दर्द से पीड़ित खुशी की जिदगी में आयुष्मान ने लौटाई खुशियां

आरा प्रधानमंत्री आरोग्य योजना आयुष्मान भारत भोजपुर में कई गरीब व लाचार मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 27 Jun 2019 11:10 PM (IST) Updated:Thu, 27 Jun 2019 11:10 PM (IST)
दर्द से पीड़ित खुशी की जिदगी में आयुष्मान ने लौटाई खुशियां
दर्द से पीड़ित खुशी की जिदगी में आयुष्मान ने लौटाई खुशियां

आरा : प्रधानमंत्री आरोग्य योजना आयुष्मान भारत भोजपुर में कई गरीब व लाचार मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है। इस योजना के तहत हाल ही में सदर अस्पताल में चार मरीजों का जटिल ऑपरेशन कराया गया है। इन मरीजों में एक गरीब छात्रा खुशी भी शामिल है, जो विगत दो माह से अपेंडिक्स की बीमारी के असह्य दर्द से पीड़ित थी। इस योजना के तहत सदर अस्पताल में उसका सफल ऑपरेशन कराए जाने के बाद अब खुशी की जिदगी की खुशियां वापस लौट चुकी है। विगत सप्ताह मुफस्सिल थाना क्षेत्र के बेलघाट गांव निवासी रामेश्वर प्रसाद की पुत्री खुशी कुमारी के अपेंडिक्स का ऑपरेशन डॉ. विकास सिंह ने किया था। जबकि दो अन्य ऑपरेशन डॉ. अरुण कुमार एवं डॉ. अमृता राय ने किया था। खुशी के पिता प्राइवेट गाड़ी चलाकर पत्नी समेत पांच बच्चों का भरण पोषण करते है। दो माह पहले जब उन्हें पता चला कि सबसे छोटी बेटी खुशी का अपेंडिक्स का ऑपरेशन कराना है, तो उनके होश उड़ गए। कारण, ड्राइवर की नौकरी करने वाले रामेश्वर के लिए परिवार के दो जून की रोटी का इंतजाम करना हीं मुश्किल साबित हो रहा था। ऐसे में ऑपरेशन पर होने वाले भारी भरकम खर्च की आशंका उन्हें खाए जा रही थी। ऑपरेशन तो क्या, इलाज पर होने वाले खर्च का इंतजाम तक करना उनके बूते की बात नहीं थी। कितु सदर अस्पताल के प्रबंधक मनोज कुमार की पहल पर आयुष्मान भारत योजना के तहत निबंधन कराने के बाद खुशी का सफल ऑपरेशन कराया गया। जिसके बाद खुशी की जिदगी की खुशियां वापस लौट चुकी है। अस्पताल से विमुक्त होने के दौरान खुशी के चेहरे पर पीड़ा रहित संतोष का भाव देखते बन रहा था। दैनिक जागरण को उसने बताया कि अपेंडिक्स की बीमारी के दौरान लगातार असह्य दर्द होने के कारण दो महीनों से उसकी पढ़ाई भी छूट गई थी। जिसे वह अब जी जान लगाकर पूरा करेगी। बता दें कि केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आयुष्मान भारत के तहत निबंधित प्रत्येक परिवार के सदस्यों की बीमारी पर प्रति वर्ष पांच लाख रुपये खर्च का प्रावधान है। फिर भी भोजपुर में इस योजना के तहत महज 34 हजार परिवारों का निबंधन ही अबतक हो सका है।

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