Unique pond of Bihar... शिक्षा, स्वास्थ्य और समाजिक एकता का प्रतीक है राजा का तालाब, हर सामाजिक जरूरतें होती हैं पूरी

जमुई का राजा का तालाब खुद में अनोखा है। यह शिक्षा स्‍वास्‍थ्‍य और सा‍माजिक एकता का प्रतीक माना जाता है। इससे सामा‍ज की कई तरह की जरूरतें पूरी होती हैं। गांव के लोगों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 04:28 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 04:28 PM (IST)
Unique pond of Bihar... शिक्षा, स्वास्थ्य और समाजिक एकता का प्रतीक है राजा का तालाब, हर सामाजिक जरूरतें होती हैं पूरी
जमुई के राजा के तालाब के पास खड़े गांव के लोग। जागरण।

जमुई [मणिकांत]। जहां एकता हो, वहां कोई भी काम असंभव नहीं। जमुई का घनबेरिया गांव इसका नायाब उदाहरण है। यहां तालाब से शिक्षित और स्वस्थ समाज निर्माण के अलावा अन्य सामाजिक जरूरतें पूरी होती है। साथ ही साथ जल संरक्षण का भी मिशन कामयाब होता है। दरअसल यहां राजा तालाब में ग्रामीणों की समिति द्वारा मत्स्य पालन किया जाता है। उससे प्राप्त राशि सामाजिक कार्यों में लगाई जाती है। फिलहाल उच्च विद्यालय के लिए जमीन की अनुपलब्धता की समस्या का हल इसी तालाब से अर्जित राशि से संभव हुआ है।

इसके पहले भी तालाब से प्राप्त राशि से जमीन की खरीदारी कर खेल मैदान की कमी को दूर किया गया था। इसके अलावा शादी- विवाह और श्राद्ध आदि में भोज भंडारा के लिए जरूरत की सामग्री मसलन बर्तन- दरी आदि की उपलब्धता राजा तालाब से संचित धन से ही सुनिश्चित हो सका है। ग्रामीण सह जदयू प्रखंड अध्यक्ष रामानंद ङ्क्षसह एवं पैक्स अध्यक्ष पुरुषोत्तम ङ्क्षसह बताते हैं कि राजा तालाब छह एकड़ में फैला हुआ है जिसमें सामूहिक रूप से मत्स्य पालन किया जाता है। मछली बिक्री से प्राप्त राशि का सदुपयोग सामूहिक कार्यों में किया जाता है।

हर साल दो लाख की होती है आमदनी

राजा तालाब से प्रति वर्ष औसतन 15 ङ्क्षक्वटल मछली का उत्पादन होता है। जिससे लगभग तीन लाख रूपये की राशि प्राप्त होती है। लगभग एक लाख रूपया मछली का जीरा तथा उसके पालन पर खर्च किया जाता है। बचे दो लाख रूपये से सामाजिक विकास पर खर्च के बाद शेष राशि समिति के संयुक्त खाते में जमा करा दी जाती है। मोटी रकम जमा हो जाने के बाद किसी एक बड़ी आवश्यकता को पूरा किया जाता है।

खेल मैदान के लिए भी जमीन की हुई थी खरीदारी

तालाब की राशि से ही पहले खेल मैदान के लिए कम पड़ रही जमीन की खरीदारी हुई थी। हालांकि तब जमीन मालिक ने भी खेल मैदान के लिए दी गई जमीन के लिए पूरी कीमत लेने से इनकार कर दिया था। ग्रामीणों ने जमीन के बदले उपहार स्वरूप कुछ एक राशि दी थी।

उच्च विद्यालय के लिए जमीन की समस्या होगी दूर

उच्च विद्यालय के लिए सरकारी मानदंड के अनरूप जमीन उपलब्ध नहीं था। विद्यालय के समीप ही उपलब्ध जमीन के मालिक को विद्यालय में जमीन देने के लिए पहले राजी किया गया। इसके बाद उसकी उचित कीमत भुगतान करने की सहमति बन चुकी है। जल्द ही भुगतान और निबंधन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।  

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