आजीवन साहित्य व संगीत के प्रति समर्पित रहीं डॉ. शांति जैन

पद्मश्री समेत अन्य सम्मानों से सम्मानित साहित्यकार व बिहार गौरव गान की रचनाकार डॉ. शांति जैन का हार्ट अटैक से निधन हो गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 02 May 2021 10:33 PM (IST) Updated:Sun, 02 May 2021 10:33 PM (IST)
आजीवन साहित्य व संगीत के प्रति समर्पित रहीं डॉ. शांति जैन
आजीवन साहित्य व संगीत के प्रति समर्पित रहीं डॉ. शांति जैन

आरा : पद्मश्री समेत अन्य सम्मानों से सम्मानित साहित्यकार व बिहार गौरव गान की रचनाकार डॉ. शांति जैन का हार्ट अटैक से निधन हो गया। पटना के लोहानीपुर स्थित आवास गिरी अपार्टमेंट में शनिवार की रात अंतिम सांस लीं। अविवाहित डॉ. शांति जैन कवयित्री, गीतकार, नाटककार, गायिका, उद्घोषिका, आकाशवाणी व दूरदर्शन की कलाकार, प्राध्यापक आदि थीं। वे बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं। साहित्य के साथ-साथ संगीत में भी अलग पहचान बनाई। लगभग 75 वर्षीय शांति जैन का अंतिम संस्कार पटना के गुलाबी घाट पर हुआ, जहां भतीजा सुनील प्रकाश जैन ने मुखाग्नि दी। इस अवसर पर स्वजनों के अलावा साहित्य व संगीत के क्षेत्र के कई लोग मौजूद थे। वे अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गई हैं।

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शिक्षा-दीक्षा : डॉ. शांति जैन का जन्म आरा शहर में 4 जुलाई 1946 को हुआ था। श्री जैन बाला विश्राम से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रहने के कारण आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। ट्यूशन तक पढ़ाना पड़ा। हर प्रसाद दास जैन कॉलेज से बीए किया। जबकि मगध विश्वविद्यालय से एमए किया। इसके बाद पीएचडी किया। प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद से प्रभाकर किया।

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अध्यापन कार्य : डॉ. शांति जैन वीमेंस कॉलेज, पटना में संस्कृत की लेक्चर रहीं। पटना व धनबाद में भी अध्यापन कार्य किया। तदोपरांत इनका स्थानांतरण आरा के एस.बी कॉलेज में हुआ। यहां से हर प्रसाद दास जैन कॉलेज में योगदान दिया। वर्ष 2008 में जैन कॉलेज के संस्कृत विभागाध्यक्ष पद से अवकाश ग्रहण किया।

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बीमारी के दौरान जेपी को संगीत से किया आनंदित : वर्ष 1978 में जब जय प्रकाश नारायण काफी बीमार हो गए तो संगीत का सहारा लिया। तत्कालीन सांसद गंगा शरण सिंह ने डॉ. शांति जैन से कहा कि अस्वस्थता की स्थिति में आप जेपी को थोड़ा समय दीजिए। डॉ. शांति जैन अपने आप को सौभाग्शाली मानकर जेपी के यहां संध्या समय जाना शुरू किया। प्रतिदिन बीमार जेपी को वह रामायण की चौपाइयां सुनाती थीं। इस कार्य से जेपी को बहुत आराम मिलता और सो जाते थे। लगभग दो साल तक यह सिलसिला चला। इस दौरान रामायण की चौपाइयों के अलावा दिनकर की रचनाओं के साथ अन्य रचनाएं भी सुनातीं। इस अवधि में प्रतिदिन डायरी लिखती थीं। एक कोमल क्रांतिवीर के अंतिम दो वर्ष नाम से डायरी प्रकाशित हुई।

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आकाशवाणी व दूरदर्शन से जुड़ाव : डॉ. शांति जैन आकाशवाणी व दूरदर्शन की कलाकार थीं। साथ ही आकाशवाणी में उद्घोषिका भी थीं। इनके द्वारा लगभग छह वर्ष तक रामायण का पाठ चला। यह कार्यक्रम बिहार ही नहीं उत्तर प्रदेश में भी काफी लोकप्रिय रहा। इसके अलावा इनके द्वारा लिखित कई नृत्य नाटिका, रूपक व नाटक प्रसारित हुआ। साथ ही देश के विभिन्न स्थानों पर इनके द्वारा लिखित नाटकों का मंचन हुआ।

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कृतियां : डॉ. शांति जैन ने कविता, गीत, गजल, नाटक, नृत्य नाटिका, रूपक आदि को लिखा। लगभग तीन दर्जन विभिन्न विधाओं की पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। इनमें प्रकाशित पुस्तकें वेणीसंहार की शास्त्रीय समीक्षा, कादम्बरी, वासवदत्ता, वसन्तसेना (सभी रूपान्तर), अश्मा (प्रबंध काव्य), चंदन बाला (प्रबंध काव्य), एक वृत्त के चारों ओर (कविता), छलकती आंखे (हिन्दी गीत), पिया की हवेली (हिन्दी गीत), हथेली का आदमी (काव्य संग्रह), धूप में पानी की लकीरें (गीत, गजल, कविताएं), तरन्नुम (गीत संग्रह), समय के स्वर (गीत संग्रह), एक कोमल क्रान्तिवीर के अन्तिम दो वर्ष (डायरी) आदि है। वहीं चैती, कजरी, ऋतुगीत: स्वर और स्वरूप, व्रत और त्योहार: पौराणिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, उगो हे सूर्य, लोकगीतों के संदर्भ और आयाम (पुरस्कृत), तुलली बोली के गीत, बिहार के भक्तिपरक लोकगीत, सांझ घिरे लागल (भोजपुरी गीत), व्रत-त्योहार कोश, लोकगीतों में प्रकृति, लोक साहित्य में राष्ट्रीय चेतना, अंजुरी भर सपना ( भोजपुरी गीत) है। सैकड़ों आलेख और रचनाएं देश के स्तरीय विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। इनके द्वारा दुर्गासप्तशती, सुन्दर कांड, छठ गीत, विवाह गीत, लोक भजनों के कई कैसेट निकला।

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कई सम्मानों से नवाजी गईं : साहित्य व संगीत के क्षेत्र में डॉ. शांति जैन का उल्लेखनीय योगदान रहा है। इसके लिए इन्हें विभिन्न सम्मानों से नवाजा गया। संगीत नाटक अकादमी दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय सम्मान, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान, के. के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा लोक गीतों के संदर्भ और आयाम पुस्तक के लिए शंकर पुरस्कार, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वरीय राष्ट्रीय अध्येता वृत, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय अनुदान, बिहार सरकार द्वारा बिहार कलाकार सम्मान, आकाशवाणी के लिए लिखे गये संगीत रूपक 'व्यथा' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार, 'साहित्य साधना सम्मान', बिहार सरकार का राजभाषा पुरस्कार, पद्मश्री समेत अन्य पुरस्कारों से नवाजा गया।

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