स्वयं ईश्वर ही गुरु के रूप में जीवों का करते हैं कल्याण

देवराहाधाम सियरुआं में संतश्री देवराहा शिवनाथ दासजी महाराज ने भक्तों को संबोधित करते हुए गुरु पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डाला।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 11:34 PM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 06:08 AM (IST)
स्वयं ईश्वर ही गुरु के रूप में जीवों का करते हैं कल्याण
स्वयं ईश्वर ही गुरु के रूप में जीवों का करते हैं कल्याण

आरा। देवराहाधाम सियरुआं में संतश्री देवराहा शिवनाथ दासजी महाराज ने भक्तों को संबोधित करते हुए गुरु पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डाला। संतश्री ने गुरु की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु का अर्थ है अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना। आत्म ज्ञान का न होना ही अंधकार है और जब गुरु शिष्य को आत्म ज्ञान करा उस ब्रह्म से मिलन करा दे,जिसने इस सृष्टि को बनाया है,वही प्रकाश है। गुरु ही ब्रह्म है,क्योंकि उस ब्रह्म का रहस्य गुरु ही बता सकते हैं।

वहीं एक अन्य कार्यक्रम में श्रीसनातनशक्तिपीठ संस्थानम् के तत्त्वावधान में बमबम उत्सव पैलेस कतीरा में पूजन-अर्चन, गोष्ठी एवं प्रवचन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर श्री हनुमान जी, भगवान वेदव्यास, आदि शंकराचार्य, धर्मसम्राट् स्वामी करपात्री जी महाराज, पुरीपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य सहित संतों पूर्वाचार्यों की पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आचार्य डॉ. भारतभूषण पाण्डेय ने कहा कि स्वयं ईश्वर ही गुरु के रूप में जीवों का कल्याण करने और जीवन में सहारा देने के लिए प्रकट होते हैं। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रो. बलिराज ठाकुर ने कहा कि सिर देने पर भी यदि गुरु मिलें तो सस्ता है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए आचार्य डॉ. श्रीनिवास तिवारी Xह्नह्वश्रह्ल;मधुकरXह्नह्वश्रह्ल; ने कहा कि भारतवर्ष की गुरु-परम्परा का पूरा विश्व ऋणी है। भोजपुर दर्शन चैरिटेबल ट्रस्ट के सचिव राजेश तिवारी ने समाज में महान गुरुओं के योगदान को प्रचारित करने पर बल दिया। ब्रजकिशोर तिवारी ने परोपकार को पुण्य और परपीड़न को महापाप बताते हुए भगवान वेदव्यास को नमन किया। कार्यक्रम में स्वागत भाषण मदनमोहन सिंह, विषय प्रवेश डॉ. शशिरंजन त्रिपाठी तथा धन्यवाद ज्ञापन शिवदास सिंह ने किया। पूजन-अर्चन में पं. ब्रजकिशोर पाण्डेय, पं. मध्येश्वर पाण्डेय, सत्येंद्र नारायण सिंह, रंग जी सिंह ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में महंत रामकिकर दास जी महाराज ने आशीर्वचन दिये। गोष्ठी में अखिलेश्वर नाथ तिवारी, सच्चिदानंद प्रसाद, विजया सिन्हा, ऊर्मिला चौधरी, वीरेंद्र प्रसाद शुक्ल, नर्मदेश्वर उपाध्याय, विश्वनाथ दूबे, दसौंधी, अमरदीप जय, सुरेन्द्र कुमार मिश्र, सियाराम दूबे, सुरेन्द्र सिंह, के. के. पाठक मिश्रा जी समेत तमाम सदस्यों ने वक्तव्य दिए और श्रद्धा-सुमन अर्पित किए।

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