वर्ष प्रतिपदा : भारतीय नववर्ष व चैती नवरात्र, जानिए... शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और क्‍या है इस दिन की महत्‍ता

वर्ष प्रतिपदा हिंदी तिथि के अनुसार चैत्र शुक्‍ल पक्ष एक को वर्ष प्रतिपदा उत्‍सव मनाया जाता है। इसकी तैयारी की जा रही है। मंगलवार 13 अप्रैल को वर्ष प्रतिपदा उत्‍सव है। इसी दिन से चैत्र नवरात्र प्रारंभ हो रहा है। इस दिन को हिंदू नववर्ष भी कहा जाता है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 12:13 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 09:55 AM (IST)
वर्ष प्रतिपदा : भारतीय नववर्ष व चैती  नवरात्र, जानिए... शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और क्‍या है इस दिन की महत्‍ता
चैत्र नवरात्र मंगलवार से, चहुंओर शुभ संकेत

जागरण संवाददाता, भागलपुर। चैत्र नवरात्र मंगलवार से शुरू हो जाएगा। पौराणिक और लोक मान्यताओं के अनुसार सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा ने चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को सृष्टि की रचना शुरू की थी। 

इस कारण इस दिन को नव संवत्सर के रूप में मनाया जाता है। संवत 2078 का आरंभ 13 अप्रैल 2021 को होगा। कोरोना के व्यवधान के बावजूद शहर और आसपास के क्षेत्रों में इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। 

ज्योतिषाचार्य सचिन कुमार दुबे ने बताया कि प्रतिपदा तिथि काशी के पंचांग के अनुसार प्रात: 8:46 तक ही है। इसी समय तक कलश स्थापना करने का मुहूर्त है। कलश स्थापना के साथ ही शक्ति (देवी) की उपासना का पवित्र पर्व वासंतिक नवरात्र आरंभ हो जाएगा। देवी के नव रूपों की उपासना सर्वार्थ सिद्धि देने वाली होती है। 

विक्रम संवत का नया वर्ष होगा आरंभ 

विक्रम संवत नव वर्ष के आरंभ के समय मंगलवार दिन और अश्विनी नक्षत्र के संयोग से सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है। ग्रहों के राजा सूर्य का प्रवेश भी इस दिन से मेष राशि में हो जाएगा। जो शुभ है। इसी दिन से तेलुगु नववर्ष का आरंभ भी होता है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी का अवतरण इसी चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। इस कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। 

क्यों कहते हैं विक्रम संवत 

राजा विक्रमादित्य ने अपना राज्य इसी तिथि से स्थापित किया था।  उनके विजय प्राप्त करने के कारण राजा विक्रमादित्य के नाम पर विक्रम संवत्सर का प्रारंभ हुआ।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस समय सभी ग्रह और नक्षत्र शुभ स्थिति में रहेंगे। कारण यह है कि ग्रहों के राजा सूर्य इसी दिन से अपने उच्च राशि में जाने की तैयारी में होंगे। खरमास भी समापन के कगार पर रहेगा।  सभी शुभ कार्य किए जा सकेंगे। 

क्या करें नववर्ष के दिन 

नववर्ष के आरंभ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से घर में सुगंधित वातावरण तैयार किया जाना चाहिए। घर को ध्वज, पताका और तोरण से सजाया जाता है। जो हमारी सतत निरंतर सनातन, उन्नत एवं उज्ज्वल हिन्दू धर्म और सभ्यता का प्रतीक भी है।

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