भोजपुर के बाबू जगजीवन राम ने दलित परिवार में जन्म लेकर भी उप प्रधानमंत्री पद को किया सुशोभित

चंदवा के चांद व बाबू जी के नाम से चर्चित जगजीवन राम की चर्चा होते ही हमारे दिलो-दिमाग में एक राष्ट्रीय नेता स्वतंत्रता सेनानी सच्चे लोकतंत्रवादी सामाजिक न्याय के योद्धा दलित वर्ग के समर्थक उत्कृष्ट सांसद व मंत्री का व्यक्तित्व उभर कर हमारे समक्ष आता है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 06 Jul 2021 10:55 PM (IST) Updated:Tue, 06 Jul 2021 10:55 PM (IST)
भोजपुर के बाबू जगजीवन राम ने दलित परिवार में जन्म लेकर भी उप प्रधानमंत्री पद को किया सुशोभित
भोजपुर के बाबू जगजीवन राम ने दलित परिवार में जन्म लेकर भी उप प्रधानमंत्री पद को किया सुशोभित

आरा : चंदवा के चांद व बाबू जी के नाम से चर्चित जगजीवन राम की चर्चा होते ही हमारे दिलो-दिमाग में एक राष्ट्रीय नेता, स्वतंत्रता सेनानी, सच्चे लोकतंत्रवादी, सामाजिक न्याय के योद्धा, दलित वर्ग के समर्थक, उत्कृष्ट सांसद व मंत्री का व्यक्तित्व उभर कर हमारे समक्ष आता है। भोजपुर जिला मुख्यालय आरा के चंदवा गांव में 5 अप्रैल 1908 ई. में शोभा राम व बसंती देवी के घर जन्मे जगजीवन राम उप प्रधानमंत्री से लेकर कई मंत्रालयों में अपने कार्यों से देशवासियों के बीच अपनी अमिट पहचान बनाई। आजादी की लड़ाई व आजादी के बाद देश के विकास में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। इनका संपूर्ण जीवन राजनीतिक, सामाजिक सक्रियता व विशिष्ट उपलब्धियों से भरा था। आज भी वे लोगों के दिलो-दिमाग में जीवित हैं। ----- दलित होने के कारण हास्टल में बरता गया भेदभाव : आरा में एक कार्यक्रम के दौरान जगजीवन राम से बीएसयू के संस्थापक पं. मदन मोहन मालवीय की मुलाकात हुई। जगजीवन राम की संस्कृत पर मजबूत पकड़ थी, जिससे मालवीय जी काफी प्रभावित हुए। उन्होंने जगजीवन राम को बीएचयू में दाखिला का आमंत्रण दिया। आमंत्रण स्वीकार कर बीएचयू में दाखिला लिया। लेकिन बीएचयू के हास्टल और मेस में दलित होने के कारण इनके साथ जब भेदभाव किया जाने लगा तो वे बीएचयू छोड़कर कोलकात्ता यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के बाद यहीं से ग्रेजुएशन किये। यहां पर इनके नेतृत्व का कौशल निखरने के कारण सुभाष चंद्र बोस काफी प्रभावित हुए। ------- स्वतंत्रता संग्राम में रही अहम भूमिका : जगजीवन राम महात्मा गांधी के प्रबल समर्थक थे। 9 अगस्त 1942 ई. को जब भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ तो इसमें वे कूद पड़े। उन्हें इस आंदोलन को तेज करने की जिम्मेवारी सौंपी गई। 10 दिनों के बाद हीं इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद स्वतंत्रता आंदोलन में काफी सक्रिय भूमिका निभाई। ------ इंदिरा गांधी के आपातकाल का किया विरोध : जगजीवन राम के रक्षा मंत्रीत्व काल में भारत ने 1971 का युद्ध जीता। जब वह कृषि मंत्री थे तो देश में हरित क्रांति आई। कांग्रेस के वे पक्के वफादार नेता थे। बावजूद जब इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया तो वह इसके खिलाफ हो गए थे। --------- 50 साल तक सांसद का बनाया रिकार्ड : लगभग पांच दशक से राजनीति में सक्रियता के दौरान उप प्रधानमंत्री समेत श्रम मंत्री, कृषि मंत्री, संचार मंत्री, रेल मंत्री, रक्षा मंत्री आदि के पदों को सुशोभित किया। वर्ष 1936 से लेकर वर्ष 1986 तक सांसद रहने रहने का भी इनके नाम रिकार्ड है। 23 मार्च 1977 से लेकर 22 अगस्त 1979 तक उप प्रधानमंत्री पद पर रहे। अपने मंत्रित्व काल में विभागों व लोगों की समस्याओं को बखूबी दूर किया। साथ ही महत्वपूर्ण कार्य किये। जिसकी चर्चा आज भी गाहे-बगाहे होती है।

---------- दु‌र्व्यवहार करने वालों से नहीं किया नफरत : जगजीवन राम को लोग प्यार से बाबू जी कहते थे। बावजूद दलित होने के कारण इनके साथ भेदभाव किया गया। बावजूद जिन लोगों ने उनको और उनके समुदाय के खिलाफ दु‌र्व्यवहार किया, उन लोगों से उन्होंने कभी नफरत नहीं की।

--------- पैतृक गांव चंदवा में हुआ दाह-संस्कार : बाबू जी का 6 जुलाई 1986 को दिल्ली में देहांत हो गया। उनकी इच्छा के अनुसार उनका दाह संस्कार पैतृक गांव चंदवा में अगले दिन 7 जुलाई को किया गया था। इस मौके पर तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और प्रधानमंत्री राजीव गांधी समेत कई चर्चित नेता मौजूद थे। मरणोपरांत 6 जुलाई को दिल्ली में उनकी पुण्यतिथि मनाई जाती है और 7 जुलाई को चंदवा स्थित समाधि स्थल के अलावा विभिन्न स्थानों पर पुण्यतिथि मनाई जाती है। इसमें बाबू जी की पुत्री मीरा कुमार समेत कई नेता व गणमान्य लोग शिरकत करते हैं।

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