आधुनिकता के दौर में भी रेडियो की है अपनी अलग पहचान
रेडियो की चर्चा करते ही हमारी स्मृति में तरह-तरह के रेडियो व उसके प्रसारण ताजा हो जाता है।
आरा। रेडियो की चर्चा करते ही हमारी स्मृति में तरह-तरह के रेडियो व उसके प्रसारण ताजा हो जाता है। छोटा-बड़ा, एंटीनायुक्त व बिना एंटीना का रेडियो। हमारी स्टूडियो की घड़ी में शाम के सात बजकर 30 मिनट हुए हैं, अब आप अनंत कुमार सिंह से समाचार सुनिए.., शाम के छह बजकर 30 मिनट हुए हैं, अब किसान भाइयों का कार्यक्रम होगा खेती-गृहस्थी। इसी तरह बीनाका गीत माला का अमीन सयानी की घोषणा- बहनों और भाइयों..। रेडियो के बीबीसी हिदी सेवा के अतिरिक्त वायस ऑफ अमेरिका, रेडियो जापान, डायच वेले, रेडियो वेरितास एशिया, रेडियो चाइना इंटरनेशल, राष्ट्रीय प्रसारण सेवा वॉइस ऑ़फ अमेरिका, बीबीसी, रेडियो जर्मनी, चीन रेडियो इंटरनेशनल,रे डियो जापान,रेडियो ताशकंत जैसे प्रमुख रेडियो प्रसारण की स्मृतियां आज भी लोगों के जेहन में हैं। प्राचीन समय से रेडियो समाचार, ज्ञानवर्द्धन व मनोरंजन का सशक्त माध्यम रहा है। वैसे आज इसको विभिन्न इंटरनेट माध्यमों से प्रतियोगिता करनी पड़ रही है। बावजूद इसका महत्व आज भी बरकरार है। यही वजह है कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी मन की बात कहने के लिए इस माध्यम को अपनाया। शैक्षणिक कार्यों के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। भले ही घरों में आज रेडियो दिखाई नहीं दे, लेकिन इसके श्रोताओं की एक बड़ी संख्या आज भी है। अब रेडियो का कार्यक्रम मोबाइल पर भी उपलब्ध है।
-------
आज भी सुविधाजनक माध्यम है रेडियो
संस्कृतिकर्मी सुधीर सुमन 12 साल की उम्र से ही रेडियो से आज तक जुड़े हैं। रेडियो श्रोता जगत में एक अलग पहचान भी बनाई। सुधीर कहते हैं- प्राचीन समय से रेडियो मेरे लिए मनोरंजन साथ-साथ ज्ञान और विचार का माध्यम ज्यादा रहा। मैं बेहिचक कह सकता हूं कि मेरी वैचारिक पहचान बनाने तथा लेखन और विचार की दुनिया के प्रति मेरी दिलचस्पी बढ़ाने में देश-दुनिया की विभिन्न घटनाओं, समाचारों, विशेष कार्यक्रमों आदि पर लिखी गई मेरी चिट्ठियों की बड़ी भूमिका रही। आज ²श्य-श्रव्य माध्यमों का दौर है, पर रेडियो अब भी ज्यादा सुविधाजनक माध्यम है। मोबाइल, टैब, लैपटॉप या कम्प्यूटर पर नजरें उतनी देर तक नहीं टिकाई जा सकतीं, वैसे भी लगातार ²श्य माध्यमों से जुड़े रहना मनुष्य की कल्पनाशीलता, विशेषकर बच्चों की कल्पनाशीलता को कमजोर करता है। रेडियो से लंबे समय तक जुड़े रहना अब भी ज्यादा सहज है। शब्दों और ध्वनियों के जरिए ²श्यों और घटनाओं को श्रोता के दिमाग तक पहुंचाने की अछ्वुत कला इस माध्यम के जरिए विकसित हुई।
--------
इंटरनेट के इस माध्यम से रेडियो कार्यक्रमों को सुनना बेहद आसान रेडियो से गहरा लगाव व इसके कारण देश-विदेश की यात्रा करते वाले चर्चित श्रेाता राम कुमार नीरज ने बताया कि 90 का दशक, जब गावों तक बिजली की पहुंच नहीं थी, उस समय दुनिया भर की जानकारी को जानने और समझने को एक मात्र माध्यम रेडियो हुआ करता था। रेडियों के कार्यक्रमों के माध्यम से देश-विदेश की घटनाओं को करीब से जानना और समझना बेहद आसान हो जाता था। बीबीसी जैसे दुनिया के एक उत्कृष्ट समाचार माध्यम से मेरी अक्सर पढ़े जाने वाली चिट्ठियां एक सुखद अनुभूति दे जाता था। मुझे जाननेवाले लोग अक्सर मुझे मिलने पर उन चिट्ठियों की चर्चा करते थे। इन अंतराष्ट्रीय प्रसारणों ने मुझे अक्सर एक खास श्रोता और एक समीक्षक के तौर पर लिसनर्स ऑफ द ईयर का सम्मान भी मिला। वर्ष 2013 में चीन रेडियो इंटरनेशनल - बीजिग की तरफ से मुझे चीन आने का न्योता भी मिला। इस एक हप्ते की यात्रा से चीन को करीब से जानने और समझने का मौका मिला। सूचना तकनीक के बदलते आयाम ने रेडियो के तकनीक को भी बदला है। अभी ज्यादातर रेडियो इंटरनेट के माध्यम से अपने प्रसारण करते हैं। हालांकि इंटरनेट के इस माध्यम से रेडियो कार्यक्रमों को सुनना बेहद आसान होने के साथ साथ आवाज की गुणवत्ता भी बढ़ गई है। श्रेताओं से मिलता था बहुत मान-सम्मान
आकाशवाणी, पटना से प्रसारित चर्चित कार्यक्रम चौपाल से वर्ष 1987 से एंकर (कंपीयर) प्रदीप ओझा भास्कर कहते हैं कि पहले आकाशवाणी से जुड़े लोगों का काफी मान-सम्मान था। दूर-दराज से श्रोतो हमलोगों से आकर मिलते थे और अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते थे। श्रेताओं का जो आदर-सम्मान मिलता था, वह अपूरणीय है। कइ्र श्रोताओं से व्यक्तिगत संबंध भी बन जाता था।
----
कभी प्रसारित होता था धीमी गति का समाचार
पहले आकाशवाणी से धीमी गति का समाचार आता था। अभिभावक कहते थे कि उसे सुनकर लिखो और फिर शब्दों की शुद्धता की जांच करो। कई लोग इसका अभ्यास करते थे। इससे लाभ भी होता था।
-------
13 फरवरी को मनाया जाता है विश्व रेडियो दिवस
प्रत्येक वर्ष 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है। मनोरंजन, सूचना और संचार माध्यम के रूप में रेडियो के महत्व को बताने के उद्देश्य से यह मनाया जाता है। वर्ष 2011 में यूनेस्को ने 36वीं महासभा में 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाने की घोषणा की थी।