भोजपुर जिले में बालू तस्करों से निपटने का नया फार्मूला, आपरेशन छेद

भोजपुर जिले के कोईलवर सोन नदी का इलाका हाल के दिनों में नाव के जरिए बालू तस्करी को लेकर पूरे सूबे में चर्चा में रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 11:39 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 11:39 PM (IST)
भोजपुर जिले में बालू तस्करों से निपटने का नया फार्मूला, आपरेशन छेद
भोजपुर जिले में बालू तस्करों से निपटने का नया फार्मूला, आपरेशन छेद

आरा: भोजपुर जिले के कोईलवर सोन नदी का इलाका हाल के दिनों में नाव के जरिए बालू तस्करी को लेकर पूरे सूबे में चर्चा में रहा है। हालांकि, अब जिले की पुलिस ने नाव से आने बालू तस्करों से निपटने के लिए एक नया फार्मूला इजाद किया है। इस नए फार्मूला का नाम आपरेशन छेद है। यानी अगर भोजपुर की सीमा में कोई भी नावें बालू तस्करी के लिए आएंगी तो ड्रील मशीन से छेद दी जाएंगी। पिछले दो दिनों से लगातार जारी पुलिस प्रशासन के इस फार्मूले से इसके साफ संकेत मिले हैं। भोजपुर पुलिस अब बालू तस्करों को उन्हीं के तरीके से जवाब देने को लेकर पूरी तरह एक्शन में आ गई है। सूत्रों की मानें तो यहां की पुलिस को आपरेशन छेद का नया फार्मूला नए पुलिस कप्तान विनय तिवारी से मिला है। इस फार्मूला से दो दिनों के अंदर पुलिस ने करीब 25 नावों को जब्त किया है। जबकि, इससे दोगुना नावें क्षतिग्रस्त कर दी गई है। गौरतलब हो कि पहले मजदूर अधिक पकड़े जाते थे। जबकि, नावें काफी कम। अगर पिछले चार-पांच महीने के अंदर प्रशासनिक कार्रवाइयों पर नजर डालें तो पता चलता है कि सिर्फ 15 नावें जब्त हुई हैं। जबकि, 270 लोग अवैध खनन व परिवहन में पकड़े गए हैं। अभी दो दिनों में 48 जेल गए हैं।

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सारण, वैशाली व पटना से बालू लूटने आती हैं नावें अगर सूत्रों की मानें तो भोजपुर के सुरौंधा, महादेवचक, सेमरिया, महुई महाल, कमालुचक, सेमरा, फुहां, बिन्दगांवा के दियारा इलाके के सोन नदी में बालू लूटने के लिए सारण, वैशाली व पटना समेत उतर बिहार से सर्वाधिक नावें आती हैं। शाम छह बजे के बाद सभी नावें सोन नदी में इंट्री कर जाती हैं। इसके बाद पूरी रात बालू लूटने के बाद सुबह तक लौट जाती है। सोन नदी से गंगा सरयू और गंडक के रास्ते सारण, वैशाली,उतर बिहार और पूर्वांचल के जिलों तक आराम से पहुंच जाती हैं। प्रतिदिन दो से ढाई हजार नावें सोन के गर्भ से बालू निकाल संबंधित जिले और राज्य के सीमा से बाहर भेजी जाती हैं। इन नावों की लदान क्षमता चार से 14 ट्रक तक होती है। छोटी नावों से चार ट्रक और बड़ी नावों से 14 ट्रक से अधिक बालू का उठाव होता है। ऐसी ढाई से तीन हजार नावें प्रतिदिन सोन से बालू लूट कर ले जाती हैं। --

पहले सोन नदी किनारे से जब्त नावों को लेकर भाग जाते थे तस्कर

पहले बालू तस्कर तस्करी में जब्त नावों को सोन नदी किनारे से लेकर भाग भी जाते थे। लेकिन, अब तस्करों का यह फार्मूला काम नहीं करेगा। सूत्रों के अनुसार पकड़े गए नावों को क्षतिग्रस्त कर दिया जाएगा, ताकि भविष्य में ये नाव दुबारा बालू के अवैध धंधे में नहीं उतर सकें। वहीं सूत्रों ने बताया कि बीते दिनों में हुई छापेमारी में जब्त नाव एक-एक कर संदेहास्पद स्थिति में गायब हो गई थी। जिसे लेकर पुलिस पर भी सवाल उठे थे। आपको बताते चलें कि बालू के खेल में बड़े-बड़े तस्करों की नावें चलती हैं। जिसकी मदद से वे लाखों व करोड़ों नोट बनाते थे। लेकिन, पुलिस के इस फार्मूले से बालू तस्करों को काफी आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ेगी। -------

डंपिग और स्टाक वाले क्षेत्रों में नहीं उठाया जा रहा कारगर कदम

पिछले दो दिनों से नदी में लगातार हो रही कार्रवाई को देख स्थानीय जानकार लोग बताते हैं कि सोन नदी में दिन में छापेमारी से प्रशासन को कुछ खास सफलता हाथ नहीं लगेगी। दिन में नदी में छापेमारी करने जब पुलिस टीम उतरती है तो बालू निकाल रहे तस्कर नदी के डाउन स्ट्रीम में जाकर छिप जाते हैं। जैसे ही प्रशासन की टीम वापस लौटती है, तो पीछे पीछे वे भी लौट आते हैं। इससे बेहतर होता कि ये नाव से जहां पर बालू डंप करते हैं , वहां कार्रवाई हो। डंपिग प्वाइंट पर छापेमारी करने से ही बालू के अवैध धंधे पर लगाम लगाया जा सकता है। साथ ही इसके परिवहन पर भी रोकथाम जरूरी है। जब नदियों से निकला बालू कहीं डंप और स्टाक नहीं हो पाएगा और इसकी ढुलाई नहीं हो पाएगी तो सोन नदी में अवैध उत्खनन पर स्वत: अंकुश लग जाएगा।

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