अंखफोड़वा कांड : रोटी के लिए कोर्ट जाएंगे पीडि़त, जानें... ऐसा क्‍यों निर्णय लेना पड़ा

भागलपुर के विभिन्न मोहल्ले में रह रहे जिंदा बचे 18 पीडि़तों की पेंशन अब बंद हो चुका है। पीडि़तों ने पेंशन शुरू करने राशि बढ़ाने और जीविका के साधन मुहैया कराने का दरवाजा खटखटाया।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 11:30 AM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 11:30 AM (IST)
अंखफोड़वा कांड : रोटी के लिए कोर्ट जाएंगे पीडि़त, जानें... ऐसा क्‍यों निर्णय लेना पड़ा
अंखफोड़वा कांड : रोटी के लिए कोर्ट जाएंगे पीडि़त, जानें... ऐसा क्‍यों निर्णय लेना पड़ा

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। 1979 से 1980 के बीच हुए चर्चित अंखफोड़वा कांड के पीडि़त रोटी के लिए कोर्ट जाएंगे। भागलपुर के विभिन्न मोहल्ले में रह रहे जिंदा बचे 18 पीडि़तों की पेंशन अब बंद हो चुका है। पीडि़तों ने पेंशन शुरू करने, राशि बढ़ाने और जीविका के साधन मुहैया कराने को कई बार प्रशासन का दरवाजा खटखटाया, लेकिन इनकी कोई फरियाद नहीं सुनी गई।

बुढ़ापे की लाचारी और नाती-पाते का सहारा लेकर बिना आंख के भटकने वाले पीडि़तों की उम्मीद का दिया अब बुझने लगा है। इनकी मुफ्त में लड़ाई लड़ चुके वरीय अधिवक्ता रामकुमार मिश्रा ने सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी देने की तैयारी पूरी कर ली है।

जिंदा बचे इन पीडि़तों की बंद है पेंशन

अंखफोड़वा कांड के 18 पीडि़तों को नवंबर 2019 से बैंक से दी जाने वाली पेंशन राशि बंद है। अभी जीवित पीडि़तों में उमेश यादव, भोला चौधरी, पटेल साह, मंटू हरि, पवन कुमार सिंह, सहदेव दास, शंकर तांती, शैलेश तांती, वसीम मियां, चमक लाल यादव, सल्लो बेलदार, कमल तांती, लखन मंडल, सुरेश साह, शालीग्राम साह, रमण बिंद और उमेश यादव शामिल हैं। पूर्व में रामकुमार मिश्रा ने 1980 में सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की थी। न्यायालय ने उन्हें पेंशन देने का आदेश दिया था। तब से मात्र 750 रुपये पेंशन पीडि़तों को दी जा रही थी। तब न्यायालय के आदेश पर हर पीडि़त के लिए 30-30 हजार रुपये स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में जमा कराए गए थे। उस राशि के ब्याज के रूप में हर माह पीडि़तों को पेंशन दी जा रही थी।

33 लोगों की फोड़ी गई थीं आंखें

तब भागलपुर, नवगछिया व बांका के रजौन में पुलिसकर्मियों ने 33 आरोपितों को पकड़कर थाने में ही अमानवीय घटना को अंजाम दिया था। वहां उनकी आंखें टकुए से फोड़कर उनमें तेजाब डाल दी गई थी। पीडि़तों की कानूनी लड़ाई लडऩे वाले अधिवक्ता रामकुमार मिश्रा की माने तो 15 पुलिस पदाधिकारियों को आरोपित बनाया गया था। 14 ने गिरफ्तारी आदेश जारी होने पर अदालत में आत्मसमर्पण किया था, जिन्हें सजा भी मिली थी।

इसी माह सुप्रीम कोर्ट में पीडि़तों की पेंशन राशि न सिर्फ शुरू कराने, बल्कि 750 रुपये से बढ़ा कर दस गुणा करने की अर्जी दी जाएगी। इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है। - रामकुमार मिश्रा, वरीय अधिवक्ता, भागलपुर

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