बाढ़ से बचाव के लिए ग्रामीणों को मिलेगा प्रशिक्षण

रेडक्रास सोसाइटी के आपदा विभाग ने बाढ़ पूर्व तैयारी शुरू कर दी है। 58 गोताखोर पांच ट्रेनर आदि को प्रशिक्षित किया जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Jul 2021 07:45 AM (IST) Updated:Thu, 15 Jul 2021 07:45 AM (IST)
बाढ़ से बचाव के लिए ग्रामीणों को मिलेगा प्रशिक्षण
बाढ़ से बचाव के लिए ग्रामीणों को मिलेगा प्रशिक्षण

भागलपुर। रेडक्रास सोसाइटी के आपदा विभाग ने बाढ़ पूर्व तैयारी शुरू कर दी है। 58 गोताखोर, पांच नाविक मास्टर ट्रेनर व 150 प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर को बाढ़ को लेकर तैयार किया गया है। प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर संभावित बाढ़ प्रभावित इलाके के लोगों जागरूक करेंगे और प्रशिक्षण देंगे। विभाग ने 52 लाइफ जैकेट व चार लाइफबाय को दुरुस्त कर लिया गया है। 25 लाइफ जैकेट को मंगाने की तैयारी चल रही है। आवश्यकता के अनुसार और भी लाइफबाय मंगाया जाएगा। प्रशिक्षक के ड्रेस कोड के लिए डीएम को पत्र लिखा गया है। विभाग का मानना है कि घटना घटित होने पर यह पता नहीं चल पाता है कि कौन गोताखोर है और कौन सामान्य लोग। ऐसे में काम करने में परेशानी होती है। ड्रेस कोड लागू होने के बाद गोताखोर, नाविक मास्टर ट्रेनर, प्रशिक्षित स्वयंसेवक का पता चल जाएगा। रेडक्रास के आपदा प्रभारी मनोज कुमार पांडेय ने बताया कि नदी किनारे गांवों का चयन कर सूची तैयार की जा रही है। इसके बाद प्रशिक्षण का काम शुरू किया जाएगा।

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बाढ़ की हो तैयारी तो आपदा नहीं पड़ेगी भारी

एसडीआरएफ के टीम कमाडर इंस्पेक्टर गणेश जी ओझा के नेतृत्व में भारतीय रेड क्रास सोसाइटी के स्वयंसेवकों को इंस्पेक्टर द्वारा नव स्थापित जिला स्कूल, खिरनी घाट एसडीआरएफ कैंपस में बाढ़ से रेसक्यू व राहत बचाव से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इंस्पेक्टर गणेश जी ओझा मुख्य रूप से बाढ़, ठनका और सर्पदंश से बचने और बचाने का उपाय बता रहे हैं। उन्होंने बताया कि किसी को यदि सांप काट लेता है तो उसे तुरंत अस्पताल लेकर जाएं, झाड़-फूंक, ओझा-गुनी के चक्कर में नहीं पड़े। सांप काटने वाले को एंटी वेनम का इंजेक्शन लगाएं। भारत में सांप की प्रजातिया 550 हैं, जिसमें जहरीले सांप 10 होते हैं। दो वाटर वाइपर, दो वृक्ष वाइपर व जमीनी इलाके में जहरीले सांप छह होते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हम लोग सांप के मामले में विशेषज्ञ नहीं होते हैं, इसीलिए सभी प्रजातियों को जहरीला समझकर चलना चाहिए। उन्होंने बताया कि कोसी, गंगा, बागमती, गंडक नदी उफान पर हैं। संभावित बाढ़ को लेकर अभी से ही ऊंचे स्थान का चयन कर लें, जो बाढ़ इलाके में है। बाढ़ आने पर डूबे हुए चापाकल का पानी ना पिएं। पानी उबालकर के पिएं। गर्भवती महिलाएं, दिव्यागजन, बच्चों का विशेष कर ख्याल रखें।

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कोट..

बाढ़ को लेकर नदी किनारे रहने वालों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसको लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है। सभी अनुमंडल पदाधिकारी को प्रशिक्षकों की सूची सौंपी जा रही है।

मनोज कुमार पांडेय, आपदा प्रभारी, रेडक्रास सोसाइटी

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