किसानों पर मौसम की मार-सक्रिय हुआ कृषि विभाग, किया जा रहा सुपौल में फसलों के नुकसान का आकलन

किसानों पर मौसम की मार विभाग पर टिकी किसानों की नजरें। हो रहा क्षति का आकलन। खेतों में धान की पकी फसल को हुआ है सर्वाधिक नुकसान। बिन मौसम बरसात से किसानों को फिर हुआ नुकसान। विभाग सक्रिय मोड में किसानों की फसलों की कर रहा मानिटरिंग...

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 04:13 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 04:13 PM (IST)
किसानों पर मौसम की मार-सक्रिय हुआ कृषि विभाग, किया जा रहा सुपौल में फसलों के नुकसान का आकलन
किसानों की फसल को पहुंचा नुकसान, धान हुआ बर्बाद...

जागरण संवाददाता, सुपौल। किसानों पर मौसम की मार: किसान इस बार धान की फसल अपेक्षा से कहीं ज्यादा उत्पादन होने का अनुमान लगा रहे थे लेकिन अंतिम समय में बारिश ने जिस तरह से कहर बरपाया है। उसके चलते किसानों के मंसूबे पर पानी फिरता नजर आ रहा है। अब किसानों की सारी उम्मीदें विभाग पर टिकी हुई है। उन्हें लग रहा है कि क्षतिग्रस्त फसल का मुआवजा यदि सरकार दे देती है तो उन सबों की मुसीबत बहुत हद तक कम होगी नहीं तो वह सब एक बार फिर कर्ज के तले जब जाएंगे।

फिलहाल, इस दिशा में विभाग ने अपनी सजगता तेज कर दी है। जिला कृषि पदाधिकारी ने सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी को क्षति का आकलन करने का निर्देश दिया है। निर्देश के बाद किसान सलाहकार अपने-अपने कार्य क्षेत्र में आकलन में जुट चुके हैं। दरअसल 2 दिनों से चली तेज हवा और बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी थी। एक अनुमान के मुताबिक हजारों एकड़ खेतों में लगे धान के पौधे जमीन पर गिर चुके हैं। रही-सही कसर बारिश ने पूरी कर दी। किसानों का कहना है कि धान पकने लगे थे और कुछ दिनों के अंदर कटनी शुरू होने वाली ही थी कि इसी दौरान बारिश के साथ साथ तेज हवा शुरू हो गई। हवा ने खरीफ फसल को खेतों में लेटा दिया।

खेतों में फसल की स्थिति को देखकर मायूस किसानों का कहना है कि जो पौधे जमीन पर गिर गए उसका तो फिर से उठ पाना संभव नहीं है। धान जो पक कर तैयार है उसे तो और अधिक नुकसान हुआ है। पौधे गिरने के चलते धान की बालियां पानी में डूब चुकी है यदि जल्द पानी से नहीं निकाला जाता है तो निश्चित रूप से इसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ सकता है।

किसान बताते हैं कि इस बार की फसल से उनलोगों की काफी उम्मीदें जुड़ी थी। समय से मानसून उतर जाने के कारण एक तो धान की रोपाई समय से संभव हो पाई और समय-समय पर बारिश होते रहने के कारण पटवन खर्च भी बचा। फसल भी अच्छी थी जिससे किसानों को बेहतर उत्पादन की उम्मीद थी। जब धान की फसल में बालियां निकलकर पकने लगी तो मौसम की कहर से किसानों की ङ्क्षचता की लकीरें गहराने लगी हैं।

90 हजार हेक्टेयर में हुई थी धान की खेती

जिले में इस बार 90 हजार हेक्टेयर खेत में धान की खेती की गई थी। मानसून और मौसम का साथ मिलने के कारण किसानों का कहना था कि धान की फसल को देख लग रहा था कि इस बार कई वर्षों के रिकार्ड को धान की फसल तोड़ देगी लेकिन अंतिम समय में तेज हवा और बारिश ने उन लोगों को कहीं का नहीं छोड़ा। अब समझ में नहीं आ रहा कि क्या करें उन लोगों की आखरी उम्मीद सरकार पर टिकी है। यदि सरकार मदद करती है तो निश्चित ही किसान उबर पाएंगे अन्यथा अन्य फसलों की तरह इस बार भी खेती नुकसान का सौदा बनकर ही रह जाएगी।

chat bot
आपका साथी