भोजपुर में मोहर्रम पर नहीं निकला ताजिया जुलूस

जिला मुख्यालय समेत प्रखंडों में मोहर्रम सादगी के साथ मनाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 20 Aug 2021 11:26 PM (IST) Updated:Fri, 20 Aug 2021 11:26 PM (IST)
भोजपुर में मोहर्रम पर नहीं निकला ताजिया जुलूस
भोजपुर में मोहर्रम पर नहीं निकला ताजिया जुलूस

आरा। जिला मुख्यालय समेत प्रखंडों में मोहर्रम सादगी के साथ मनाया गया। इस मौके पर लोगों ने कर्बला के मैदान में शहीद हुए लोगों को याद किया। साथ ही घरों में खिचड़ा समेत अन्य खाने के सामान बनाकर फातिहा किया गया। कोरोना संक्रमण को लेकर जारी गाइड लाइन के अनुसार कहीं भी ताजिया जुलूस नहीं निकाला गया। सिर्फ पहलाम की रस्म अदा की गई। जिसके कारण मुहल्ले में अन्य सालों की अपेक्षा सन्नाटा पसरा रहा। विधि व्यवस्था को लेकर प्रशासन मुस्तैद रहा।

मुहर्रम के अवसर पर शहर में घरों में खिचड़ा समेत अन्य खाने-पीने की चीजे बनाकर फातिहा किया गया। वहीं कोरोना गाइड लाइन के अनुसार ताजिया जुलूस पर पाबंदी के कारण कहीं भी ताजिया नहीं निकाला गया। जिसके कारण मुहल्ले में सन्नाटा पसरा रहा। वहीं स्थानीय महादेवा स्थित इमामबाड़ा में मजलिस व मर्सियाखानी का कार्यक्रम हुआ। सोशल डिस्टेंसिग के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में इमाम हुसैन समेत कर्बला के मैदान में शहीद लोगों को याद किया गया। इस अवसर पर कानपुर से तशरीफ लाए मौलाना नसीम जैदी ने हजरत इमाम हुसैन तथा कर्बला में अन्य शहीदों की कुर्बानी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के युग में इमाम हुसैन की कुर्बानी विशेष महत्व रखती है। क्योंकि इमाम हुसैन ने यजीद जैसे शक्तिशाली तथा अत्याचारी बादशाह का मुकाबला अपने बहुत छोटे कुनबे को लेकर किया, जिसमें 90 साल के शहीद इबने औसजा और उनके छह माह के छोटा बच्चा अली असगर भी शामिल थे। वहीं जेएनयू के छात्र सादैन रजा ने बताया कि मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है। नये साल की शुरुआत इसी महीने से होती है। इसी मोहर्रम महीने में इमाम हुसैन के नवासे समेत अन्य लोगों को को यजीद के द्वारा शहीद कर दिया गया था। यजीद गलत को सही कहता था, लोगों पर जुल्म करता था। यजीद की बातों को इमाम हुसैन नहीं माने और इसका विरोध किया। जिसको लेकर इमाम हुसैन उस वक्त महज 72 लोगों के साथ जंग में खड़े हुए थे, जबकि यजीद लोगों की फौज मे कम से कम 30 से अधिक लोग शामिल थे। जंग के दौरान सभी को य•ाीदो द्वारा बेरहमी तरीके से कत्ल कर दिया गया था। यहां तक कि उन लोगों ने इमाम हुसैन के 6 माह के मासूम बेटे को भी नहीं बख्शा, उसको भी कत्ल कर दिया था।इसके बावजूद भी इमाम हुसैन अपने हक के रास्ते पर कायम थे। पीरो से संवाद सहयोगी के अनुसार अनुमंडल में मुहर्रम को शांतिपूर्ण ढंग से मनाया गया। कोरोना प्रोटोकाल को लेकर ताजिया जुलूस का आयोजन नहीं किया गया। वहीं नगर के भागलपुर, मिल्की, इब्राहिमपुर, पीरो पुरानी बस्ती व इटिम्हां गणेश गांव सहित अन्य जगहों पर परम्परानुसार अन्य औपचारिकताएं पूरी की गई। इस दौरान फातिया व स्थानीय कर्बला में पहलाम की रस्म अदायगी की गई। विधि व्यवस्था को लेकर अनुमंडल प्रशासन काफी मुस्तैद दिखा। शांति व्यवस्था को लेकर सभी संवेदनशील चौक चौराहों पर पर्याप्त संख्या में पुलिस बल के साथ दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त किए गए थे। वहीं लोगों में विश्वास बहाल रखने के लिए बीडीओ मानेंद्र कुमार सिंह के नेतृत्व में अश्वारोही पुलिस बल के जवानों द्वारा पूरे पीरो शहर में फ्लैग मार्च किया गया। यहां पूर्व (वर्ष 2016-17) में ताजिया जुलूस के दौरान हुए सांप्रदायिक झड़प के बाद ताजिया जुलूस को प्रतिबंधित कर दिया गया है।

जगदीशपुर संवाद सहयोगी के अनुसार मोहर्रम के मौके पर वीर कुंवर सिंह की नगरी जगदीशपुर में ताजिया जुलूस व अखाड़ा नहीं निकाला गया। मोहर्रम के दिन भी लोगों में उत्साह व उमंग नजर नहीं आया। लाकडाउन का अनुपालन करते हुए लोगों ने अपने-अपने ताजिया को चौक पर रख कर रस्म अदा की। मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा नगर में 24 ताजिया की कारीगरी देखी गई, जो सिर्फ चौक पर ही रखी गई। सभी ताजिया की कारीगरी एक से बढ़कर एक थी। इस दौरान जहां ताजिया कमेटी के आह्वान पर सभी चौक के ताजियादारों ने अपने-अपने चौक से मिट्टी लेकर किला परिसर में एकत्रित होकर पहलाम की रस्म पूरी की। ताजिया कमेटी अध्यक्ष बाबूदीन मंसूरी ने कहा कि सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए कमेटी के आह्वान पर शहर में ताजिया का जुलूस नहीं निकला और अखाड़ा बाजी नहीं हुई। सभी ताजियादारों ने ताजिया को चौक पर रखकर रस्म अदा की। सहार से संवाद सूत्र के अनुसार मोहर्रम शुक्रवार को सादगी पूर्वक संपन्न हो गया। प्रशासन के सख्त निर्देश का पालन करते हुए समूचे प्रखंड क्षेत्र में मुसलमानों ने अपने अपने घरों में ही मुहर्रम के मौके पर कुरानखानी नियाज फातिहा कर इबादत की। प्रशासन के निर्देश के अनुसार समूचे प्रखंड में कहीं भी ताजिया नहीं बनाया गया। सहार थाना और चौंरी थाना की पुलिस दर्जनों गांव में मुस्तैद रही। लोगों के अपने-अपने घरों में मुहर्रम मनाने से सभी इमामबाड़ा तथा चौक पर सन्नाटा छाया रहा।

उदवंतनगर से संवाद सूत्र के अनुसार शुक्रवार मोहर्रम सादगी पूर्वक संपन्न हो गया। प्रखंड क्षेत्र के बेलाऊर गांव में ताजिया बनाया गया तथा इमामबाड़ा पर रखा गया। मोहर्रम को लेकर पुलिस प्रशासन काफी मुस्तैद रहा।

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