लाइलाज नहीं है कैंसर की बीमारी : डॉ. प्रवीण
भारतीय समाज में कैंसर की बीमारी को लेकर जिस कदर आतंक कायम है, उस अनुपात में जागरूकता की घोर कमी है। जबकि कैंसर कोई लाइलाज बीमारी नहीं है।
भोजपुर । भारतीय समाज में कैंसर की बीमारी को लेकर जिस कदर आतंक कायम है, उस अनुपात में जागरूकता की घोर कमी है। जबकि कैंसर कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। बशर्तें इसका इलाज आरंभिक अवस्था में ही शुरू कर दिया जाए। आरंभिक अवस्था में इलाज शुरू होने पर लगभग एक तिहाई मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं। दूसरे एक तिहाई मरीज इलाज के जरिए लंबी उम्र की ¨जदगी जी सकते हैं। जबकि तीसरे एक तिहाई मरीज इलाज के दौरान पीड़ा रहित संक्षिप्त ¨जदगी जी सकते हैं। उपरोक्त जानकारी सदर अस्पताल में कैंसर दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. प्रवीण कुमार ने कही। उन्होंने बताया कि आम तौर पर महिलाओं में स्तन तथा गर्भाशय कैंसर एवं पुरूषों में ब्लड और सरवाइकल कैंसर की संभावना अधिक होती है। युवाओं के बीच यह बीमारी धूम्रपान और तंबाकू सेवन के कारण तेजी से बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आशंका व्यक्त की है कि 2020 तक भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़कर 20 लाख के करीब पहुंच जाएगी। वहीं बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा कराए गए सर्वे के मुताबिक बिहार में प्रति वर्ष 70 हजार कैंसर के मरीजों की पहचान होती है। जबकि भोजपुर में एक स्वयंसेवीे संस्था द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक एक दशक में यहां कैंसर के लगभग 400 मरीजों की पहचान हुई है। सदर अस्पताल में इस कार्यक्रम के दौरान कई मरीजों की जांच की गई, जिसमें किसी भी जांच में कैंसर की पुष्टि नहीं हो सकी। डॉ. प्रवीण ने बताया कि कैंसर के संभावित मरीजों की जांच हेतु पीएचसी स्तर के एएनएम को भी प्रशिक्षण दिया गया है। चूंकि इस बीमारी के इलाज की सुविधा जिला स्तर पर नहीं है, फलत: बीमारी की पुष्टि होने पर इन मरीजों को तुरत इलाज के लिए पटना रेफर कर दिया जाता है। कार्यक्रम के दौरान सदर अस्पताल में कार्यरत कई एएनएम व स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित थे।
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कैंसर की बीमारी के लक्षण:
- घाव का नहीं भरना
- खाना या तरल पदार्थ निगलने में परेशानी
- बलगम, मल-मूत्र या योनि मार्ग से खून आना
- स्तन में गिल्टी या गांठ
- त्वचा पर बने तिल या गांठ के आकार में अप्रत्याशित वृद्धि
- मुंह के अंदर या बाहर फोड़ा और जख्म का नहीं भरना