37 नए चिकित्सकों की बहाली के बाद भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं

जिले में लंबे समय से चिकित्सकों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवा को तरस रहे भोजपुरवासी हाल हीं में 37 नए डाक्टरों की बहाली के बाद भी चिकित्सकों की अनुपस्थिति का दंश झेलने को विवश हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 06 Apr 2018 08:36 PM (IST) Updated:Fri, 06 Apr 2018 08:36 PM (IST)
37 नए चिकित्सकों की बहाली के बाद भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं
37 नए चिकित्सकों की बहाली के बाद भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं

भोजपुर । जिले में लंबे समय से चिकित्सकों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवा को तरस रहे भोजपुरवासी हाल हीं में 37 नए डाक्टरों की बहाली के बाद भी चिकित्सकों की अनुपस्थिति का दंश झेलने को विवश हैं। जबकि आए दिन डाक्टरों की अनुपस्थिति की शिकायत मिलने के बाद कुछ दिन पहले ही स्वास्थ्य विभाग के सभी कार्यालयों में बायोमेट्रिक अटेंडेंस प्रणाली लागू की गई थी, जो मुश्किल से सप्ताह भर भी लागू नहीं हो पाई और चिकित्सकों की लेट लतीफी से लेकर ड्यूटी से गायब होने का सिलसिला फिर से बदस्तूर जारी है। बता दें कि जिले में जीएनएम तथा अनुमंडलो में एएनएम स्कूल खुलने की कवायद शुरू होने के बाद एक तरफ जहां कर्मियों की किल्लत दूर होने के आसार दिखने लगे थे, वहीं चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने हेतु भी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इसी प्रकिया के तहत जारी वर्ष में 37 नए डाक्टरों की बहाली हुई है। जबकि विगत कई वर्षों से महज 35 चिकित्सक ही जिले में पदास्थापित थे, जिसमें वर्ष 2016 में एक और चिकित्सक की बहाली हुई थी। वहीं महिला चिकित्सक की तो यहां घोर कमी है। आज भी यहां नौ के बदले महज तीन महिला चिकित्सकों से काम चल रहा है।

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शिकायत व सुझाव के लिए बना वेब साइट भी हुआ बेमानी:

भोजपुर सिविल सर्जन डा. रास बिहारी ¨सह की पहल पर एक वेब साइट बीएचएस.भोजपुर भी लॉंच की गई थी, जिसके जरिए जिले के प्रत्येक नागरिक स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी के लिए अपनी शिकायतें और सुझाव आसानी से शेयर करने वाले थे। पर इस बाबत पहले से मौजूद शिकायत पुस्तिका प्रणाली की तरह यह सिस्टम भी फेल हो चुका है। बीते वर्ष तत्कालीन जिलाधिकारी डा. वीरेंद्र प्रसाद यादव ने स्वास्थ्य विभाग की लंबित कई विभागीय योजनाओं को त्वरित गति से पूरा करने का आदेश जारी किया था, जिसमें से लगभग सभी योजनाएं वर्तमान समय में महज कागजों पर ही सिमट कर रह गई है। इन योजनाओं में जिले में पहली बार खुलने जा रहा जीएनएम स्कूल, सभी अनुमंडलों में एएनएम स्कूल, संस्थागत प्रसव, मातृत्व मृत्यु दर, जननी बाल सुरक्षा योजना, परिवार कल्याण योजना, ईएनटी का विस्तार, गुणवत्ता का विस्तार, सुरक्षा मामले तथा शिकायत निवारण से संबंधित योजनाएं शामिल थी।

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अधर में फंसा भोजपुर को मिला एक जीएनम तथा तीन एएनएम स्कूल का तोहफा:

भोजपुर जिले में सरकारी अस्पतालों तथा वहां बढ़ती मरीजों की संख्या के विपरित स्वास्थ्यकर्मियों की किल्लत दूर करने हेतु भोजपुर को मिला एक जीएनएम तथा तीन एएनएम स्कूल का तोहफा भी निर्माण कार्य शुरू नहीं होने के कारण अधर में फंसा हुआ है। जबकि बीती वर्ष इसपर काम शुरू होने के आसार दिखने लगे थे। पर अब तक इस मामले में काम शुरू नहीं होने से कर्मियों की किल्लत निकट भविश्य में दूर होने के आसार अब नहीं दिख रहे है।

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नाक-कान-गला विभाग का भी नहीं हुआ विस्तार:

भोजपुर में लंबे समय से खाली पड़े नाक-कान-गला विशेषज्ञ चिकित्सक के पद पर हुई नई नियुक्ति ने इस विभाग के विस्तार के संकेत जरूर मिले थे, पर अब तक महज एक चिकित्सक के भरोस ही यह विभाग चल रहा है। बता दें कि उपरोक्त बीमारियों से ग्रसित मरीजो के लिए सरकारी से लेकर गैर सरकारी स्तर पर चिकित्सक की कमी कई दशक से बरकरार है। अब विभाग में चिकित्सक की नियुक्ति के बाद जिले में इन मरीजों को थोड़ी बहुत राहत जरूर मिली है। पर, विभागीय विस्तार के अभाव में अभी भी इन बीमारियों से संबंधित मरीजो को काफी परेशानी हो रही है। फिलहाल इस विभाग में एकमात्र चिकित्सक डा. अविनाश की नियुक्ति की गई है, जो बाह्य कक्ष में नियमित सेवा दे रहे हैं।

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