वेद विद्यापीठ गुरुधाम बौंसी : गुरु-शिष्य परंपरा का अद्भुत दृश्‍य देखना हो तो यहां आएं, आज वसंतोत्‍सव का अंतिम दिन

वेद विद्यापीठ गुरुधाम बौंसी पांच दिवसीय वार्षिकोत्‍सव सह बसंतोत्सव यज्ञ आहुति के साथ संपन्‍न हो गया। गुरुवार को यहां समारोह शुरू हुआ था। काफी संख्‍या में श्रद्धालु शिष्‍य साधक और आम लोग यहां आते हैं। यहां सस्‍वती माता की प्रतिमा भी स्‍थापित की जाती है।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Publish:Mon, 22 Feb 2021 02:56 PM (IST) Updated:Mon, 22 Feb 2021 10:31 PM (IST)
वेद विद्यापीठ गुरुधाम बौंसी : गुरु-शिष्य परंपरा का अद्भुत दृश्‍य देखना हो तो यहां आएं, आज वसंतोत्‍सव का अंतिम दिन
वेद विद्यापीठ गुरुधाम बौंसी में स्‍थापित गुरुदेव और गुरुमाता की प्रतिमा।

जागरण संवाददाता, बांका। योगनगरी गुरुधाम में वार्षिकोत्सव सह बसंतोत्सव सोमवार को यज्ञ आहुति के साथ संपन्‍न हो गया। इस क्रम में गुरु महाराज महर्षि श्यामाचरण लाहड़़ी एवं योगीराज भूपेंद्र नाथ सान्याल आदि गुरु महाराज का जन्मोत्सव के साथ पूजा-अर्चना की गई है। शिव पंचायतन पूजा हुई। वैदिक रीति के अनुसार यज्ञोपवीत की आहुति दी गई।

बता दें कि 19 फरवरी को परम गुरुदेव श्यामाचरण लाहिड़ी का वार्षिकोत्सव, 20 फरवरी को दरिद्रनारायण की सेवा, 21 फरवरी को बड़े सरकार दादु का वार्षिकोत्सव हुआ। कार्यक्रम के अंतिम दिन 22 फरवरी को श्री श्री शिव पंचायतन की पूजा की गई। सरस्‍वती पूजा के दिन मां शारदे के प्रतिमा स्‍थ‍ापित की गई। सरस्‍वती पूजा की गई।

प्रतिदिन गुरुधाम में गुरुदेव की विशेष पूजा हो रही है। मंगल आरती की गयी। गुरुभक्तों को गीता का पाठ सुनाया गया। गुरु उपदेश वाचन किया गया। मंदिर परिसर में भजन कीर्तन हुआ। दिन रात धार्मिक आयोजनों से योगनगरी गुरुधाम सरावोर है। गुरुधाम में पांच दिवसीय आयोजन में विभिन्न प्रकार के धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। देश विदेश से यहां गुरुभाई आए हुए हैं। समारोह में विष्णु सहस्त्रनाम मंत्रोचार, चारों वेदों के स्वास्ती वाचन व भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। गीता पाठ किया। समारोह में दरिद्रनारायण की सेवा की गई। उन्‍हें भोजन कराया गया। वस्‍त्रादि दिए गए।

वर्तमान में वेद विद्यापीठ गुरुधाम में गुरु पद पर प्रभात कुमार सान्‍याल विराजमान हैं। उनसे सभी ने आशीर्वाद लिया।

गुरुधाम आश्रम में पिछले दो दिनों से विभिन्न प्रकार की पूजा अनुष्ठान से पूरा वातावरण भक्तिमय बन गया है। गुरु-शिष्य की परंपरा का अनोखा संगम देखने को मिल रहा है। पांच दिवसीय आयोजन को लेकर आश्रम सहित आसपास का पूरा वातावरण भक्ति रस में डूबा हुआ है। वार्षिकोत्सव पर पूरा आश्रम को भव्य रूप से फूल एवं सतरंगी लाइटों से आकर्षक रूप से सजाया गया है। रात के समय लाइट से जगमग आश्रम का पूरा दृश्‍य विहंगम रहता है।  फूल माला एवं सतरंगी लाइटों से आश्रम को भव्य तरीके से सजाया गया है।

इस अवसर पर वर्तमान में गुरु पद पर प्रभात कुमार सान्‍याल, आचार्य अमरनाथ तिवारी, देवसेना चक्रवर्ती, पंडित देवनारायण शर्मा, प्रोफेसर रतीश चंद्र झा, पंडित गंगाधर मिश्र, पंकज सान्‍याल, चंद्रशेखर त्रिवेदी, श्याम सिंह नंदन शर्मा, राजीव पांडेय,  दीपक मिश्रा, देवसेना चक्रवर्ती, शशिशेखर त्रिवेदी, गंगाधर मिश्र, पंडित देव नारायण शर्मा, डॉ विश्वंभर मिश्र बागीश, यजमान पद पर गुरुधाम इस्टेट ट्रस्ट कमेटी के सचिव डॉ ऋषिकेश पांडेय, शेषाद्री चक्रवर्ती एवं रिटायर्ड कर्नल शिव नारायण तिवारी, आयोजन समिति के सचिव शशि शेखर त्रिवेदी, उपाध्यक्ष देवेश चंद्र चौधरी, गुरुगोविंद दास तिवारी, डॉ.चंद्रशेखर त्रिवेदी, श्याम सिंह, सुनील कुमार वर्मा, राजीव पांडेय, नंदन कुमार शर्मा, शिवेंदु कृष्ण पांडेय, सुबीर मिश्रा, अधिवक्ता सुभाष चौधरी, संतोष कुमार सिंह, कैलाश दूबे आदि की महत्वपूर्ण भागीदारी रहीं। जिसमें पंडित देव नारायण शर्मा, गंगाधर मिश्रा ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच हवन की आहुति दिलाई।

ऐतिहासिक धरती रही है गुरुधाम, देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र भी पहुंच चुके हैं गुरुधाम

देश की आजादी में गुरुधाम का महत्वपूर्ण योगदान है। मंदार के गुरुधाम वैदिक और आध्यात्मिक स्थल पर कई महापुरुषों का आगमन हुआ है। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, प्रणब मुखर्जी सहित रामनाथ कोविंद का आगमन हुआ है। इसके साथ ही हिंदी साहित्य के प्रख्यात कवि लेखक काका कालेलकर, गोपाल सिंह नेपाली, रामधारी सिंह दिनकर आदि भी पहुंचे थे। तब वे गुरुधाम बगडुंबा डेवोढ़ी जमींदार परिवार के नेतृत्व में आयोजित अखिल भारतीय हिंदी साहित्य परिषद की बैठक में शामिल हुए थे।

ज्ञात हो कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पिता कामदा किंकर मुखर्जी अंग्रेजी शासन के खिलाफात 10 वर्ष से अधिक जेल की सजा काट रहे थे। तब उनकी मां राज लक्ष्मी मुखर्जी ने गुरुधाम में योगीराज भूपेंद्रनाथ सान्याल से दीक्षा लेकर अपने पति की रिहाई की गुहार लगाई थी। क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं उनके पति को अंग्रेजी हुकूमत फांसी नहीं सुना दे। योगीराज भूपेंद्र नाथ सान्याल ने आशीर्वाद दिया और कहा डरने की कोई बात वे जल्द ही जेल से छूट जाएंगे। इसके बाद ऐसा ही हुआ।

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