भोजपुरी चित्रकला के साथ भेदभाव करना अन्यापूर्ण
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय हिन्दी और भोजपुरी भाषा के पूर्व विभागाध्यक्ष सह जनवादी लेखक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. नीरज सिंह ने कहा कि भारत सरकार और रेलवे प्रशासन द्वारा भोजपुरी चित्रकला को अवसर नहीं देना इसके साथ अन्याय करना है।
आरा: वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय हिन्दी और भोजपुरी भाषा के पूर्व विभागाध्यक्ष सह जनवादी लेखक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. नीरज सिंह ने कहा कि भारत सरकार और रेलवे प्रशासन द्वारा भोजपुरी चित्रकला को अवसर नहीं देना इसके साथ अन्याय करना है। वे भोजपुरी कला संरक्षण मोर्चा द्वारा स्थानीय रेलवे स्टेशन पर भोजपुरी चित्रकला को सम्मानजनक स्थान दिलाने और पूर्व मध्य रेलवे प्रबंधक की उपेक्षापूर्ण नीति के खिलाफ शुक्रवार को 18 वें दिन भी जारी विरोध प्रदर्शन व जन संवाद कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पूर्व के राजसत्ता द्वारा भोजपुरी चित्रकला के साथ भेदभाव किया गया। जिससे इसका सही विकास नहीं हो सका। मोर्चा के वरिष्ठ चित्रकार कमलेश कुंदन के निर्देशन में भोजपुरी चित्रकला के जागरुकता के लिए चित्रकार रुपा कुमारी और रुखसाना परवीन आदि ने मास्क पर भोजपुरी पेंटिग्स अंकित किया। उक्त मास्क को आमलोगों के बीच वितरित भी किया गया। इस अवसर पर एबीवीपी के अमरेन्द्र शक्रवार ने कहा कि सामूहिक प्रयास से भोजपुरी चित्रकला को उचित सम्मान मिलेगा। सामाजिक कार्यकर्ता अनिल राज, रंगकर्मी मनोज सिंह और मोर्चा के संयोजक भास्कर मिश्र ने कहा कि भोजपुरी सांस्कृतिक विरासत की उपेक्षा अब सहन नहीं होगा। भोजपुरी चित्रकला को इसके लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने से लेकर अश्लीलता को रोकने के लिए हरसंभव लड़ाई लड़ेंगी। जन संवाद करने वाले अन्य रंगकर्मियों, कलाकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में रवीन्द्र भारती, अशोक मानव, कृष्णेंदु, कमलदीप, रुपेश पांडेय, मनोज श्रीवास्तव, ओपी पांडेय, रतन देवा, कमलकांत, लक्ष्मण दूबे, कौशलेश, धर्मेन्द्र कुमार, संतोष कुमार, मोर्चा के सह संयोजक विजय मेहता आदि थे।