योग से बीमारियों के साथ मानसिक व शारीरिक परेशानियां होती हैं दूर

प्राचीन भारतीय जीवन पद्धति है योग।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 11:14 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 11:14 PM (IST)
योग से बीमारियों के साथ मानसिक 
व शारीरिक परेशानियां होती हैं दूर
योग से बीमारियों के साथ मानसिक व शारीरिक परेशानियां होती हैं दूर

आरा। प्राचीन भारतीय जीवन पद्धति है योग। योग संस्कृत धातु युज से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ होता है व्यक्तिगत चेतना या आत्मा का सार्वभौमिक चेतना या रूह से मिलन। योग विज्ञान में जीवन शैली का पूर्ण सार आत्मसात किया गया है। इसके माध्यम से शरीर, मन व आत्मा को एक किया जाता है। योग द्वारा शरीर, मन व मस्तिष्क को पूर्ण रूप से स्वस्थ किया जा सकता है। जब ये तीनों स्वस्थ रहेंगे तो स्वयं भी स्वस्थ रहेंगे। इसके माध्यम से न सिर्फ कई तरह की बीमारियों से हमें मुक्ति मिलेगी, बल्कि कई मानसिक व शारीरिक परेशानियों को भी दूर किया जा सकता है। योग आसन और मुद्राएं तन और मन दोनों को क्रियाशील बनाती हैं। हमारी जिदगी के लिए योग अति आवश्यक है।

--- हजारों साल पुराना है इतिहास : हजारों साल प्राचीन है योग का इतिहास। श्रुति परंपरा के अनुसार भगवान शिव योग विद्या कि प्रथम आदि गुरु, योगी या आदियोगी हैं। हजारों साल पूर्व भगवान शिव ने हिमालय के कांति सरोवर झील के किनारे सप्तऋषियों को योग का गूढ़ ज्ञान दिया था। तत्पश्चात अत्यंत महत्वपूर्ण योग विद्या को सप्त ऋषियों ने एशिया, मध्य पूर्व उतरी अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका समेत विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में प्रसारित किया। प्राचीन भारत में योग का अस्तित्व था इसका प्रमाण सिधु सरस्वती घाटी सभ्यता में योग साधना करती अनेकों आकृतियां के साथ प्राप्त ढेरों मुहर और जीवाश्म अवशेष हैं।

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योग से स्वस्थ हुआ जगजीवन प्रसाद का परिवार

फोटो फाइल 20 आरा 38

----------------- जागरण संवाददाता, आरा : रेलवे विभाग से सेवानिवृत्त जगजीवन प्रसाद जिदगी में बहुत परेशान थे। इनके अलावा परिवार में वाइफ और बेटा भी परेशान था। लेकिन योग ने इनकी जिदगी में खुशहाली लाया। स्थानीय पकड़ी निवासी जगजीवन प्रसाद ने बताया कि जब वे नौकरी के सिलसिले में प्रयागराज में थे, तब कई तरह की परेशानियों से जूझ रहे थे। पैर व घुटने में दर्द था। कमर का दर्द अलग परेशान किये हुए था। चेस्ट में गांठ था। बहुत इलाज कराया। मगर ठीक नहीं हुआ। जून 2018 में अवकाश के बाद आरा अपने घर आएं। यहां पतंजलि पीठ, हरिद्वार के सेवाव्रती और वरिष्ठ योग गरु डा. बृज मोहन सिंह विनय के संपर्क में आया, तब से मेरी जिदगी में खुशहाली है। कपाल भाति, अनुलोम-विलोग, भ्रामरी, सूक्ष्म व्यायाम आदि से मेरी परेशानी दूर हो गई। योग से लाभ मिलने से हमें बहुत खुशी हुई। आज भी मैं योग करता हूं। श्री प्रसाद ने बताया कि मेरी वाइफ को कमर का दर्द था। वहीं बेटा डिप्रेशन का शिकार था। दोनों योग से आज स्वस्थ हैं। देखा जाए तो योग से मेरा पूरा परिवार आज स्वस्थ है। श्री प्रसाद के अनुसार योग का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। इससे लाभ ही लाभ है। यह हर उम्र के लोगों के लिए लाभप्रद है। -----------

21 जून को मनाया जाता है योग दिवस : प्रत्येक वर्ष 21 जून को योग दिवस मनाया जाता है। 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योग के महत्व पर प्रकाश डाला था। 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। तदोपरांत 21 जून 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस आयोजित किया।

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