पानी की खपत होगी कम, बेहतर होगी सिंचाई

भूजल दोहन से सूखती जा रही धरती को बचाने के लिए अब पानी की एक-एक बूंद से खेतों ें सिंचाई होगी।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 04:20 AM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 04:20 AM (IST)
पानी की खपत होगी कम, बेहतर होगी सिंचाई
पानी की खपत होगी कम, बेहतर होगी सिंचाई

[नवनीत मिश्र] भागलपुर

भूजल दोहन से सूखती जा रही धरती को बचाने के लिए अब पानी की एक-एक बूंद से खेतों में सिंचाई होगी। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को पटवन से संबंधित यंत्र लगवाने के लिए अनुदान मिलेगा।

पानी की खपत सबसे अधिक फसलों की सिंचाई के दौरान होती है। 70 फीसद पानी का उपयोग सिंचाई में होता है। 30 फीसद उपयोग घरेलू सहित अन्य काम में होता है। सिंचाई के लिए धरती के अंदर से पानी निकालने के कारण भूमिगत जलस्तर लगातार गिर रहा है। सिंचाई में होने वाले खर्च, भूमिगत जलस्तर को बचाने और कम पटवन में पौधों के अच्छे विकास के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत जरूरत के हिसाब से फसलों को पानी मिलेगा और नुकसान भी नहीं होगा।

किसानों को यंत्र खरीदने के लिए अनुदान दिया जाएगा

जिले के 480 किसानों को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का लाभ मिलेगा। 547.20 एकड़ में सिंचाई के लिए किसानों को यंत्र खरीदने के लिए अनुदान दिया जाएगा। इसके लिए 15 अगस्त तक आनलाइन आवेदन मांगा गया है। आवेदन करने वाले किसानों को 90 फीसद तक अनुदान मिलेगा। किसानों को साढ़े 12 फीसद जीएसटी जमा करना होगा। इस योजना के तहत खेती में 40 से 50 फीसद पानी की बचत होगी। खेती की कुल लागत में 30-35 फीसद की बचत होगी। सामान्य खेती की तुलना में उत्पादन में 30 फीसद तक बढ़ोत्तरी होगी। पौधे का सही तरीके से वानस्पतिक विकास होगा।

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ड्रिप सिंचाई से पानी की होगी बचत

जिला उद्यान विभाग के सहायक निदेशक विकास कुमार ने बताया कि सिंचाई के दौरान पानी की हो रही बर्बादी को रोकने के लिए सरकार किसानों को ड्रिप सिंचाई यंत्र की खरीद के लिए 90 फीसद अनुदान उपलब्ध करा रही है। ड्रिप सिंचाई के तहत खेतों में स्प्रिंकलर लगाने के बाद किसान आधुनिक तरीके खेती कर सकेंगे। सूक्ष्म सिंचाई एक उन्नत सिंचाई प्रणाली है, जिसके द्वारा पौधे की जड़ में पाइपों द्वारा कम समय में पानी दिया जाता है। इसमें पारंपरिक सिंचाई की तुलना में 65 फीसद तक पानी की खपत कम होती है। ड्रीप सिंचाई पद्धति के तहत स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति का उपयोग किया जाता है। जहा इससे लगभग 25 से 30 फीसद खाद की बचत होती है। इस प्रणाली से फसल के उत्पादकता 30 से 35 फीसद तक बढ़ जाती है। उत्पाद की गुणवता उच्च कोटि की होती है। इस सिंचाई प्रणाली से घास-फूस में 60 से 70 फीसद की कमी होती है, जिसके कारण मजदूरों की लागत खर्च में कमी आती है और पौधों पर कीड़ों व रोगों का प्रकोप कम हो जाती है। यंत्र कम से कम सात साल तक खराब नहीं होता है और तीन वर्ष की वारंटी रहती है।

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90 फीसद मिलेगी सब्सिडी

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को 90 फीसद सहायता अनुदान देने का प्रावधान है। दस फीसद राशि किसानों को खर्च करना पड़ेगा। इसके अलावा किसानों को साढ़े 12 फीसद जीएसटी भी जमा करना होगा। ड्रिप सिंचाई योजना मक्का, गन्ना, सब्जी, फल व फूल की खेती के लिए एक वरदान है।

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कोट अब सिंगल किसानों को भी प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का लाभ मिल सकेगा। जिले में 480 किसानों को उक्त योजना का लाभ देने का लक्ष्य रखा गया है। 547.20 एकड़ में नई तकनीक से सिंचाई की जाएगी।

विकास कुमार, सहायक निदेशक उद्यान

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