परिपक्वता का पैसा नहीं दिए जाने से लोगों ने बैंक के बाहर किया हंगामा, पहुंची पुलिस

भागलपुर के सहारा इंडिया से लगातार यह सूचना मिल रही है कि यहां परिवक्‍ता का रुपया उपभोक्‍ताओं ने नहीं दिया जाता है। इसी आक्रोश के कारण जोगसर थानाक्षेत्र के घंटाघर चौक स्थित एक कॉम्प्लेक्स में उपभोक्‍ताओं ने हंगामा शुरू कर दिया।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Tue, 04 May 2021 09:35 AM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 09:35 AM (IST)
परिपक्वता का पैसा नहीं दिए जाने से लोगों ने बैंक के बाहर किया हंगामा, पहुंची पुलिस
जोगसर पुलिस ने हंगामा कर रहे लोगों को कराया शांत।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। जोगसर थानाक्षेत्र के घंटाघर चौक स्थित एक कॉम्प्लेक्स में मौजूद सहारा इंडिया बैंक के कार्यालय के बाहर ग्राहकों ने जमकर हंगामा किया। ग्राहकों ने जमा रकम की परिपक्वता राशि नहीं दिए जाने से काफी आक्रोशित थे। आक्रोशित उपभोक्ताओं ने बैंक कर्मियों पर मारपीट और दुर्व्यवहार किए जाने का आरोप भी लगाया, उपभोक्ताओं ने बताया कि उनकी जमा रकम की परिपक्वता राशि काफी समय से बकाया है। जिसको लेकर बार-बार वो सहारा इंडिया के कार्यालय का चक्कर लगा कर लौट रहे हैं। बैंक कर्मचारी और अधिकारियों ने उनके पैसे को जल्द दिए जाने का भरोसा भी दिया गया पर राशि नहीं मिली।

सोमवार को भी ऐसे ही राशि दिए जाने के आश्वासन पर सब आए थे। सहारा इंडिया का कार्यालय जैसे ही पहुंचे तो अधिकारी बैंक में थे ही नहीं। ग्राहकों ने आक्रोश में बैंक के मुख्य प्रवेश द्वार का शटर गिरा दिया। नारेबाजी भी करने लगे उस दौरान बैंक कर्मियों और ग्राहकों में नोकझोंक और हल्की हाथापाई भी हुई। घटना की जानकारी मिलते ही जोगसर पुलिस मौके पर पहुची और मामला शांत कराया। घटना को लेकर बैंक प्रबंधन और ग्राहकों की तरफ से थाने में केस दर्ज करने सम्बंधित आवेदन नहीं दिया है। बैंक कर्मियों ने ग्राहकों से मारपीट और दुर्व्यवहार की घटना किए जाने के ग्राहकों के आरोप को गलत बताया है।

उपभोक्‍ताओं का कहना है कि रुपये की  Maturity हो जाने से बाद बैंक अधिकारी रुपया देना नहीं चाहत हैं। बैंक अधिकारी लगातार लोगों को बरगलाते हैं। काफी दबाव देने पर नया पॉलिसी लेने को कहते हैं। रोज उपभोक्‍ताओं से बैंक अधिकारी की बहस होती है। बैंक में मारपीट की नौबत आ जाती है। पैसा लेने के चक्‍कर में रोज काफी संख्‍या में उपभोक्‍ता यहां आते हैं। लेकिन सभी को निराश हाथ लगती है। लोगों को यह भी डर बना रहता है कि कहीं पैसा डूब ना जाए। वरीय अधिकारियों को शिकायत करने पर भी कोई लाभ नहीं मिलता।

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