भोजपुर में मंडलकारा के 30 मीटर की परिधि में कई मकान, टूटने का खतरा

भोजपुर जिले के मंडल कारा आरा के दक्षिण एवं उत्तर दिशा से सटे बहुमंजिले इमारतों के टूटने का खतरा मंडराने लगा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 11:23 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 11:23 PM (IST)
भोजपुर में मंडलकारा के 30 मीटर की परिधि में कई मकान, टूटने का खतरा
भोजपुर में मंडलकारा के 30 मीटर की परिधि में कई मकान, टूटने का खतरा

आरा: भोजपुर जिले के मंडल कारा, आरा के दक्षिण एवं उत्तर दिशा से सटे बहुमंजिले इमारतों के टूटने का खतरा मंडराने लगा है। गृह विभाग के मुख्य सचिव की सख्ती के बाद मंडल कारा प्रशासन भी हरकत में आ गया है। जिसके बाद मंडल कारा के अधीक्षक युसूफ रिजवान ने भी 30 मीटर की परिधि में बने मकानों को हटाने के लिए नगर निगम के आयुक्त एवं भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता को पत्राचार किया है। जिसके बाद मंडल कारा के इर्द-गिर्द बनी इमारतों के टूटने का खतरा मंडराने लगा है। आरोप है कि चहारदिवारी एवं वाच टावर के इर्द-गिर्द स्थित भवनों से जेल के अंदर अक्सर आपत्तिजनक सामान फेंके जाने की संभावना बनी रहती है। ऐसी स्थिति में अप्रिय घटना की भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

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अप्रैल महीने में ही गृह विभाग ने जारी किया था आदेश आपको बताते चलें कि कारा भवन के निकट निर्मित मकानों का सर्वे कर बिहार कारा हस्तक-2012 के नियम 712 तथा बिहार नगर पालिका अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन कर बनाए गए भवनों के संबंध में नियमसंगत कार्रवाई करने का आदेश गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव ने अप्रैल महीने में ही कारा प्रशासन को दिया था। नियम के अनुसार किसी भी केन्द्रीय कारा की परिमित दीवार के 50 मीटर, किसी भी मंडल कारा के 30 मीटर की परिधि के भीतर एवं उप कारा की दीवार के 20 मीटर के भीतर कारा भवनों को छोड़कर और किसी मकान का निर्माण वर्जित है।

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जेल प्रशासन का दावा, सिर्फ आठ मीटर की परिधि में कई मकानें

इधर, नगर निगम को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि मंडल कारा आरा के दक्षिण एवं उत्तर दिशा में परिधि से सटे करीब आठ मीटर की दूरी पर ही कई बहुमंजिले भवन निर्मित है। जिससे सुरक्षा पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। इन भवनों से कारा परिसर में प्रतिबंधित सामग्रियों के फेंके जाने एवं अन्य आपत्तिजनक गतिविधियां संचालित होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। कारा की परिधि दीवार से निजी भवनों के सटे होने के कारण कारा में किसी अप्रीय घटना की आशंका बनी रहती है।

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कारा सुरक्षा को लेकर लिया गया निर्णय इधर, इस संबंध में पूछे जाने पर कारा अधीक्षक युसूफ रिजवान ने कहा कि कारा की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कारा भवन के निकट निर्मित भवनों को हटाने एवं नियम संगत कार्रवाई के लिए नगर निगम को पत्राचार किया गया है। सर्वे कर बिहार कारा हस्तक -2012 के नियम 712 एवं नगर पालिका अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन का मामला बनता है। इस संबंध में गृह विभाग, पटना से भी पत्र प्राप्त हुआ था। जिसके आलोक में यह कार्रवाई की गई है।

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पहले रहते थे घोड़े, अब रखे जाते हैं कैदी

यह भले ही आपको पढ़ने अथवा सुनने में कुछ देर के लिए थोड़ा अटपटा सा लगे, लेकिन इतिहास यही बयां कर रहा है। कभी घोड़ों का अस्तबल होने वाले भवन को ही आरा में कारा का रूप दे दिया गया है। जानकारों की मानें तो आजादी से पहले आरा मंडल कारा 1857 के वीर योद्धा बाबू वीर कुंवर सिंह के घोड़ों का अस्तबल हुआ करता था। आजादी के बाद जब शासन-प्रशासन का गठन हुआ, तब एक जेल की आवश्यकता महसूस किया गया। इसके बाद इसी घोड़े के अस्तबल को जेल का रूप दे दिया गया। इस जेल की क्षमता पहले केवल साढ़े चार सौ के आसपास थी। इस दौरान कई बार जेल को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की भी बातें उठीं, लेकिन सब ठंडे बस्ते में चली गयी। बाद में कुछ वार्डों का निर्माण कर क्षमता को बढ़ाया गया। आज मंडल कारा की क्षमता 1195 है। वर्तमान में 1350 कैदी रखे गए है।

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