कुमार नयन जैसे बेहतरीन इंसान का न होना बड़ी दु:ख की बात : अरुण कमल
बेहतरीन इंसान का न होना बड़ी दुख की बातबेहतरीन इंसान का न होना बड़ी दुख की बातबेहतरीन इंसान का न होना बड़ी दुख की बातबेहतरीन इंसान का न होना बड़ी दुख की बातबेहतरीन इंसान का न होना बड़ी दुख की बातबेहतरीन इंसान का न होना बड़ी दुख की बात
भोजपुर। सुप्रसिद्ध साहित्यकार कुमार नयन के निधन पर देशज पत्रिका समूह द्वारा वर्चुअल शोक सभा का आयोजन किया गया।
इसमें विभिन्न क्षेत्रों के साहित्यकारों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। वरिष्ठ साहित्यकार कथाकार अवधेश प्रीत (पटना) ने कहा कि कुमार नयन का जाना साहित्य के लिए काफी बड़ी क्षति है। जमालपुर मुंगेर से कुमार विजय गुप्त एवं प्रभात मिलिद ने कुमार नयन को एक बेहतरीन गजल गो बताया। शिमला के गजलकार द्विजेंद्र द्विज ने कुमार नयन को एक बेहतरीन शायर का दर्जा दिया और कहा कि उनके नहीं रहने पर गजल की दुनिया काफी सुनी हो गई है। कोटा राजस्थान से प्रसिद्ध साहित्यकार पत्रकार अतुल कनक ने कहा कि इस समाज में कुमार नयन जैसी शख्सियत का होना बहुत जरूरी था। ऐसे व्यक्ति की बहुत जरूरत है, जो दूसरे को मदद कर रहा था। दिल्ली की मीनाक्षी कांडपाल, ममता जयंत और इंदु बाला ने कुमार नयन को एक सहृदय व्यक्ति बताया और कहा कि इनकी रचनाएं भी हृदय को छूती रही हैं। उनके जाने से हम बहुत दुखी हैं।
जेएनयू के प्रोफ़ेसर देवेंद्र चौबे ने कहा कि कुमार नयन हमेशा किसी भी प्रोग्राम के लिए ना नहीं कहते थे। उनके जैसा व्यक्तित्व होना बहुत मुश्किल है। साहित्य अकादमी से पुरस्कृत रचनाकार अरुण कमल ने कहा कि कुमार नयन के असमय निधन से हम काफी मर्माहत है। उन्होंने बेहतरीन ग़•ाल का लेखन किया है। हमसे काफी जुड़े हुए थे। एक बेहतरीन इंसान का न होना बड़ी दु:ख की बात है। साहित्य समाज उनपर गर्व करेगा।'देशज'पत्रिका के संपादक अरुण शीतांश ने कहा कि कुमार नयन पर केंद्रित एक पुस्तक जहां कोई कबीर जिदा है जल्द आने वाली है। कुमार नयन से हमारा लगाव 30 साल से रहा है। पारिवारिक संबंध रहे हैं। इनके अलावा इलाहाबाद के शैलेंद्र जैय, जयपुर के कृष्ण कल्पित, भोपाल के मणि मोहन, पटना की स्वाति सिंह आरा के युवा आलोचक व कवि अविनाश रंजन, धनबाद के अभिजीत दूबे, अहमदाबाद के प्रभा मजुमदार, नई दिल्ली की मल्लिका मुखर्जी, गीता पंडित आदि ने भी अपना विचार प्रकट किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन धनबाद के सुप्रसिद्ध कवि अनिल अनलहातु ने व्यक्त किया।
जन संस्कृति मंच ने बहुआयामी प्रतिभा के धनी हरदिल अजीज साहित्यकार-संस्कृतिकर्मी कुमार नयन के निधन पर गहरी शोक संवेदना जाहिर करते हुए इसे प्रगतिशील-जनवादी साहित्य-संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति बताया है। वरिष्ठ आलोचक रामनिहाल गुंजन, कथाकार सुरेश कांटक, कवि-आलोचक जितेंद्र कुमार, कवि-कथाकार सिद्धनाथ सागर, कवि सुमन कुमार सिंह, सुनील श्रीवास्तव राकेश दिवाकर, सुधीर सुमन, सिद्धार्थ बल्लभ, रविशंकर सिंह, आशुतोष कुमार पांडे आदि ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि ऐसे हरफनमौला इंसान और साहित्यकार संस्कृतिकर्मी बहुत कम होते हैं। वे प्रसिद्ध शायर तो थे ही, कहानीकार, अनुवादक, वकील पत्रकार और परिवर्तनकारी आंदोलनकारी के रूप में भी उनकी पहचान थी। संपूर्ण क्रांति और वामपंथी आंदोलन से उनका गहरा सरोकार रहा। हाल में कृषि कानूनों के खिलाफ भी वे सक्रिय रहे। अभी इसी माह के आरंभ में उन्हें जसम द्वारा आयोजित कवि सुनील श्रीवास्तव की पुस्तक के लोकार्पण के मौके पर आमंत्रित किया गया था, पर उसी रोज प्रगतिशील कहानीकार और संपादक अभय की याद में सासाराम में आयोजित कार्यक्रम में जाने की वजह से वे आरा नहीं आ पाए। वे बक्सर ही नहीं, बल्कि शाहाबाद की साहित्य-संस्कृति की अमूल्य निधि थे। उन्होंने लंबे समय तक ज्योति प्रकाश लाइब्रेरी के संचालन की जिम्मेवारी भी संभाली थी। ऑक्सीजन की कमी के कारण उनका निधन बेहद त्रासद है। सच तो यह है कि उनकी मृत्यु के लिए मौजूदा निजाम के स्वास्थ्य तंत्र की कुव्यवस्था जिम्मेवार है। वे जिस बेहतर व्यवस्था के लिए लिखते और संघर्ष करते रहे, उसे जारी रखना ही उनके प्रति सही श्रद्धांजलि होगी।