पहले फर्जी नियुक्ति पत्र पर खुद बन गए दारोगा, फ‍िर दूसरे को देने लगे नौकरी, बिहार के खगडि़या में खुली पोल

बिहार के खगडि़या में फर्जी दारोगा विक्रम सहनी वर्दी पहनकर नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करता था। अभी वह जेल में है। अब तक उक्‍त फर्जी दारोगा ने दर्जनों युवाओं से लाखों रुपये की ठगी की है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Tue, 09 Nov 2021 09:14 PM (IST) Updated:Tue, 09 Nov 2021 09:14 PM (IST)
पहले फर्जी नियुक्ति पत्र पर खुद बन गए दारोगा, फ‍िर दूसरे को देने लगे नौकरी, बिहार के खगडि़या में खुली पोल
पिछले दिनों खगडि़या में फर्जी नियुक्ति पत्र पर बहाली हुई।

जागरण संवाददाता, खगडिय़ा। बिहार के खगडि़या के मानसी थाना में फर्जी दारोगा बनकर काम करने वाला बेगूसराय का फर्जी दारोगा वर्दी पहनकर युवाओं को विश्वास दिलाता था कि वह दारोगा है और उसकी पहुंच ऊपर तक है। दारोगा की नौकरी दिलाने के नाम पर वह वैसे युवाओं से ठगी करता था जो दारोगा की बहाली को लेकर प्रयासरत रहता था। एक सप्ताह पहले ही आरटीआई कार्यकर्ता मनोज मिश्र द्वारा इंटरनेट मीडिया पर यह मामला वायरल करने के बाद एसपी अमितेश कुमार द्वारा इसे गंभीरता से लेते हुए सदर एसडीपीओ सुमित कुमार से जांच करवाई गई और दारोगा को फर्जी पाकर उसपर केस दर्ज कराया गया। उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। फिलहाल उक्त फर्जी दारोगा विक्रम सहनी खगडिय़ा जेल में बंद है।

इधर, केस के जांचकर्ता सदर पुलिस इंस्पेक्टर पवन कुमार सिंह द्वारा इसकी गहन जांच की जा रही है। अब तक के जांच में सामने आया कि विक्रम पुलिस की वर्दी इसलिए पहन रखा था कि उसपर लोग आसानी से भरोसा कर सके। वह दारोगा की नौकरी दिलाने के नाम पर युवाओं से ठगी करता था। अब तक दर्जनों युवाओं से लाखों रुपये की उसने ठगी की। बेगूसराय के कसहा के सचिन कुमार ने अपना बयान दर्ज करवाया है कि दारोगा की परीक्षा में पास कराने के नाम पर विक्रम ने एक लाख 70 हजार रुपये लिया था। नौकरी हो जाने के बाद और रुपये देने की बात हुई थी। चकिया के गौरव कुमार को भी बयान देने हेतु खोजा जा रहा है। उससे भी विक्रम ने नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी की है। पता चला है कि गौरव के पिता की मृत्यु हो गई।

इसलिए वह फिलहाल जांच पदाधिकारी के समक्ष उपस्थित नहीं हो सका। बेगूसराय के भगवानपुर थाना क्षेत्र के औगान गांव का कृष्णा कुमार ने बयान दर्ज करवाया है कि उससे विक्रम ने बैंक खाता के माध्यम से दो लाख 40 हजार और दो लाख 90 हजार नगद नौकरी दिलाने के नाम पर लिया था। उसने बताया कि वह वर्दी पहनकर तस्वीर खिंचवाता था। परीक्षा से पहले वह युवाओं से पास करवाने के नाम पर रुपये लेता था। जब नौकरी नहीं होती थी तो वह किश्त में रुपये वापस दिलाने का विश्वास दिलवाता था। बहरहाल, फर्जी दारोगा बहाली को लेकर गहन जांच चल रही है। कई बड़े पर्दाफाश की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

अब तक की जांच में सामने आया है कि फर्जी दारोगा बनकर वह नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करता था। कई युवाओं से वह ठगी कर चुका था। गहन जांच जारी है। - पवन कुमार सिंह, जांचकर्ता, सदर इंस्पेक्टर, खगडिय़ा।

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