पांच हजार सांपों की जिंदगी बचा चुका है भागलपुर के बीएसएफ जवान दिलीप, डिस्कवरी चैनल को देखकर सीखी सांप पकडऩे की कला
World Snake Day नवगछिया के बीएसएफ जवान पांच हजार सांपों को जिंदगी दे चुके हैं। उन्होंंने यह कला डिस्कवरी चैनल देखकर सीखी है। अभी वे बैंगलुरु में तैनात हैं। वहां पर भी वह दो सौ से अधिक सांपों को जिंदगी दे चुके हैं।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। नवगछिया के गोपालपुर प्रखंड के सिंधिया मकंदपुर गांव के दिलीप कुमार ने अभी तक पांच हजार से अधिक सांपों की जिंदगी बचा चुका है। तीन वर्ष बीएसएफ में नौकरी करने के दौरान भी पांच सौ सांपों को नई जिंदगी दी है। दिलीप जहां भी रहता है वहां के लोगों को सांप को पकड़कर जंगल में छोडऩे की ट्रेनिंग भी देता है। अभी उसकी पोस्टिंग बेंगलुरु में है। वहां भी वह दो सौ से अधिक सांपों की जिंदगी बचा चुका है। दिलीप का कहना है कि सभी सांप जहरीले नहीं होते। इससे पर्यावरण का संतुलन बना रहता है।
सिंधिया मकंदपुर गांव के दिलीप कुमार को सांप पकडऩे में महारथ हासिल है। वह पिछले 18 वर्षों से सांप पकड़ रहा है। उसने डिस्कवरी चैनल को देखकर सांप पकडऩे की कला सीखी है। दिलीप जब दस साल का था, तो उसके घर में सांप घुस गया था। लोगों ने उस सांप को मार दिया था। इसके बाद उसने संकल्प लिया कि वह अब किसी को भी सांप मारने नहीं देगा। हर सांप की जिंदगी बचाएगा। वह जिले में पांच हजार से अधिक सांपों की जिंदगी बचा चुका है। एक फोन काल पर वह सांप पकडऩे पहुंच जाता था। इसकी कोई फीस नहीं लेता था। सांप प्रेम के दिलीप को वन विभाग उसे अपने से जोड़ लिया और स्थायी करने का भरोसा दिलाया। वह सांप पकडऩे के साथ-साथ लोगों को सांप पकडऩे की ट्रेनिंग व जागरूक करने लगा। वह बिहार-झारखंड के अलावा नागालैंड आदि जगहों पर भी ट्रेनिंग दे चुका है। नवगछिया के बनारसी लाल सर्राफ कालेज में पढ़ाई करने वाले दिलीप के पिता मदन प्रसाद शर्मा फर्नीचर का मिस्त्री है। वन विभाग में नौकरी नहीं मिलने के कारण वह बीएसएफ में चला गया। ट्रेनिंग के दौरान उसने दोस्तों को ट्रेनिंग दी और सांपों की जान बचाई।
सांप पर्यावरण के लिए उपयोगी
बेंगलुरु से दूरभाष पर दिलीप ने बताया कि भागलपुर में सांपों की लगभग 15 प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें कोबरा, करैत व रसेल वाइपर ही विषैले हैं। करैत लगभग विलुप्त होने के कगार पर है। करैत सबसे ज्यादा विषैला होता है। कोबरा सबसे अधिक विष छोड़ता है। अजगर, धामिन, हरहरा, ढोलवा, ओस स्नेक आदि सांप विषैले नहीं हैं। सांप किसानों का मित्र है और यह पर्यावरण के लिए जरूरी है। सांप के जरिए ही चूहे को नियंत्रित कर फसल की सुरक्षा की जाती है। सांप तभी काटता है, जब उसे कोई चोट पहुंचता है।
सांप के काटने पर ले जाएं चिकित्सक के पास
सांप के काटने के बाद झाड़-फूंक के चक्कर में नहीं पड़कर चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। जिले में पाए जाने वाले अधिकांश सांप विषैले नहीं हैं। बिना विष वाले सांप के काटने के बाद झाड़-फूंक कर ठीक होने की बात कही जाती है, जो अंधविश्वास है। विषैला सांप के काटने पर तत्काल चिकित्सक के पास जाना चाहिए और एंटी स्नेक वेनम का इंजेक्शन लेना चाहिए। झाड़-फूंक कराने से हो सकता है कि जान चली जाए।