजाफा
जिले में विगत पांच-छह सालों से वाहनों की खरीद एवं निबंधन में इजाफा हुआ है। वित्तीय वर्ष 2019- 2020 में 32345 वाहनों का निबंधन हुआ था। इसी तरह वित्तीय वर्ष 2018-2019 में 31434 वाहनों का निबंधन हुआ था। जिनमें मीडियम एवं हेवी ट्रक और लारी 397, लाइट कामर्शियल और फोर व्हीलर्स 268, , थ्री व्हीलर्स 150, ट्रैक्टर 1412, बस 67, मिनी बस 10, ट्रैक्सी 107 , आटो रिकशा 959, बाइक 27034, कार 659, जीप 160 आदि वाहनें निबंधित की गई थीं। इन वाहनों में सार्वधिक संख्या बाइक की है। वर्ष 2018-2019 की अपेक्षा 2019- 2020 में वाहनों का निबंधन अधिक हुआ है। जानकार सूत्रों की मानें तो वर्ष 2017- 2018 में वाहनों का निबंधन 35896 हुआ था। जिसमें बाइक की संख्या 2991 थी।
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गाड़ियां और आबादी दोनों बढ़ी पर सड़कें ज्यों की त्यों
भोजपुर जिले की वर्तमान में अनुमानित जनसंख्या करीब 33 लाख 67 हजार 661 के आसपास है। इसमें पुरुषों की अनुमानित जनसंख्या 17 लाख 65 हजार 661 के आसपास है। जबकि, महिलाओं की अनुमानित जनसंख्या 16 लाख लाख दो हजार 285 के आसपास है। अगर साल2011 की जनगणना को लें तो भोजपुर की कुल आबादी करीब 27 लाख 28 हजार 407 के आसपास थी। इसमें पुरुषों की संख्या 14 लाख 30 हजार 380 एवं महिलाओं की जनसंख्या 12 लाख 98 हजार के आसपास थी। यानी 10 सालों के अंदर जनसंख्या दर में काफी बढ़ोतरी हुई है। भोजपुर का उदय 1972 के आसपास हुआ था। शहर की सड़क जो उस समय की थी वही आज भी है।
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किस वित्तीय वर्ष में कितनें वाहनों का हुआ निबंधन
- वर्ष 2017- 2018- 35896
-वर्ष 2018-2019 में 31434
- वर्ष 2019- 2020 में 32345
------------ शहर में वनवे सिस्टम को बनाना होगा कारगर
शहर के युवा व्यवसायी बबलू सिंह कहते कि ट्रैफिक सिस्टम को दुरूस्त करने के लिए सबसे पहले शहर में वनवे सिस्टम को कारगर बनाना होगा। शहर के महावीर टोला, बाबू बाजार, स्टेशन-शिवगंज रोड एवं मठिया शिवगंज सपना सिनेमा मोड़ रोड पर वनवे सिस्टम को सख्ती से लागू करना होगा। कोई भी बाहरी चार पहिया वाहनों की इंट्री शहर में सीधे नहीं हो, इसके लिए रूट निर्धारण करना होगा। आरा-बक्सर, आरा-मोहनिया एवं आरा-सासाराम की ओर से आने वाली गाड़ियों को शहर से बाहर से बाहर बाइपास जाने के लिए एक प्लान बनाना होगा। इसका प्रचार-प्रसार करना होगा। रूट मैप गुगल तक पर होना चाहिए। जिससे की लोगों को जानकारी हो सके। जीरो माइल मोड़ के पास स्थायी रूप से हो ट्रैफिक पोस्ट
ट्रासंपोर्टर गुड्डू सिंह बबुआन कहते हैं कि इन दिनों जीरो माइल के पास आए दिन भीषण जाम के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सबसे पहले जीरो माइल के पास स्थायी रूप से ट्रैफिक पोस्ट बनाया जाना जरूरी है। क्योंकि, मोड़ पर आरा-मोहनियां एवं आरा-सासाराम हाइवे से आने वाली गाड़ियों का दबाव अधिक रहता है। बाइपास की सड़कें डबल लेन ही है। ऐसे में नो इंट्री के नाम पर जब बड़े वाहनों को रोक दिया जाता है तो सिर्फ एक लेन की सड़क बच जाती है। इसका भी विकल्प निकालना जरूरी है। सड़कों के किनारे से अतिक्रमण हटाने के लिए भी अभियान चलाया जाना बहुत जरूरी है। शहर में स्थायी रूप से लागू हो वने सिस्टम
वाहन एजेंसी के मालिक बबलू सिंह कहते हैं कि शहर में ट्रैफिक से निजात के लिए स्थायी रूप से वनवे सिस्टम को लागू करना होगा। इसे पूरी तरह कारहर बनाना होगा। वर्तमान समय में वनवे सिस्टम पूरी तरह खत्म है। शहर की सड़कों पर अतिक्रमण हटाना होगा। इसके कारण भी जाम लगने से परेशानी हो रही है। शहर की जो सड़कें गड्ढे में तब्दील हो गई हैं उससे भी जाम लग रहा है। ऐसे में शहर की सड़कों को भी जल्द दुरूस्त करना होगा। तभी इससे निजात संभव है।
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शहर के तीन स्थानों पर बने स्थायी पार्किंग, तभी राहत संभव
शहर के युवा संवेदक प्रशांत सिंह भोलू कहते हैं कि शहर में स्थायी रूप से गाड़ियों को खड़ा करने के लिए पार्किंग का अभाव है। ऐसे में लोग सड़कों पर जहां तहां गाड़िया खड़ी कर देते हैं। जिससे भी आए दिन जाम लगता है। ऐसे में शहर के महावीर टोला, नागरी प्रचारिणी एवं सदर अस्पताल गेट के पास पार्किंग की स्थायी व्यवस्था नगर निगम की ओर से होनी चाहिए। पूर्व में पहल भी हुई थी। लेकिन, इसे मूर्त रूप नहीं दिया जा सका। जिसके चलते आए दिन समस्याएं उत्पन्न होती रहती है।